प्रशांत भूषण का सुप्रीम कोर्ट से माफी मांगने से इनकार, कहा- अंतरात्मा की अवमानना होगी
क्या है खबर?
कोर्ट की अवमानना के मामले में वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण ने सोमवार को फिर से सुप्रीम कोर्ट से माफी मांगने से इनकार कर दिया।
उन्होंने कहा कि उनके बयान सद्भावनापूर्ण थे और अगर वो माफी मांगते हैं तो यह उनकी अंतरात्मा और उस संस्थान की अवमानना होगी जिसमें वो सबसे ज्यादा विश्वास रखते हैं।
बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने गत गुरुवार को सजा पर सुनवाई टालते हुए उन्हें बयान पर पुनर्विचार के लिए दो दिन का समय दिया था।
पृष्ठभूमि
प्रशांत भूषण ने जून में किए थे विवादित ट्वीट
प्रशांत भूषण ने जून में दो ट्वीट करते CJIs की आलोचना की थी। 27 जून के ट्वीट में उन्होंने लिखा था कि बिना आधिकारिक आपातकाल के भारत में लोकतंत्र खत्म हो गया। इसके लिए सुप्रीम कोर्ट के पिछले चार CJIs की भूमिका को चिन्हित किया जाएगा।
इसी तरह 29 जून के ट्वीट में उन्होंने CJI बोबड़े की हार्ले डेविडसन बाइक की सवारी करते हुए फोटो पोस्ट कर लिखा था कि CJI आनंद ले रहे हैं और सुप्रीम कोर्ट बंद है।
जवाब
भूषण ने सुप्रीम कोर्ट को लिखित में दिया अपना जवाब
TOI के अनुसार अपने जवाब में भूषण ने लिखा, 'मेरे ट्वीट्स सद्भावनापूर्वक थे, जिस पर मैं आगे भी कायम रहना चाहता हूं। इन मान्यताओं पर अभिव्यक्ति के लिए सशर्त या बिना शर्त की माफी निष्ठाहीन होगी।'
उन्होंने कहा, 'मैंने पूरे सत्य और विवरण के साथ इन बयानों को दिया है जो अदालत द्वारा निपटाए नहीं गए हैं। यदि मैं बयान से मुकर जाऊं तो मेरी अंतरात्मा और उस संस्थान की अवमानना होगी जिसमें मैं सबसे ज्यादा विश्वास रखता हूं।'
उम्मीद
लोगों को सर्वोच्च न्यायालय से है सबसे अधिक उम्मीद- भूषण
भूषण ने लिखा, 'आज के परेशानी भरे दौर में, भारत के लोगों को अगर किसी से उम्मीद है तो वो सर्वोच्च न्यायालय है ताकि देश में कानून व्यवस्था और संविधान को स्थापित रखा जा सके, ना कि किसी निरंकुश व्यवस्था को।'
उन्होंने आगे लिखा, 'यही वजह है कि जब चीजें भटकती हुई दिखें तो हम बोलें। इस अदालत से मिला जिम्मेदारी का एहसास ही हमें यह विशेष कर्तव्य देता है। ऐसे में माफी केवल एक अभियोग नहीं हो सकता है।'
दलील
सजा पर सुनवाई के दौरान भूषण ने यह दी थी दलील
गत गुरुवार को सजा पर हुई सुनवाई में भूषण ने कहा था, "मुझे यह विश्वास करना मुश्किल है कि कोर्ट ने पाया कि मेरे ट्वीट ने संस्था की नींव को अस्थिर करने का प्रयास किया।"
उन्होंने कहा, "मैं केवल यह दोहरा सकता हूं कि ये दो ट्वीट मेरे प्रामाणिक विश्वासों का प्रतिनिधित्व करते हैं, जिसकी अभिव्यक्ति किसी भी लोकतंत्र में स्वीकार्य होनी चाहिए।"
इसके बाद शीर्ष अदालत ने उन्हें बयान पर पुनर्विचार के लिए दो दिन का समय दिया था।
दोषी
अदालत ने भूषण को ठहराया है अवमानना का दोषी
बता दें कि 63 वर्षीय प्रशांत भूषण को उनके दो ट्वीट्स के लिए कोर्ट की अवमानना का दोषी ठहराया जा चुका है और सुप्रीम कोर्ट का मानना है कि भूषण के ट्वीट्स से सुप्रीम कोर्ट की गरिमा को धक्का लगा है।
अब सुप्रीम कोर्ट द्वारा समय दिए जाने के बाद भूषण के माफी मांगने से इनकार करने पर उन्हें सजा सुनाई जा सकती है। इसमें अधिकतम छह महीने की सजा या जुर्माना या फिर दोनों ही हो सकते हैं।