पुणेः नाबालिग बच्ची के साथ गैंगरेप के जुर्म में महिला को 20 साल की सजा
क्या है खबर?
देश में अपनी तरह के पहले मामले में पुणे सेशन कोर्ट ने एक 34 वर्षीय महिला को नाबालिग बच्ची के साथ गैंगरेप के मामले में 20 साल की सजा सुनाई है। दोषी महिला रिश्ते में बच्ची की मामी है।
इस मामले में महिला के साथ तीन अन्य लोगों को भी 20-20 साल की सजा सुनाई गई है। सजायाफ्ता लोगों में एक पीड़िता का मामा भी शामिल है।
मामला 2016 का है जब पीड़िता नाबालिग अपने मामा के घर गई थी।
मामला
अलग-अलग जगहों पर किया यौन उत्पीड़न
साल 2016 में गर्मियों के छुट्टियों के दौरान नाबालिग के साथ गैंगरेप किया गया था।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, दोषी महिला ने नाबालिग को अलग-अलग स्थानों पर ले जाकर उसका यौन उत्पीड़न किया।
इसी दौरान एक दिन महिला की मदद से तीन पुरुषों ने नाबालिग के साथ गैंगरेप किया।
घर लौटने के बाद नाबालिग ने अपने परिजनों को इस घटना की जानकारी दी, जिसके बाद परिजनों ने पुलिस में मामला दर्ज करवाया।
जानकारी
कई धाराओं के तहत दोषी करार
मामले की जांच होने पर इसकी पूरी परतें पुलिस के सामने आईं। इसके बाद गैंगरेप की जानकारी मिलने पर पुलिस ने पोक्सो एक्ट और गैंगरेप की धाराएं जोड़ीं। कोर्ट ने आरोपियों को भारतीय दंड संहिता और पोक्सो कानून की कई धाराओं के तहत दोषी पाया।
कानून
कुछ दिन पहले किया गया है पॉक्सो कानून में बदलाव
केंद्रीय कैबिनेट ने 28 दिसंबर को पॉक्सो कानून में बदलावों को मंजूरी दी थी।
केंद्रीय कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने बताया कि पॉक्सो कानून को न केवल मजबूत किया गया है बल्कि इसका विस्तार भी किया गया है।
अब 12 साल से कम उम्र के लड़कों के साथ दुष्कर्म के जुर्म में फांसी का प्रावधान किया गया है।
पहले केवल नाबालिग लड़कियों के साथ रेप के अपराध में इस सजा का प्रावधान था।
पॉक्सो
क्या है पॉक्सो कानून?
बच्चों के खिलाफ यौन अपराध रोकने के लिए साल 2012 में बाल यौन अपराध संरक्षण कानून (POCSO) कानून बनाया गया था।
बच्चों के खिलाफ होने वाले यौन अपराधों और छेड़छाड़ के मामलों में इस कानून के तहत कार्रवाई की जाती है।
इस कानून के तहत सभी अपराधों की सुनवाई विशेष न्यायालय द्वारा बच्चे के माता-पिता की मौजूदगी में होती है।
इसके कानून में अलग-अलग प्रावधानों के तहत अलग-अलग सजाएं तय की गई हैं।