बॉम्बे हाई कोर्ट ने दिल्ली विश्वविद्यालय के पूर्व प्रोफेसर जीएन साईबाबा समेत 5 को बरी किया
बॉम्बे हाई कोर्ट की नागपुर पीठ ने माओवादियों से जुड़े मामले में दिल्ली विश्वविद्यालय के पूर्व प्रोफेसर जीएन साईबाबा समेत 5 अन्य को मंगलवार को बरी कर दिया। बार एंड बेंच के मुताबिक, न्यायमूर्ति विनय जोशी और एसए मेनेजेस की पीठ ने सेशन कोर्ट के उस फैसले को रद्द किया, जिसमें 2017 में साईबाबा और अन्य को दोषी ठहराया गया था। हाई कोर्ट पहले भी उन्हें अक्टूबर, 2022 में बरी कर चुका है। साईबाबा फिलहाल नागपुर सेंट्रल जेल में हैं।
क्या है मामला?
गढ़चिरौली की सेशन कोर्ट ने मार्च, 2017 में साईबाबा और अन्य को कथित माओवादी से संबंध और देश के खिलाफ युद्ध छेड़ने जैसी गतिविधियों में शामिल होने के लिए दोषी ठहराया था। फैसले के खिलाफ साईबाबा को बॉम्बे हाई कोर्ट से 2022 में राहत मिली, लेकिन महाराष्ट्र सरकार फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट पहुंच गई। सुप्रीम कोर्ट ने अप्रैल, 2023 को हाई कोर्ट के फैसले को रद्द कर मामले को नए सिरे से विचार के लिए हाई कोर्ट भेज दिया।
साईबाबा पर क्या आरोप थे?
99 प्रतिशत विकलांग साईबाबा (54) व्हीलचेयर पर हैं। वह रामलाल आनंद कॉलेज में अंग्रेजी के प्रोफेसर थे। वह 2014 में गिरफ्तार हुए थे। जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के छात्र हेम मिश्रा की गिरफ्तारी के बाद साईबाबा पर सख्ती हुई। मिश्रा ने बताया था कि वह छत्तीसगढ़ के अबुजमाड़ जंगलों में छिपे माओवादी और प्रोफेसर के बीच संदेशवाहक था। प्रोफेसर के साथ हेम मिश्रा, महेश तिर्की, विजय तिर्की, नारायण सांगलिकर, प्रशांत राही और पांडु नरोटे (अब मृतक) को रिहा किया गया है।