भारत की आबादी अगले 12 सालों में होगी 152 करोड़ के पार, लिंगानुपात में होगा सुधार
भारत की कुल जनसंख्या आगामी 12 सालों में 152.2 करोड़ पर पहुंच जाएगी। इसके अलावा महिला-पुरुष लिंगानुपात भी बढ़कर 952 हो जाएगा। सांख्यिकी एवं कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय (MoSPI) की ओर से सोमवार को जारी की गई 'भारत में महिला और पुरुष 2023' रिपोर्ट में इसका खुलासा हुआ है। रिपोर्ट के अनुसार, साल 2036 तक भारत की आबादी बढ़कर 152.2 करोड़ पर पहुंचने की संभावना है। इसमें महिलाओं का प्रतिशत 2011 के 48.5 से बढ़कर 48.8 प्रतिशत हो जाएगा।
लिंगानुपात में होगी अपेक्षित बढ़ोतरी
रिपोर्ट के अनुसार, साल 2036 तक भारत में लिंगानुपात साल 2011 के प्रत्येक 1,000 पुरुषों पर 943 महिलाओं से बढ़कर 952 पर पहुंचने की उम्मीद है। इसी तरह प्रजनन क्षमता में गिरावट के चलते 15 साल से कम उम्र के बच्चों का अनुपात 2011 की तुलना में कम होने का अनुमान है। इसके उलट, इस अवधि के दौरान 60 वर्ष या उससे अधिक उम्र की जनसंख्या के अनुपात में काफी बढ़ोतरी देखने को मिल सकती है।
35-39 साल के लोगों में अधिक रही प्रजनन दर
रिपोर्ट के अनुसार, साल 2016 से 2020 तक 20 से 24 साल और 25 से 29 साल के युवाओं की प्रजनन दर में कमी आई है। यह क्रमश: 135.4 और 166 से घटकर 113.6 और 139.6 रह गई है। हालांकि, 35-39 वर्ष की आयु के लिए यह दर 32.7 से बढ़कर 35.6 हो गई। यह महिलाओं की परिवार के विस्तार की सोच को दर्शाता है। 2020 में अशिक्षित आबादी में किशोर प्रजनन दर 33.9 और साक्षरों में 11 प्रतिशत थी।
शिशु मृत्यु दर दर में आई कमी
रिपोर्ट के अनुसार, पिछले कुछ वर्षों में शिशु मृत्यु दर में कमी आई है। महिला शिशु मृत्यु दर पुरुषों की तुलना में अधिक है। हालांकि, 2020 में प्रति 1,000 जीवित जन्मों पर 28 शिशुओं के स्तर पर दोनों बराबर थे। 5 साल से कम उम्र के बच्चों की मृत्यु दर 2015 में 43 से घटकर 2020 में 32 रह गई है। लड़कों और लड़कियों दोनों के लिए यही स्थिति है और लड़कों और लड़कियों के बीच अंतर कम हुआ है।