अयोध्या: ध्वजारोहण और पौधारोपण के साथ किया गया मस्जिद का शिलान्यास
उत्तर प्रदेश के अयोध्या में आज गणतंत्र दिवस के मौके पर ध्वजारोहण और पौधारोपण के साथ मस्जिद शिलान्यास किया गया। अयोध्या जमीन विवाद में मुस्लिम पक्ष को दी गई पांच एकड़ जमीन पर ये मस्जिद बनाई जानी है और उत्तर प्रदेश सुन्नी वक्फ बोर्ड के सदस्यों ने धनीपुर गांव में इसका शिलान्यास किया। इस मस्जिद का नाम भी स्वतंत्रता सेनानी मौलवी अहमदुल्ला शाह के नाम पर रखने की तैयारी की जा रही है।
सुप्रीम कोर्ट ने सुनाया था मुस्लिम पक्ष को पांच एकड़ जमीन देेने का आदेश
9 नवबंर, 2019 को अयोध्या के बहुचर्चित जमीन विवाद में फैसला सुनाते हुए सुप्रीम कोर्ट ने विवादित 2.77 एकड़ जमीन पर राम मंदिर बनाने का आदेश दिया था। इसके अलावा कोर्ट ने मस्जिद निर्माण के लिए अयोध्या में ही पांच एकड़ जमीन दिए जाने का आदेश दिया था। इस आदेश के बाद उत्तर प्रदेश सुन्नी वक्फ बोर्ड को धनीपुर गांव में पांच एकड़ जमीन दी गई थी जो राम मंदिर की जमीन से लगभग 25 किलोमीटर दूर है।
पहले पौधारोपण और फिर ध्वजारोहण कर किया गया मस्जिद का शिलान्यास
हाल ही में उत्तर प्रदेश सुन्नी वक्फ बोर्ड ने गणतंत्र दिवस पर इस मस्जिद का शिलान्यास करने का ऐलान किया था और आज सुबह 8:15 बजे उसके और मस्जिद निर्माण के लिए बने इंडो-इस्लामिक कल्चरल फाउंडेशन (IICF) ट्रस्ट के सदस्य मौके पर पहुंच गए। इसके बाद ट्रस्ट के सभी नौ सदस्यों ने पौधे लगाए और फिर ध्वजारोहण का मस्जिद का शिलान्यास किया। पौधे लगाने वालों में उत्तर प्रदेश सुन्नी वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष जफर फारुकी भी शामिल रहे।
मस्जिद के साथ बनना है अस्पताल और रिसर्च सेंटर
बता दें कि मस्जिद निर्माण का शिलान्यास भले ही हो गया है, लेकिन इसका निर्माण कार्य अभी शुरू नहीं होगा। अभी इसकी मिट्टी की जांच की जा रही है और इसकी रिपोर्ट आने के बाद ही निर्माण कार्य शुरू किया जाएगा। रिपोर्ट 15 दिनों में आ सकती है। मस्जिद का नक्शा पारित हो चुका है और इसमें पांच एकड़ जमीन के बीचोंबीच अस्पताल, पुस्तकालय और शैक्षिक और रिसर्च सेंटर भी बनाए जाने हैं।
कौन हैं मौलवी अहमदुल्ला शाह जिनके नाम पर रखा जाना है मस्जिद का नाम?
मस्जिद का नाम स्वतंत्रता सेनानी मौलवी अहमदुल्ला शाह के नाम पर रखे जाने की खबरें भी हैं। शाह ने 1857 के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम में अवध का प्रतिनिधित्व किया था और मुगल बादशाह बहादुर शाह जफर की गिरफ्तारी के बाद भी वह कई महीनों तक अंग्रेजों से लड़ते रहे थे। फैजाबाद (अब अयोध्या) को उनकी कर्मभूमि माना जाता है और इस कारण उन्हें अहमदुल्लाह शाह फैजाबादी कहकर भी संबोधित किया जाता है।
अंग्रेजों ने मौलवी शाह के ऊपर रखा था 50,000 रुपये का इनाम
अंग्रेज मौलवी शाह से इतने परेशान हो गए थे कि तब उन्होंने उनके सिर पर 50,000 रुपये का इनाम रखा था। इस इनाम के लालच में शाहजहांपुर के राजा जगन्नाथ सिंह के भाई बलदेव सिंह ने धोखे से गोली मारकर उनकी हत्या कर दी थी।