दुनिया में तेजी से घट रहे हैं HIV और AIDS के मामले, जानिए क्या है कारण
दुनिया के लिए चिंता का सबब बनी ह्यूमन इम्यूनोडेफिशिएंसी वायरस (HIV) और AIDS (एड्स) को लेकर एक राहत देने वाली खबर सामने आई है। लैंसेट के एक नए शोध से पता चला है कि दुनियाभर में HIV संक्रमण और AIDS से होने वाली मौतों में सुधार हुआ है। शोध में बताया गया है कि 2010 के दशक में नए HIV संक्रमणों में 20 प्रतिशत की गिरावट और AIDS से संबंधित मौतों में 40 प्रतिशत की गिरावट आई है।
कहां दिख रहा है सबसे अधिक सुधार
रिपोर्ट के मुताबिक, HIV से सबसे ज़्यादा प्रभावित उप-सहारा अफ़्रीका है, जहां सबसे ज़्यादा सुधार देखने को मिला है। हालांकि, पूर्वी यूरोप और मध्य पूर्व समेत कुछ क्षेत्रों में नए संक्रमणों की संख्या में वृद्धि हुई है। शोध में बताया गया है कि हर साल 10 लाख से अधिक लोग अब भी HIV की चपेट में आ रहे हैं और HIV से पीड़ित 4 करोड़ लोगों में से लगभग एक चौथाई को अब भी उपचार नहीं मिल रहा है।
भारत में क्या है स्थिति?
भारत की केंद्रीय स्वास्थ्य राज्य मंत्री अनुप्रिया पटेल ने सितंबर में बताया था कि 2010 के बाद से देश के वार्षिक HIV संक्रमण में 44 प्रतिशत की कमी आई है। HIV के प्रसार को नियंत्रित करने के लिए केंद्र सरकार पूरी तरह वित्तपोषित राष्ट्रीय AIDS और STD नियंत्रण कार्यक्रम (2021-2026) के पांचवें चरण में है। 2023 में दुनिया में 1.30 करोड़ नए HIV के मामले सामने आए, जो 2030 तक AIDS को समाप्त करने के लक्ष्य को दूर करते हैं।
संक्रमण पर कैसे लग रहा नियंत्रण?
संक्रमण को नियंत्रण करने के लिए वैसे तो कई विकल्प हैं, लेकिन प्री-एक्सपोज़र प्रोफिलैक्सिस (PrEP) जैसे उपचार ने इसमें महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। PrEP की गोलियां यौन संपर्क से HIV के संक्रमण के जोखिम को 99 प्रतिशत तक कम कर सकती हैं। इसके अलावा जो HIV से पीड़ित हैं, उनके लिए एंटीरेट्रोवाइरल थेरेपी (ART) संक्रमण को दबा रही है, जिससे संक्रमित व्यक्ति सामान्य जिंदगी जी सकता है। गरीब देशों में यह उपचार ज्यादा संभव नहीं हो पा रहा है।
नई दवा पर उम्मीद
HIV और AIDS को रोकने के लिए नई दवा लेनाकापाविर सामने आई है, जिसके शुरूआती परीक्षण में पता चला है कि यह 100 प्रतिशत प्रभावी है। इसमें हर साल 2 इंजेक्शन की जरूरत होगी। यह दवा बनाने वाली कंपनी गिलियड ने भारत की डॉ रेड्डीज लैबोरेटरीज और एमक्योर फार्मास्यूटिकल्स सहित 6 जेनेरिक दवा निर्माताओं के साथ साझेदारी की है। अभी संक्रमण की वैक्सीन नहीं बनी है, लेकिन लेनाकापाविर को एक वैक्सीन की तरह बताया जा रहा है।