पार्श्व गायिका सुलोचना चव्हाण का 89 साल की उम्र में निधन
क्या है खबर?
दिग्गज पार्श्व गायिका और लावणी समरदनी सुलोचना चव्हाण का शनिवार को 89 की उम्र में निधन हो गया है।
रिपोर्ट्स की मानें तो तबीयत बिगड़ने की वजह से दोपहर करीब 12 बजे गायिका ने इस दुनिया को हमेशा-हमेशा के लिए अलविदा कह दिया।
जानकारी के मुताबिक, दोपहर 3 बजे मुंबई के मरीन लाइन्स श्मशान घाट में गायिका को अंतिम विदाई दी गई।
बता दें कि उनके परिवार में उनके छोटे बेटे, बहू, बड़े बेटे की पत्नी और पोते-पोतियां हैं।
जानकारी
बेटे ने दी निधन की जानकारी
गायिका के निधन की खबर उनके बेटे और ढोलकी वादक विजय चव्हाण ने दी।
फिल्म और संगीत जगत के कलाकार गायिका के निधन पर शोक व्यक्त कर रहे हैं।
महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने भी गायिका को श्रद्धांजलि देते हुए लिखा, 'अपनी आवाज के जादू से कई लावणी को मंत्रमुग्ध करने वाली लावणी साम्राज्ञी पद्मश्री सुलोचना चव्हाण के निधन का समाचार सुनकर दुख हुआ। उनके निधन से संगीत के क्षेत्र में एक शून्य पैदा हो गया है।'
ट्विटर पोस्ट
मुख्यमंत्री ने जताया दुख
आपल्या खर्जातल्या आवाजाच्या जादूने अनेक लावण्या ठसकेबाज करणाऱ्या महाराष्ट्राच्या ज्येष्ठ लावणीसम्राज्ञी, पद्मश्री सुलोचना चव्हाण यांच्या निधनाचे वृत्त ऐकून अतीव दुःख झाले. त्यांच्या निधनाने स्वरांच्या आकाशगंगेतील एक तारा निखळला आहे.परमेश्वर त्यांच्या आत्म्यास चिरशांती प्रदान करो.
— Eknath Shinde - एकनाथ शिंदे (@mieknathshinde) December 10, 2022
पुरस्कार
'लावणी समरदनी' के नाम से थीं प्रसिद्ध
बता दें कि गायिका को 'लावणी समरदनी' यानी 'लावणी क्वीन' कहा जाता था, क्योंकि वह इस पारंपरिक महाराष्ट्रीयन संगीत शैली की सबसे प्रसिद्ध गायिकाओं में से एक थीं।
कला और संस्कृति के क्षेत्र में गायिका के बहुमूल्य योगदान के लिए उन्हें पद्मश्री नागरिक पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।
उन्होंने कई लोकप्रिय गीतों जैसे 'कास का पाटिल बार है का?', 'पडाला पिक्ले अम्बा', 'माला कात्या पुन्नी मैना' और 'तेश उसा हल कोल्हा' आदि को अपनी आवाज दी।
करियर
अभिनय में भी हाथ आजमा चुकी हैं गायिका
1933 में जन्मी सुलोचना ने 6-7 साल की उम्र में अभिनय की दुनिया में कदम रखा था। गायिका गरबा में कृष्ण की भूमिका निभाया करती थीं।
उन्होंने गुजराती थिएटर में अभिनय करना शुरू किया, उर्दू भाषा में सबक लिया और हिंदी-उर्दू नाटकों में भी काम किया।
गायिका कुछ पंजाबी और तमिल फिल्मों में भी काम कर चुकी हैं।
हालांकि, गायन सीखने के बाद 11 साल की उम्र में गायिका ने पेशेवर रूप से गाना शुरू किया।
दुखद
इस साल संगीत के क्षेत्र के इन कलाकरों ने कहा अलविदा
हिंदुस्तानी शास्त्रीय संगीत के उस्ताद पंडित शिव कुमार शर्मा का 10 मई 2022 को निधन हो गया था।
वहीं केके के नाम से मशहूर बॉलीवुड गायक कृष्णकुमार कुन्नथ ने 31 मई को इस दुनिया को अलविदा कह दिया था।
भारतीय पार्श्व गायिका लता मंगेशकर का 6 फरवरी को निधन हो गया था।
गायक, संगीतकार और निर्माता डिस्को और पॉप के बादशाह के रूप में प्रसिद्ध बप्पी दा ने भी इसी साल इस दुनिया को अलविदा कह दिया था।