
कर्नाटक: जातीय भेदभाव रोकने के लिए गांवों में सैलून खोलेगी राज्य सरकार
क्या है खबर?
दलितों के बाल काटने में हो रहे भेदभाव की लगातार आती खबरों के बीच कर्नाटक सरकार एक नया कदम उठाने जा रही है।
राज्य के सामाजिक कल्याण विभाग ने सरकारी सैलून खोलने का प्रस्ताव दिया है।
विभाग ने इसके लिए स्थानों की तलाश कर ली है और स्थानीय पंचायतों को उन नाइयों की सूची बनाने का काम सौंपा है, जो ठेके पर इन सैलून में काम करने के इच्छुक हैं।
आइये, इस बारे में विस्तार से जानते हैं।
बयान
जातीय भेदभाव को खत्म करने की दिशा में उठाया गया कदम
द प्रिंट के अनुसार, सामाजिक कल्याण विभाग के एक अधिकारी ने बताया कि यह जातीय भेदभाव और दलित समुदाय के खिलाफ होने वाले अत्याचारों को रोकने की दिशा में एक प्रयास है।
उन्होंने कहा कि सालों से ऐसी खबरें आ रही हैं कि दलित और पिछड़े वर्ग के लोगों को उनके मूल अधिकारों से वंचित किया जा रहा है। सामाजिक कल्याण विभाग ने यह प्रस्ताव इसलिए आगे रखा है ताकि इन भेदभावों पर रोक लग सके।
आरोप
दलितों के बाल काटने पर ऊंची जाति के लोगों ने किया था बहिष्कार
सरकार का यह कदम उन घटनाओं के बाद आया है, जिसमें दलित और पिछड़ी जाति के लोगों को सैलून में जाने से रोक दिया गया था।
बीते सप्ताह मैसूर के एक नाई मल्लिकार्जुन शेट्टी ने आरोप लगाया था कि अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और अन्य पिछड़ा वर्ग के लोगों के बाल काटने के बाद ऊंची जाति के लोगों ने उसका बहिष्कार कर दिया और 50,000 रुपये के जुर्माने की भी मांग की।
शिकायत
शेट्टी ने पुलिस में दी शिकायत
शेट्टी ने इस संबंध में पुलिस में भी शिकायत दी है।
उन्होंने कहा, "ऊंची जाति के लोगों ने मुझे दलितों से ज्यादा पैसे लेने को कहा। मैंने उनसे कहा कि ऐसा नहीं हो सकता क्योंकि सबके लिए दाम एक जैसे रहेंगे, लेकिन उन्होंने कहा कि अगर मैं ज्यादा पैसे लूंगा तो दलित मेरे सैलून पर नहीं आएंगे। बाद में उन्होंने बदला लेते हुए मेरे बेटे को शराब पिला दी और उसे नग्न अवस्था में नाचने पर मजबूर किया।"
कर्नाटक
जातीय भेदभाव की हो चुकी हैं कई घटनाएं
पिछले साल जून में ऐसी खबरें आई थीं कि हासन जिले के हुलिकल गांव के दलितों को बाल कटाने के लिए आठ किलोमीटर पैदल चलकर दूसरे गांव जाना पड़ता था।
लगभग 3,000 की आबादी वाले इस गांव में 150 घर दलितों के हैं। उसके बाद से इलाके में ऐसी कई घटनाएं सामने आ चुकी हैं।
इसे लेकर दलित समुदाय ने पंचायत से सैलून खोलने के लिए जगह मुहैया कराने की मांग की थी, लेकिन उस पर कोई कार्रवाई नहीं हुई।