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फिल्म 'कौन प्रवीण तांबे'? रिव्यू: जिद्दी दिल की इस कहानी में श्रेयस तलपड़े ने फूंकी जान
जानिए कैसी है फिल्म ‘कौन प्रवीण तांबे?’

फिल्म 'कौन प्रवीण तांबे'? रिव्यू: जिद्दी दिल की इस कहानी में श्रेयस तलपड़े ने फूंकी जान

Apr 01, 2022
08:40 pm

क्या है खबर?

क्रिकेट जगत में ऐसी तमाम कहानियां मौजूद हैं, जिनमें संघर्ष और इंतजार की लंबी इबारत लिखी गई है। ऐसी ही एक कहानी क्रिकेटर प्रवीण तांबे की है। उनके जीवन पर बनी फिल्म 'कौन प्रवीण तांबे?' आज यानी 1 अप्रैल को डिज्नी प्लस हॉटस्टार पर रिलीज हो गई है। जयप्रद देसाई के निर्देशन में बनी इस फिल्म में श्रेयस तलपड़े, आशीष विद्यार्थी, परमब्रत चक्रवर्ती और अंजली पाटिल अहम भूमिका निभा रही हैं। आइए फिल्म देखने से पहले पढ़िए इसका रिव्यू।

कहानी

सपनों के पीछे भागने की कहानी

कहानी एक क्रिकेटर प्रवीण तांबे (श्रेयस तलपड़े) की है, जिसे जीतने की जिद है। एक ऐसा व्यक्ति, जिसकी नौकरी के बाद शादी हो जाती है। वह पिता भी बन जाता है, लेकिन राज्य और देश की टीम में क्रिकेट खेलने की जगह उसे नहीं मिलती। पहला मौका उसे 41 की उम्र में मिलता है, जिस उम्र में क्रिकेटर रिटायर होने की तैयारी करता है। अब खेल की दुनिया में प्रवीण के चमत्कार देखने के लिए आपको यह फिल्म देखनी होगी।

अभिनय

फिल्म में दिखी अभिनय की दमक

श्रेयस अपने बेहतरीन अभिनय का सबूत कई फिल्मों में दे चुके है। एक बार फिर उन्होंने साबित कर दिया है कि प्रतिभा किसी की मोहताज नहीं होती। प्रवीण तांबे का किरदार पर्दे पर उन्होंने बखूबी जिया है। एक साधारण इंसान के रूप में वह खूब जमे हैं। उनकी पत्नी बनीं अंजली पाटिल और कोच आशीष विद्यार्थी ने भी अपने सुलझे हुए अभिनय का परिचय दिया है। खेल पत्रकार बने परमब्रत चकवर्ती ने भी अपने रोचक किरदार से छाप छोड़ी है।

जानकारी

जानिए प्रवीण तांबे के बारे में

तांबे को 2013 में राजस्थान रॉयल्स ने खरीदा था और IPL में खेलने वाले सबसे उम्रदराज खिलाड़ी बने थे। तांबे ने बिना कोई फर्स्ट-क्लास मैच खेले IPL डेब्यू किया था। उन्होंने 33 IPL मैचों में 7.75 की इकॉनमी के साथ 28 विकेट लिए हैं।

निर्देशन

निर्देशन की कसौटी पर खरे उतरे जयप्रद देसाई

निर्देशन की बात करें तो मराठी निर्देशक जयप्रद देसाई ने बड़ी सहजता से 2 घंटे 13 मिनट की इस फिल्म को पर्दे पर समेटा है। इसमें मेलोड्रामा नहीं ठूंसा गया है और कहानी को वास्तविकता के करीब रखने की कोशिश की गई है। पारिवारिक रिश्तों की बुनावट से लेकर खेल के मैदान तक, हर एक दृश्य में उनकी पकड़ और सटीकता साफ झलकती है। उन्होंने सपनों का पीछा करने के लिए उत्साह की एक नई खुराक दर्शकों को दी है।

खामियां

फिल्म में खटकीं ये कमियां

फिल्म के कुछ दृश्यों को और बेहतर किया जा सकता था। श्रेयस के अलावा फिल्म में आशीष विद्यार्थी जैसे कलाकार बेशक प्रभावी लगे हैं, लेकिन उन्हें और जगह दी जा सकती थी। उनके किरदारों को काफी सीमित रखा गया है। फिल्म का क्लाइमैक्स उतना कसा हुआ नहीं है। इसे देख आप भी निराश हो सकते हैं। फिल्म में तकनीकी चीजों पर कम ध्यान दिया गया। इसके बजाय भावनात्मक पहलु को ज्यादा तरजीह दी गई है।

निष्कर्ष

देखें या ना देखें

फिल्म को देखना तो बनता है। कैसे एक व्यक्ति परिवार के साथ अपने सपनों का बोझ उठाए बस मेहनत किए जा रहा है, यह देखना दिलचस्प है। यह सफर किसी के लिए भी प्रेरणा बन सकता है। इसने साबित कर दिया है कि उम्र महज एक नंबर है। फिल्म में दिखाया गया है कि अगर अपने लक्ष्य पर डटे रहें तो उसे हकीकत में बदलने से कोई नहीं रोक सकता। हमारी तरफ से 'कौन प्रवीण तांबे?' को साढ़े तीन स्टार

जानकारी

न्यूजबाइट्स प्लस (फैक्ट)

वैसे श्रेयस और क्रिकेट का कनेक्शन बेहद पुराना है, जो उनकी पहली बॉलीवुड फिल्म तक जाता है। दरअसल, श्रेयस ने अपने एक्टिंग करियर की शुरुआत क्रिकेट फिल्म 'इकबाल' से की थी। इसके लिए श्रेयस ने बेस्ट एक्टर का Zee सिने अवॉर्ड अपने नाम किया था।