केन्या के सांसद ने 30 साल पहले लिए थे 200 रुपये उधार, अब भारत आकर लौटाए
पैसे उधार लेने के बाद उन्हें लौटाना भी होता है, लेकिन कई लोग ज़्यादा दिन बीत जाने पर भूल जाते हैं और उधार में लिए हुए पैसे को नहीं लौटाते हैं। वहीं, कई लोग इमनदारी से सालों बाद भी पैसा लौटा देते हैं। हाल ही में ऐसी ही इमनदारी की मिसाल औरंगाबाद में देखने को मिली है। दरअसल, केन्या के एक सांसद ने 30 साल पहले एक दुकानदार से कर्ज लिया था, जिसे अब मुंबई आकर लौटाया है।
दरवाज़े पर अनजान विदेशी को देखकर हैरान हो गए गवली
जनकारी के अनुसार, औरंगाबाद के रहने वाले 70 वर्षीय काशीनाथ गवली अपने घर में बैठे हुए थे और अचानक उन्हें दरवाज़े पर दस्तक सुनाई दी। जब उन्होंने दरवाज़ा खोला तो, उनके सामने एक अनजान विदेशी व्यक्ति खड़ा था। गवली कुछ समझ पाते इससे पहले ही व्यक्ति ने कहा कि वह केन्या के सांसद रिचर्ड टोंगी हैं। टोंगी ने गवली को बताया कि उन्होंने 30 साल पहले उनसे 200 रुपये का कर्ज लिया था, जिसे अब वो लौटाने आए हैं।
केन्या लौटने से पहले टोंगी ने गवली से लिए थे 200 रुपये
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि टोंगी, केन्या के न्यारीबरी चाचे निर्वाचन क्षेत्र से सांसद हैं और वह मुंबई में अपना लिया हुआ पुराना कर्ज वापस लौटाने आए थे। 1985 से 1989 के मध्य टोंगी औरंगाबाद के एक स्थानीय कॉलेज में प्रबंधन की पढ़ाई कर रहे थे और अपने देश जाने से पहले उन्होंने गवली से 200 रुपये उधार लिए थे। उस समय गवली वानखेड़ेनगर में राशन की दुकान चलाते थे और टोंगी भी उसी इलाक़े में रहते थे।
मामला सुनकर भाव-विभोर हो गए गवली
शायद इसी वजह से जब टोंगी ने सोमवार को गवली के घर जाकर सारी बातें बताई, तो उनकी ख़ुशी का ठिकाना नहीं रहा। पूरा मामला सुनकर गवली भाव-विभोर हो गए।
उस समय ठीक नहीं थी टोंगी की स्थिति
बता दें कि टोंगी अपनी पत्नी के साथ औरंगाबाद आए थे। टोंगी ने कहा, "मेरे लिए यह एक भावुक यात्रा थी। जब मैं गवली से मिला तो उनकी आँखों से आँसू निकल पड़े।" उन्होंने आगे बताया, "औरंगाबाद में जब मैं पढ़ाई कर रहा था, उस समय मेरी स्थिति ठीक नहीं थी। तब गवली के परिवार ने मेरी मदद की। मैंने सोचा था कि ज़रूर मैं कभी वापस जाऊँगा और अपना कर्ज लौटाऊँगा।"
टोंगी ने गवली को दिया अपने देश आने का न्योता
उन्होंने कहा, "मैं गवली का शुक्रिया अदा करना चाहता था। ईश्वर गवली और उनके बच्चों का भला करें। जब मैं यहाँ था, तो वो मेरे साथ अच्छे से पेश आए थे।" टोंगी ने आगे बताया, "गवली मुझे भोजन कराने के लिए बाहर ले जाना चाहते थे, लेकिन मैंने उनके घर पर ही भोजन करने पर ज़ोर दिया।" जब टोंगी औरंगाबाद से विदा ले रहे थे, तो उन्होंने गवली को अपने देश आने का न्योता भी दिया।