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सरकार के आरोपों पर किसानों का जबाव, बोले- उपद्रवी तत्वों को जेल में डाल दो

सरकार के आरोपों पर किसानों का जबाव, बोले- उपद्रवी तत्वों को जेल में डाल दो

Dec 12, 2020
03:17 pm

क्या है खबर?

वामपंथी और असामाजिक तत्वों के किसानों के आंदोलन को हाइजैक करने के केंद्र सरकार के आरोपों का जबाव देते हुए किसानों ने ऐसे किसी भी तत्व को तुरंत गिरफ्तार करके जेल में डालने को कहा है। भारतीय किसान संघ (BKU) के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने कहा कि उन्हें ऐसे किसी भी उपद्रवी तत्व की जानकारी नहीं है और अगर प्रतिबंधित संगठनों के लोग किसानों के बीच घूम रहे हैं तो सरकार को उन्हें पकड़ना चाहिए।

पृष्ठभूमि

सरकार ने क्या कहा था?

किसानों के साथ बातचीत में कोई समाधान न निकलने के बाद शनिवार को केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद और पीयूष गोयल ने वामपंथियों और "टुकड़े-टुकड़े गैंग" पर किसानों के आंदोलन को हाइजैक करने का आरोप लगाया था। गोयल ने ट्वीट करते हुए लिखा था, "भारत के लोग देख रहे हैं कि क्या हो रहा है... कैसे वामपंथियों-माओवादियों को देशभर में कोई समर्थन नहीं मिल रहा है और इसलिए वे किसानों के आंदोलन को हाइजैक करने की कोशिश कर रहे हैं।"

बयान

राकेश टिकैत बोले- उपद्रवी तत्वों को जेल में बंद कर दे सरकार

सरकार के इन आरोपों का जबाव देते हुए राकेश टिकैत ने समाचार एजेंसी ANI से कहा कि प्रदर्शनकारी किसानों को अपने प्रदर्शन में किसी भी उपद्रवी तत्व के शामिल होने की खबर नहीं है। उन्होंने कहा, "केंद्रीय एजेंसियों को ऐसे लोगों को पकड़ना चाहिए। अगर किसी प्रतिबंधित संगठन के लोग हमारे बीच घूम रहे हैं तो उन्हें जेल में बंद कर दो। हमें यहां ऐसा कोई शख्स नहीं मिला है। अगर हमें मिलता है तो हम उसे भगा देंगे।"

गैर-राजनीतिक

अपने आंदोलन को गैर-राजनीतिक बताते रहे हैं किसान

बता दें कि किसान शुरू से कहते रहे हैं कि उनका आंदोलन पूरी तरह से गैर-राजनीतिक है और सिंघू में प्रदर्शन की मुख्य जगह पर किसी भी राजनीतिक नेता को बोलने नहीं दिया गया है। हालांकि प्रदर्शन को ज्यादातर विपक्षी पार्टियों और नेताओं का समर्थन मिला है और इसमें कुछ विवाद भी हुए हैं। प्रदर्शन की एक जगह पर उमर खालिद और सुधा भारद्वाज की रिहाई की मांग करने वाले पोस्टर्स पर भी जमकर विवाद हुआ था।

पृष्ठभूमि

क्यों प्रदर्शन कर रहे हैं किसान?

मोदी सरकार कृषि क्षेत्र में सुधार के लिए तीन कानून लेकर लाई है जिनमें सरकारी मंडियों के बाहर खरीद के लिए व्यापारिक इलाके बनाने, अनुबंध खेती को मंजूरी देने और कई अनाजों और दालों की भंडारण सीमा खत्म करने समेत कई प्रावधान किए गए हैं। पंजाब और हरियाणा समेत कई राज्यों के किसान इन कानूनों का जमकर विरोध कर रहे हैं। उनका कहना है कि इनके जरिये सरकार मंडियों और न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) से छुटकारा पाना चाहती है।

बातचीत

किसानों और सरकार के बीच हो चुकी है पांच दौर की बैठक

इन कानूनों के खिलाफ किसान पिछले कई महीने से सड़कों पर हैं और 25 नवंबर से दिल्ली के आसपास डटे हुए हैं। किसानों और सरकार के बीच पांच दौर की बैठक भी हो चुकी है, हालांकि इनमें समाधान का कोई रास्ता नहीं निकला है। सरकार ने किसानों को कानूनों में संशोधन का प्रस्ताव दिया है, हालांकि किसानों ने इस प्रस्ताव को खारिज कर दिया है और वे कानूनों को वापस लिए जाने की मांग पर अड़े हुए हैं।