ओडिशा: गलत ग्रुप का खून चढ़ाने से महिला की मौत, परिजनों ने दर्ज कराई FIR
ओडिशा के सुंदरगढ़ जिले में एक सरकारी अस्पताल में गंभीर लापरवाही का मामला सामने आया है। वहां, अस्पताल के कर्मचारियों ने सिकल सेल एनीमिया से पीड़ित एक 25 वर्षीय महिला को गलत ग्रुप का खून चढ़ा दिया। इससे उसकी पहले तो गंभीर रूप से तबीयत बिगड़ गई और बाद में उसकी मौत हो गई। परिजनों ने इसका विरोध करते हुए कुतरा पुलिस थाने में अस्पताल अधिकारियों के खिलाफ मामला दर्ज करा दिया। पुलिस मामले की जांच में जुटी है।
महिला की गुरुवार को अस्पताल में कराया था भर्ती
NDTV के अनुसार, कुतरा पुलिस थाना निरीक्षक बीके बिहारी ने बताया कि मृतका बुडाकटा गांव निवासी सरोजिनी काकू है। वह लंबे समय से सिकल सेल एनीमिया से पीड़ित थी। गुरुवार को तबीयत बिगड़ने पर उसे राउरकेला सरकारी अस्पताल (RGH) में भर्ती कराया गया था। इस दौरान डॉक्टरों ने उसके खून चढ़ाने को कहा था। खून चढ़ाने के बाद उसकी तबीयत बिगड़ गई। इसके कुछ देर बाद महिला ने दम तोड़ दिया।
परिजनों ने लगाया गलत ग्रुप को खून चढ़ाने का आरोप
निरीक्षक बिहारी ने बताया कि घटना को लेकर परिजनों ने अस्पताल प्रशासन पर महिला को गलत ग्रुप का खून चढ़ाने का आरोप लगाया है। परिजनों का कहना है कि महिला के खून का ग्रुप O पॉजिटिव था, लेकिन अस्पताल प्रशासन ने उसे B पॉजिटिव ग्रुप का खून चढ़ा दिया। इससे उसकी तबीयत बिगड़ने के बाद मौत हो गई। बिहारी ने बताया कि परिजनों की शिकायत के आधार पर मामला दर्ज कर लिया है और शव का पोस्टमार्टम कराया गया है।
अस्पताल प्रशासन ने गठित की जांच समिति
इधर, मामले को लेकर RGH प्रशासन ने जांच समिति की गठन किया है। यह समिति पूरे प्रकरण की जांच करेगी। यदि इसमें किसी भी अधिकारी या कर्मचारी की लापरवाही पाई जाती है तो उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। हालांकि, RGH अधीक्षक जगदीशचंद्र बेहरा ने लापरवाही सी संभावना से इनकार किया। उन्होंने कहा कि यदि महिला को गलत ग्रुप का खून चढ़ाया होता तो महज 10-15 मिनट में ही उसकी मौत हो जाती।
RGH प्रशासन ने दी यह सफाई
मामले में RGH अधीक्षक बेहरा ने कहा कि किसी भी मरीज को जब खून चढ़ाया जाता है तो पहले क्रॉस-मैचिंग की जाती है। उसमें समान ग्रुप का खून होने पर ही उसे मरीजों को चढ़ाया जाता है। उन्होंने कहा कि मरीज को खून चढ़ाने से पहले यह भी जांच की जाती है कि चढ़ाया जाने वाला खून मरीज के शरीर पर कोई बुरा प्रभाव तो नहीं दिखाएगा। इसके बाद ही आगे की प्रक्रिया अपनाई जाती है।