भारत के इस राज्य के निवासियों को मिलती है आयकर से छूट, क्या है कारण?
आयकर रिटर्न (ITR) भरने की अंतिम तारीख 31 जुलाई है, जिसको लेकर पूरे देश के नौकरीपेशा और व्यावसायिक लोग टैक्स भर रहे हैं, लेकिन एक राज्य इससे निश्चिंत है। दरअसल, भारत में सिक्किम एक ऐसा राज्य है, जिसके निवासियों को ITR भरने से छूट दी गई है। इसके कई कारण है, जिसमें इसके भारत में विलय के समय दी गई शर्तें प्रमुख रूप से शामिल हैं। आइए जानते हैं इसके बारे में दिलचस्प बातें।
क्या है सिक्किम में आयकर को लेकर इतिहास?
भारत की आजादी के समय सिक्किम एक राजतंत्र के तहत स्वतंत्र राज्य था, लेकिन प्रशासनिक समस्याओं के कारण इसका भारत में विलय किया गया। वर्ष 1975 में जनमत संग्रह के जरिए इसका विलय हुआ, जिसमें शर्त रखी गई कि सिक्किम के पुराने कानून और विशेष दर्जा कायम रहेगा। इस दौरान सिक्किम ने स्वयं के सिक्किम आयकर मैनुअल 1948 का पालन किया, जो 1975 से टैक्स कानूनों को नियंत्रित करता है। इसी नियम से सिक्किम निवासी को टैक्स नहीं देना पड़ा।
2008 में निरस्त कर दिया गया कानून
वर्ष 2008 में सिक्किम के टैक्स कानून को निरस्त कर दिया गया। हालांकि, उस साल केंद्रीय बजट में धारा 10 (26AAA) डालकर राज्य के निवासियों को टैक्स से छूट दी गई। इसमें एक धारा सिक्किम के विशेष दर्जे की रक्षा करती है। 2008 में तत्कालीन केंद्र सरकार ने सिक्किम के 94 प्रतिशत से अधिक लोगों को आयकर से छूट दी, लेकिन 500 से अधिक परिवारों को राहत नहीं मिली क्योंकि उन्होंने अपनी भारतीय नागरिकता छोड़ने से इनकार कर दिया था।
क्या है धारा 26AAA?
धारा 10 (26AAA) के तहत सिक्किम निवासियों को राज्य में या कहीं और से प्रतिभूतियों पर लाभांश या ब्याज से अर्जित आय पर छूट मिलती है। साथ ही बाजार नियामक SEBI ने सिक्किम के निवासियों को भारतीय प्रतिभूति बाजार और म्यूचुअल फंड में निवेश के लिए अनिवार्य स्थायी अकाउंट नंबर (PAN) की आवश्यकता से भी छूट दी। लेकिन जिन लोगों को आयकर लाभ नहीं मिला वे सुप्रीम कोर्ट चले गए। बाद में सुप्रीम कोर्ट ने इनके पक्ष में फैसला सुनाया।
क्या आया सुप्रीम कोर्ट का आदेश?
सिक्किम के भारत में विलय से पहले राज्य में बसने वाले लोगों को आयकर से छूट नहीं मिली थी, जिसके खिलाफ 2013 में एसोसिएशन ऑफ ओल्ड सेटलर्स ऑफ सिक्किम (AOSS) सुप्रीम कोर्ट चली गई। एसोसिएशन ने याचिका दायर करके उन सभी सिक्किम लोगों को आयकर छूट देने की मांग की, जो स्वतंत्र राज्य के समय से सिक्किम में रह रहे हैं। मामले में सुप्रीम कोर्ट का फैसला इनके पक्ष में आया और सभी सिक्किमियों को आयकर लाभ देने को कहा।
विवाह के मामले में भी सुप्रीम कोर्ट ने दी राहत
सुप्रीम कोर्ट ने 1 अप्रैल, 2008 के बाद गैर-सिक्किम पुरुष से विवाह करने वाली सिक्किम महिला को आयकर छूट वाली श्रेणी से बाहर रखने के फैसले को भी खारिज किया था। कोर्ट ने इसे संविधान के अनुच्छेद 14, 15 और 21 के खिलाफ बताया था।