तमिलनाडु: पुलिस हिरासत में बाप-बेटे की मौत पर मचा बवाल, हाई कोर्ट ने मांगी रिपोर्ट
तमिलनाडु में लॉकडाउन का उल्लंघन करने की सजा मौत है। कम से कम पी जयराज और उनके बेटे जे बेनिक्स की दर्दभरी कहानी सुनकर तो यही लगता है। कथित तौर पर पुलिसिया बर्बरता से हुई दोनों की मौत के बाद देशभर में उनके लिए इंसाफ और दोषी पुलिसकर्मियों को कड़ी से कड़ी सजा की मांग जोर पकड़ने लगी है। अभी तक इस मामले में चार पुलिसकर्मियों को निलंबित किया गया और एक इंस्पेक्टर का तबादला हुआ है।
क्या था मामला?
शक्तिशाली नादर व्यापारी समुदाय से आने वाले जयराज साथांकुलम में मोबाइल की दुकान चलाते थे। यहां प्रशासन ने दुकानें खोलने के लिए शाम 7 बजे तक का समय तय किया है। जयराज 19 जून को 7 बजे अपनी दुकान बंद नहीं कर पाए। इसके बाद वहां पहुंचे पुलिसकर्मियों के साथ उनकी कहासुनी हो गई। थोड़ी ही देर बाद एक पुलिस की टीम वहां पहुंची और वो जयराज का स्थानीय पुलिस स्टेशन ले गई।
पिता से मिलने गए बेटे को भी हिरासत में लिया
अपने पिता को ले जाने की खबर मिलने के बाद उनके बेटे बेनिक्स थाने पहुंचे। वहां पर उन्हें भी हिरासत में ले लिया गया। दो दिन बाद बाप-बेटे दोनों मृत पाए गए। शुरुआती जांच में सामने आया है कि उनके गुप्तांगों पर गंभीर चोटें थीं।
तमाम कोशिशों के बाद भी परिजनों को नहीं करने दी मुलाकात
जयराज और बेनिक्स जब देर तक घर नहीं पहुंचे तो उनके रिश्तेदार थाने में चले गए। उन्होंने दोनों से मिलने की इच्छा जताई तो पुलिसकर्मियों ने उन्हें रोक दिया। अगले दिन यानी 20 जून को जब रिश्तेदार दोबारा थाने गए तो पुलिसकर्मियों ने उनसे जयराज और बेनिक्स को अस्पताल ले जाने के लिए गाड़ी और नए कपड़ों का इंतजाम करने को कहा। उनके एक रिश्तेदार जोसेफ ने बताया कि परिवार ने कपड़ों और गाड़ी का इंतजाम कर दिया था।
बोल नहीं पा रहे थे जयराज- जोसेफ
इसके बाद पुलिसवाले दोनों को लेकर अस्पताल पहुंचे। जोसेफ और उनकी पत्नी ने देखा कि अस्पताल में जाते समय दोनों बुरी तरह घायल थे और उनके कपड़े खून से सने हुए थे। जोसेफ ने बताया, "पुलिसवालों ने उन्हें घरे रखा था। जयराज की बहन मिन्नतें करने के बाद उनसे मिल पाई। वो बोल नहीं पा रहे थे और लगातार खून में सने अपने कपड़े दिखा रहे थे। कमर से नीचे उनके कपड़े खून से पूरी तरह लथपथ हो गए थे।"
पुलिस पर रातभर पिटाई का आरोप
जोसेफ ने आगे बताया, "बेनिक्स की कमर से भी खून बह रहा था। जयराज ने बड़ी मुश्किल से अपनी बहन को बताया कि उन दोनों को पुलिस वालों ने रात में 100-200 बार पीटा है।" पुलिसकर्मियों ने बेनिक्स को खून से लथपथ अपना ट्राउजर बदलने की इजाजत दे दी। जब बेनिक्स ने उसकी जगह लुंगी पहनी तो यह भी खून से सन गई। फिर एक और लुंगी लाई गई तो यह भी उसी तरह खून से लथपथ हो गई।
