सबरीमाला मंदिरः महिलाओं के प्रवेश के खिलाफ बंद का ऐलान, हिंसा में एक की मौत
क्या है खबर?
केरल स्थित सबरीमाला मंदिर में दो महिलाओं के प्रवेश के बाद राज्य में विरोध प्रदर्शन जारी है।
बुधवार को दो महिलाओं ने भगवान अयप्पा के दर्शन कर सालों से चली आ रही परंपरा को तोड़ते हुए इतिहास रच दिया था।
इसके विरोध में मंदिर समिति समेत कई हिंदूवादी संगठनों ने आज राज्य में बंद का आह्वान किया है।
बुधवार को भी मंदिर में महिलाओं के प्रवेश के विरोध में हिंसक झड़पें हुई थीं, जिसमें एक व्यक्ति की मौत हो गई।
ट्विटर पोस्ट
सुरक्षा व्यवस्था को किया गया चाक-चौबंद
Kerala: Security deployed in Pathanamthitta in the view of hartal called by various organisations over #SabarimalaTemple women entry pic.twitter.com/Hse169zZLs
— ANI (@ANI) January 3, 2019
विरोध
सरकार के कदम का विरोध
बुधवार को राज्य में भारी विरोध प्रदर्शन हुआ था। इस दौरान सबरीमाला कर्म समिति के कार्यकर्ता चंदन उन्नीथन घायल हो गए थे, जिनकी देर रात मौत हो गई।
मंदिर में महिलाओं के प्रवेश के विरोध में बुधवार को राज्य सचिवालय के बाहर करीब 5 घंटे तक संघर्ष चला, जिसमें माकपा और भाजपा के कार्यकर्ताओं के बीच पत्थरबाजी हुई।
राज्य सरकार जहां महिलाओं के प्रवेश के पक्ष में है वहीं विपक्ष इस कदम का विरोध कर रहे हैं।
इंतजाम
सुरक्षा के कड़े इंतजाम
राज्य में यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट (UDF) ने आज 'काला दिवस' मनाने की घोषणा की है।
साथ ही बंद के ऐलान के मद्देनजर सरकार ने सुरक्षा के कड़े इंतजाम भी किए हैं।
आज सुबह से ही राज्य में विरोध प्रदर्शन जारी है। पुलिस ने प्रदर्शन कर रहे पांच लोगों को हिरासत में लिया है इन पर महिला पुलिसकर्मी पर हमला करने का आरोप है।
साथ ही पुलिस ने माकपा के दो कार्यकर्ताओं को भी गिरफ्तार किया है।
परिचय
दो महिलाओं ने रचा था इतिहास
सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद दो महिलाओं ने भारी विरोध के बाद मंदिर में प्रवेश किया था।
इनमें से एक 42 वर्षीय बिंदू अम्मिनी हैं जो कन्नूर यूनिवर्सिटी में लीगल स्टडीज की सहायक प्रोफेसर हैं।
वहीं दूसरी महिला का नाम कनकदुर्गा है। 44 वर्षीय कनकदुर्गा सिविल सप्लाई कॉर्पोरेशन आउटलेट में सहायक मैनेजर हैं।
फिलहाल दोनों महिलाओं के घर की सुरक्षा बढ़ा दी गई है और उन्हें अज्ञात स्थान पर रखा गया है।
मामला
मंदिर में महिलाओं के प्रवेश पर था प्रतिबंध
माना जाता है कि सबरीमाला मंदिर के मुख्य देवता अयप्पा ब्रह्मचारी थे, और महिलाओं के मंदिर में जाने से उनका ध्यान भंग होता है।
इसलिए यहां 10-50 साल तक की महिलाओं के प्रवेश की अनुमति नहीं थी।
सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में इस परंपरा पर रोक लगाते हुए मंदिर में सभी महिलाओं के प्रवेश की अनुमति दी थी।
कई हिंदूवादी संगठन सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले का विरोध कर रहे हैं।