फिल्मों के प्री-रिलीज बिजनेस का क्या है फॉर्मूला? जानें इसका पूरा गणित
आजकल फिल्मों के बिजनेस का फॉर्मूला बिल्कुल बदल गया है। फिल्में थिएटर में रिलीज होने से पहले ही करोड़ों रुपये की कमाई कर लेती हैं। हाल में आई एसएस राजामौली की फिल्म 'RRR' ने थिएटर में आने से पहले ही 750 करोड़ रुपये का बिजनेस कर लिया था। इसे ही प्री-रिलीज बिजनेस कहा जाता है। आइए जानते हैं कि थिएटर में रिलीज होने से पहले फिल्में कैसे कर लेती हैं करोड़ों रुपये की कमाई।
डिस्ट्रीब्यूटर्स से होती है मोटी कमाई
फिल्मों की कमाई का सबसे बड़ा जरिया डिस्ट्रीब्यूटर्स हैं। प्रोड्यूसर्स फिल्म को थिएटर में लाने के लिए डिस्ट्रीब्यूटर्स से डील करते हैं। जब डील पक्की हो जाती है, तो प्रोड्यूसर्स फिल्म के डिस्ट्रीब्यूशन राइट्स एक बड़ी कीमत पर डिस्ट्रीब्यूटर्स को बेच देते हैं। बैनर और स्टारकास्ट के अनुसार डिस्ट्रीब्यूशन राइट्स की कीमत तय होती है। इससे डिस्ट्रीब्यूटर्स को थिएट्रिकल राइट्स मिल जाते हैं और फिर फिल्में सिनेमाघरों में आती हैं। डिस्ट्रीब्यूटर्स अपने हिस्से का मुनाफा थिएटर मालिकों से वसूलते हैं।
फिल्मों की प्री-बुकिंग
बड़ी फिल्मों की प्री-बुकिंग रिलीज से पहले शुरू हो जाती है। बड़े स्टार की फिल्मों के टिकट खरीदने के लिए पहले से ही होड़ मची रहती है। प्री-बुकिंग से फिल्में रिलीज से पहले करोड़ों रुपये बटोर लेती हैं। पिछले साल रिलीज हुई हॉलीवुड फिल्म 'स्पाइडर मैन: नो वे होम' की प्री-बुकिंग ने सभी को हैरान कर दिया था। फिल्म के पहले दिन के शो के लिए रिलीज से पहले एक लाख टिकट बिके थे। 'RRR' की प्री-बुकिंग भी बंपर रही।
डिजिटल और सैटेलाइट राइट्स
OTT प्लेटफॉर्म के उभार के साथ ही फिल्मों की कमाई का तंत्र बदल गया है। आमतौर पर थिएटर में रिलीज होने के आठ सप्ताह बाद फिल्में OTT पर आती हैं। रिलीज से पहले ही मेकर्स और स्ट्रीमिंग प्लेटफॉर्म के बीच एक बड़ी कीमत पर डील हो जाती है। सैटेलाइट राइट्स के अंतगर्त टीवी पर प्रसारण के अधिकार बेचे जाते हैं। इसका मतलब है कि जिसके पास फिल्म के सैटेलाइट राइट्स होंगे, उसे ही टीवी पर प्रसारण का अधिकार मिलेगा।
म्यूजिक राइट्स और स्पॉन्सर्स की भूमिका
प्री-रिलीज बिजनेस में म्यूजिक राइट्स और स्पॉन्सर्स की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। फिल्म के म्यूजिक के लिए कंपनियों को भारी-भरकम राशि का भुगतान करना पड़ता है। इसके बाद ही किसी कंपनी को म्यूजिक राइट्स मिलते हैं। म्यूजिक राइट्स के अलावा स्पॉन्सर्स के साथ भी रिलीज से पहले ही डील हो जाती है। इस डील के तहत उन कंपनियों के नाम, लोगो या प्रोडक्ट फिल्म में दिखाए जाते हैं। इसका मकसद प्रोडक्ट का विज्ञापन करना होता है।
न्यूजबाइट्स प्लस (फैक्ट)
बड़े बैनर की फिल्में कई भाषाओं में डब होती हैं और इसे विभिन्न प्लेटफॉर्म पर रिलीज किया जाता है। डबिंग राइट्स को बेचकर भी मेकर्स अच्छा-खासा पैसा वसूल लेते हैं। इसे भी प्री-रिलीज बिजनेस का जरिया माना जा सकता है।