अकबर-रमानी मानहानि केस: दो साल सुनवाई के बाद अदालत बोली- हमारे अधिकार क्षेत्र में नहीं मामला
लगभग दो सालों तक पूर्व विदेश राज्यमंत्री एमजे अकबर द्वारा दायर किया गया आपराधिक मानहानि का मामला सुनने के बाद अदालत ने कहा कि वह अब इस मामले में और सुनवाई नहीं कर सकती। अदालत ने कहा कि यह यह किसी सांसद और विधायक के खिलाफ मामला नहीं है। यह सांसद द्वारा दायर किया गया मामला है। सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों पर इसे किसी 'सक्षम अदालत' को स्थानांतरित करने की आवश्यकता है। आइये, पूरी खबर जानते हैं।
क्या है मामला?
पत्रकार प्रिया रमानी ने एमजे अकबर के खिलाफ यौन उत्पीड़न का आरोप लगाए थे। इसके बाद अकबर ने उनके खिलाफ आपराधिक मानहानि का मुकदमा किया था। आरोप सामने आने के बाद अकबर को मंत्रीमंडल से इस्तीफा देना पड़ा था।
अंतिम दौर में थी सुनवाई
इस मामले की सुनवाई अपने आखिरी दौर में थी और दोनों पक्षों ने अपनी अंतिम तर्क पेश कर दिए थे। 19 सितंबर को हुई अंतिम सुनवाई में अकबर की वकील गीता लुथरा ने रमानी की वकील रेबेक्का जॉन के तर्कों का जवाब देने के लिए समय मांगा था। उन्हें अपनी बात रखने के लिए दो दिन का समय मिला था। मंगलवार को लुथरा ने अपने तर्क रखने शुरू किए थे, तभी अदालत ने मामले को स्थानांतरण करने की बात कही।
सांसद या विधायक के खिलाफ नहीं है मामला- अदालत
अतिरिक्त मुख्य मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट (ACMM) विशाल पाहुजा ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट की तरफ से निर्देश हैं। आगे की कार्रवाई के लिए यह मामला जिला और सेशल जज के सामने रखा जाना चाहिए। यह अदालत केवल सांसदों और विधायकों के खिलाफ दर्ज मामले सुनेगी। कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि यह मामला किसी विधायक या सांसद के खिलाफ नहीं है। इसलिए इसे आगे की कार्रवाई के लिए राउज एवेन्यू जिला अदालत में रखा जाएगा।
अक्टूबर 2018 से चल रहा है मामला
अक्टूबर 2018 से इस मामले की सुनवाई ACMM समर विशाल कर रहे थे। इसके बाद यह मामला ACMM पाहुजा की स्थानांतरित कर दिया गया। वो 21 नवंबर, 2019 से इस मामले को सुन रहे थे। इसी दौरान प्रिया रमानी के बयान दर्ज किए गए थे। उन्होंने ही कई दिनों तक चले दोनों पक्षों के अंतिम तर्कों को सुना था। इस प्रकार इस मामले की अधिकतर सुनवाई पूरी हो चुकी थी और यह अपने अंतिम चरण में पहुंच गया था।
यह निराश करने वाला है- रमानी की वकील
अदालत के फैसले पर प्रतिक्रिया देते हुए रमानी की वकील रेब्बेका ने इंडियन एक्सप्रेस से कहा कि अगर मामला नई अदालत में जाता है तो उन्हें अपने तर्क फिर से रखने होगी। उन्होंने कहा कि ऐसे स्थानांतरण अक्सर होते हैं। जब तक फैसला सुरक्षित नहीं रखा जाता तब तक मामले स्थानांतरित होते रहे हैं, लेकिन यह काफी निराश कर देने वाला होता है। उन्होंने कहा, "मैंने तर्क रखने में पांच दिन बिताए थे। अब वैसे ही प्रयास काफी मुश्किल होंगे।"
जिला जज की टिप्पणी का इंतजार- लुथरा
वहीं अकबर की वकील गीता लुथरा ने कहा, "हमें अपनी बात पूरी करनी है और आरोपियों की तरफ से उठाए गए बिंदुओं का जवाब देना है। यह लगभग खत्म होने वाला था। अब हमें इंतजार करना पड़ेगा कि जिला जज क्या कहते हैं।"