
2005 से पहले पिता की मौत पर भी बेटियों को मिलेगी पैतृक संपत्ति में बराबर हिस्सेदारी
क्या है खबर?
सुप्रीम कोर्ट ने आज अपने एक आदेश में साफ किया कि सितंबर, 2005 में हिंदू उत्तराधिकार (संशोधन) अधिनियम लागू होने से पहले पिता की मौत होने पर भी पैतृक संपत्ति पर बेटियों का बराबर का अधिकार होगा। इसका मतलब 2005 से पहले पैदा हुई सभी बेटियों का अपने पिता की संपत्ति पर बराबर का अधिकार होगा।
अब तक इस विषय पर स्थिति स्पष्ट नहीं थी और मामले में सुप्रीम कोर्ट के दो विपरीत फैसले थे।
पृष्ठभूमि
संशोधन के जरिए बेटियों को दिया गया था पैतृक संपत्ति में बराबर का अधिकार
9 सितंबर, 2005 को लागू हुए हिंदू उत्तराधिकार (संशोधन) अधिनियम के जरिए हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम, 1956 में संशोधन करके बेटियों को पिता की संपत्ति में बराबर का अधिकार दिया गया था।
तब से इस अधिनियम से संबंधित कई मामले सुप्रीम कोर्ट में आ चुके हैं जिनमें कोर्ट साफ कर चुकी है कि 2005 में अधिनियम लागू होने से पहले जन्मी बेटियों का भी पैतृक संपत्ति पर बराबर अधिकार होगा।
अस्पष्टता
दो विपरीत आदेशों के कारण थी बेटियों के अधिकार पर अस्पष्टता
हालांकि पिता की मौत से संबंधित एक मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट के दो विपरीत आदेश थे, जिनके कारण बेटियों के अधिकार पर अस्पष्टता बनी हुई थी।
2015 में प्रकाश बनाम फूलवती मामले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि संशोधित अधिनियम के तहत दिए गए अधिकार 9 सितंबर, 2005 को जिंदा पिताओं की जिंदा बेटियों पर लागू हैं। इसका मतलब अगर 9 सितंबर, 2005 से पहले पिता की मौत हो गई है तो बेटी को संपत्ति में हिस्सा नहीं मिलेगा।
दूसरा फैसला
2018 में सुप्रीम कोर्ट ने कहा- बेटियों को बेटों वाले सभी अधिकार प्राप्त
वहीं फरवरी, 2018 में दनम्मा बनाम अमर मामले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि 2005 का संशोधित अधिनियम बेटियों को पैतृक संपत्ति में वे सभी अधिकार देता है जो बेटों को प्राप्त हैं। इसका मतलब 2005 में अधिनियम लागू होने से पहले पिता की मौत हो गई है तो भी पैतृक संपत्ति पर बेटी का बराबर का अधिकार होगा।
दिल्ली हाई कोर्ट ने अपनी एक सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट के इन फैसलों में अंतर को रेखांकित किया था।
ताजा फैसला
अब सुप्रीम कोर्ट ने किया साफ, बेटियों के पास बेटों वाले सभी अधिकार
नवंबर, 2018 में सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश एके सीकरी ने मामले में तीन सदस्यीय बेंच द्वारा सुनवाई की जरूरत बताई और इसके बाद से न्यायाधीश अरुण मिश्रा, एस अब्दुल नजीर और एमआर शाह की बेंच मामले पर सुनवाई कर रही है।
आज मामले में अपना फैसला सुनाते हुए इस बेंच ने साफ किया कि बेटियों को पैतृक संपत्ति में उत्तराधिकार के वही सब अधिकार प्राप्त हैं जो बेटों को होते हैं।
आदेश
शर्तें बेटियों के बराबर के अधिकार के खिलाफ- सुप्रीम कोर्ट
अपना फैसला सुनाते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अधिनियम में संशोधन का मकसद बेटियों को बराबरी प्रदान करना था और ये सभी शर्तें इसमें बाधा हैं। कोर्ट ने साफ किया कि अगर पिता की मौत अधिनियम लागू होने से पहले हो गई है तो भी बेटी को पैतृक संपत्ति में बराबर की हिस्सेदारी मिलेगी।
इसके अलावा कोर्ट ने ये भी साफ किया कि 2005 से जन्मी बेटियों का भी संपत्ति पर बराबर का हक होगा।