खून बहने से रोकने के लिए दो घंटे अस्पताल में रखे गए दोनों
इंडियन एक्सप्रेस ने एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी के हवाले से लिखा है कि जयराज और बेनिक्स, दोनों को खून रोकने के लिए दो घंटे तक अस्पताल में रखा गया था। अधिकारी ने बताया कि उन्हें दवाएं दी गई। उन्होंने लगभग छह बार कपड़े बदले थे और हर बार ये खून से लथपथ हो जाते थे। बेनिक्स के ज्यादा खून बह रहा था। 20 जून को लगभग 12 बजे उन्हें रिमांड के लिए मेजिस्ट्रेट के सामने पेश किया गया।
परिवार को नहीं लेने दिए गए दोनों के कपड़े
परिवार वालों ने बताया कि पुलिस उन्हें केवल दिखावे के लिए अस्पताल लेकर आई थी और उन्हें एक पल भी अकेला नहीं छोड़ा। साथ ही पुलिस उनके कपड़े भी किसी को छूने नहीं दे रही थी।
जेल में भी परिजनों से नहीं मिलने दिया गया
रविवार को परिजनों की उनसे कोई बात नहीं हो पाई। जब वो उनसे मिलने गए तो उन्हें रोक दिया गया। जेल प्रशासन ने कोरोना संक्रमण का हवाला देते हुए उन्हें वापस भेज दिया। उसी शाम जयराज की पत्नी के पास फोन आया कि बेनिक्स का ब्लड प्रेशर बहुत कम हो गया है इसलिए उन्हें जेल में बने अस्पताल में आना होगा। सोमवार रात बेनिक्स की मौत हो गई। कुछ ही घंटो बाद जयराज भी चल बसे।
कोर्ट में भी पुलिस ने दोनों को घेरे रखा
परिजनों ने बताया कि कोर्ट में भी सात-आठ पुलिसकर्मी उन्हें घेरकर खड़े थे, जिस कारण वो अपनी मर्जी से कुछ नहीं बोल पाए। जज ने उन्हें कोविलपट्टी सब जेल में रिमांड पर भेज दिया।
दोनों के मलाशय में डंडा डाला गया था- शुरुआती जांच
पुलिस जांच में शामिल एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि शुरुआती जांच में पता चला है कि उन्हें कपड़े उतारकर 19-20 जून की पूरी रात पीटा गया था। उनके मलाशय में डंडा डाला गया था। जब बेनिक्स अपने पिता को पीटने से बचाने की कोशिश कर रहे थे तब पुलिसवाले उनके ऊपर बैठ गए थे। चोट के कारण बेनिक्स का ज्यादा खून बह रहा था। वहीं पुलिस का कहना है कि दोनों की मौत न्यायिक हिरासत में हुई है।
सीलबंद लिफाफे में अदालत को सौंपी गई पोस्टमार्टम रिपोर्ट
दोनों के शवों का पोस्टमार्टम हो गया है। इसकी रिपोर्ट बंद लिफाफे में अदालत को सौंपी गई है। पोस्टमार्टम से जुड़ी कोई जानकारी अभी मीडिया के सामने नहीं आई है।
परिवार की मांग- पुलिसकर्मियों के खिलाफ दर्ज हो हत्या का मामला
मामला बढ़ने के बाद मद्रास हाई कोर्ट ने इस पर स्वत: संज्ञान लिया है। जस्टिस पीएम प्रकाश और बी पुगालेंधी की बेंच ने मामले की जांच के आदेश देते हुए पुलिस से स्टेटस रिपोर्ट दायर करने को कहा है। वहीं मृतकों के परिवार की मांग है कि दोषी पुलिसकर्मियों के खिलाफ हत्या का मामला दर्ज किया जाए। दूसरी तरफ बुधवार को पुलिसिया बर्बरता के खिलाफ प्रदर्शन करते हुए व्यापारियों से प्रदेशभर में दुकानें बंद रखी।