कोरोना वायरस: आंकड़ों के जरिए समझें कैसे पिछले दो हफ्ते में बदली दिल्ली की तस्वीर
देश की राजधानी दिल्ली में सोमवार को कोरोना वायरस से संक्रमण के 1,246 नए मामले सामने आए जो पिछले 35 दिन में सबसे कम हैं। ये स्थिति जून के अंत की उस स्थिति से बिल्कुल उलट है जब शहर में 3,000 और 4,000 के बीच नए मामले सामने आ रहे थे। इसके अलावा शहर में ठीक होने वाले मरीजों की संख्या भी 80 प्रतिशत से अधिक है। आइए जानते हैं कि पिछले 15 दिनों में दिल्ली की तस्वीर कैसे पलटी।
जून में बेहद खराब हो गई थी दिल्ली की स्थिति
दिल्ली में जून की शुरूआत में कोरोना वायरस के मामले तेजी से बढ़ने लगे थे और अस्पतालों में बेडों की कमी होने लगी थी। इस दौरान मौतों की संख्या में भी उछाल आया। शहर में कोरोना वायरस मामलों का पीक 23 जून को आया, जब एक ही दिन में 3,947 नए मामले सामने आए। उस समय दिल्ली में मामलों की वृद्धि दर छह प्रतिशत थी, जो देश में सबसे अधिक थी। वहीं पॉजिटिविटी रेट 40 प्रतिशत तक पहुंच गई थी।
23 जून के बाद पलटी तस्वीर
इस समय दिल्ली का भविष्य अंधकार में दिख रहा था, लेकिन इसके बाद तस्वीर बदलने लगी। 23 जून के बाद से ही नए मामलों में कमी आ रही है और पिछले 16 में से 13 दिन ठीक होने वाले मरीजों की संख्या नए संक्रमितों की संख्या से अधिक रही है। इस महीने की बात करें तो केवल 1 जुलाई और 6 जुलाई दो ऐसे दिन रहे हैं जब नए मामलों की संख्या ठीक हुए मरीजों से ज्यादा रही है।
जुलाई के पहले 13 दिनों में ठीक हुए 32,984 मरीज
टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार, 1 जुलाई से 13 जुलाई के बीच दिल्ली में 26,380 नए मामले सामने आए, वहीं ठीक होने वाले मरीजों की संख्या 32,984 रही। इनमें से छह दिन 2,000 से 3,000 के बीच, तीन दिन 3,000 से 4,000 के बीच और एक दिन (9 जुलाई) को 4,000 से अधिक मरीज ठीक हुए। शहर में 91,312 मरीज ठीक हो चुके हैं और उसका रिकवरी रेट 80.28 प्रतिशत है, जबकि राष्ट्रीय औसत 63 प्रतिशत है।
दिल्ली में पीक कर चुके हैं कोरोना वायरस के मामले?
अगर दिल्ली में अगले कुछ दिन और यही ट्रेंड जारी रहता है तो इसका मतलब होगा कि दिल्ली में कोरोना वायरस की पीक आ चुकी है और दो हफ्ते पहले जो मरीज बीमार हुए थे, वह अब ठीक हो रहे हैं।
टेस्टिंग बढ़ने के बावजूद घटे मामले
सबसे अच्छी बात यह है कि टेस्ट की संख्या तीन-चार गुना बढ़ाए जाने के बावजूद दिल्ली में नए मामलों की संख्या में ये गिरावट आई है। 15 जून से पहले तक दिल्ली में रोजाना 5,000 टेस्ट किए जा रहे थे और इसके बाद टेस्टिंग की संख्या बढ़ाई गई। अब दिल्ली में रोजाना 20,000 से 25,000 के बीच टेस्ट किए जा रहे हैं। शहर की स्थिति सुधरने में टेस्टिंग का एक अहम योगदान है क्योंकि मामले जल्दी पकड़ में आए हैं।
सक्रिय मामलों की संख्या में कमी से अस्पतालों पर दबाव घटा
पिछले दो हफ्ते में दिल्ली में सक्रिय मामलों की संख्या भी घटी है और ये 25,000 से घटकर लगभग 19,000 पर आ गए हैं। इससे शहर के अस्पतालों पर दबाव घटा है और ज्यादातर बेड खाली हैं। दिल्ली सरकार के 'कोरोना ऐप' के अनुसार, सोमवार तक कोरोना वायरस से संबंधित 15,359 बेडों में से मात्र 4,229 (28 प्रतिशत) भरे हुए हैं। इसी तरह कोविड केयर सेंटर्स के 9,127 बेडों में से 7,069 खाली हैं।
मौतों की संख्या में भी आई कमी
दिल्ली में रोजाना होने वाली मौतों की संख्या में भी कमी आई है और जून में एक दिन में लगभग 100 मौतों के बाद ये आंकड़ा सोमवार को घटकर 40 पर आ गया। इसका एक अहम कारण घर पर आइसोलेशन में रह रहे मरीजों को ऑक्सीजन का स्तर मापने के लिए 'ऑक्सीमीटर' देने की रणनीति को माना जा रहा है। इससे मरीजों में ऑक्सीजन का स्तर घटने पर तुरंत जानकारी मिल जाती है और समय पर उपचार मिल जाता है।