देसी कुत्ते लगाएंगे कोरोना संक्रमण का पता, भारतीय सेना ने दिया प्रशिक्षण
देश में अब कुत्ते भी कोरोना वायरस महामारी के खिलाफ लड़ाई में अपना योगदान देंगे। दरअसल, भारतीय सेना कुत्तों को विशेष प्रशिक्षण दे रही है और ये कुत्ते अब व्यक्ति के मूत्र और पसीने के सैंपल से सूंघकर कोरोना संक्रमण का पता लगा सकते हैं। सेना ने अभी तक जया और कैस्पर नाम के कुत्तों को इस काम के लिए प्रशिक्षित कर दिया है और मणि नाम के तीसरे कुत्ते का प्रशिक्षण चल रहा है।
किस नस्ल के हैं ये कुत्ते?
जानकारी के मुताबिक, कैस्पर कॉकर स्पेनियल नस्ल का है तो जया और मणि तमिलनाडु में पाई जाने वाली चिप्पिपराई नस्ल के कुत्ते हैं। इस नस्ल के कुत्तों की टांगें लंबी और शरीर पतला होता है।
बायोमार्कर की पहचान कर संक्रमण का पता लगाते हैं कुत्ते
ये कुत्ते व्यक्ति के पसीने और मूत्र से निकलने वाले विशेष तरह के बायोमार्कर को पहचान कर संक्रमण का पता लगाते हैं। सेना की तरफ से कहा गया है कि जया और कैस्पर को दिल्ली के एक ट्रांजिट कैंप में तैनात किया गया था। यहां उन्होंने 806 सैंपलों की जांच की, जिनमें से 18 कोरोना संक्रमित पाए गए। जो सैंपल कोरोना संक्रमित होते हैं, ये कुत्ते उनके पास जाकर बैठ जाते हैं।
कई देशों में पहले से ये काम कर रहे कुत्ते
दुनिया में ब्रिटेन, फिनलैंड, रूस, फ्रांस, जर्मनी और लेबनान आदि देश पहले से ही कोरोना संक्रमण की पता लगाने के लिए कुत्तों का इस्तेमाल कर रहे हैं। इन देशों ने रेलवे स्टेशनों और हवाई अड्डों पर इन कुत्तों को तैनात किया है। भारत में अभी पहली बार होगा, जब इस काम के लिए कुत्तों की मदद ली जाएगी। हालांकि, फिलहाल इन्हें केवल सेना ही इस्तेमाल कर सकेगी। बाकी जगहों पर अभी इनकी तैनाती नहीं होगी।
16 हफ्तों में प्रशिक्षित किए गए हैं ये कुत्ते
लेफ्टिनेंट कर्नल सुरिंदर सैनी ने बताया कि कोरोना संक्रमण की पहचान के लिए 10 कुत्तों को प्रशिक्षित किया जाएगा। आमतौर पर इस काम के लिए 36 महीने लगते हैं, लेकिन जरूरत को देखते हुए इन्हें 16 सप्ताह में प्रशिक्षण दिया गया है। यह पहली बार नहीं है जब किसी बीमारी की पहचान के लिए कुत्तों की मदद ली जा रही है। कैंसर, मलेरिया, मधुमेह आदि की पहचान के लिए भी यह तरीका अपनाया जा चुका है।
95 प्रतिशत सटीकता के साथ संक्रमण की पहचान कर सकते हैं कुत्ते
चिप्पिपिराई नस्ल के कुत्ते मूत्र के सैंपल तो कॉकर स्पेनियर कुत्ते पसीने से लिए गए सैंपल सूंघकर महामारी की पहचान करेंगे। दोनों ही 95 प्रतिशत तक सटीकता से अपना काम करते हैं। इन कुत्तों को केवल सैंपल सूंघने के काम पर लगाया जाएगा। इसके अलावा उन्हें किसी और काम में इस्तेमाल नहीं किया जाएगा। नौ साल की उम्र तक उनकी यह क्षमता चरम पर होती है। उसके बाद ये कुत्ते रिटायर हो जाते हैं।
इंसानों से कई गुना अधिक होती है कुत्तों के सूंघने की क्षमता
कुत्तों की सूंघने की क्षमता इंसानों से 1,000 गुना अधिक होती है। अभी से पहले किए गए कई शोधों में सामने आ चुका है कि कुत्ते सूंघकर आसानी से कोरोना संक्रमण का पता लगा सकते हैं।
देश में महामारी की क्या स्थिति?
भारत में बीते कुछ हफ्तों से कोरोना संक्रमण की रफ्तार नियंत्रण में है और पिछले दिन कोरोना के 9,110 नए मामले सामने आए। वहीं 78 मरीजों ने इसकी वजह से दम तोड़ा। इसी के साथ देश में कुल संक्रमितों की संख्या 1,08,47,304 हो गई है। इनमें से 1,55,158 लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी है। सक्रिय मामलों की संख्या घटकर 1,43,625 हो गई है। अमेरिका के बाद भारत महामारी से दूसरा सर्वाधिक प्रभावित देश बना हुआ है।