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पंकज उधास को 'चिट्ठी आई है...' से मिली थी बॉलीवुड में पहचान, जानिए कैसा रहा सफर 
कैसा रहा पंकज उधास का सफर?

पंकज उधास को 'चिट्ठी आई है...' से मिली थी बॉलीवुड में पहचान, जानिए कैसा रहा सफर 

लेखन मेघा
Feb 26, 2024
06:46 pm

क्या है खबर?

मशहूर गजल गायक पंकज उधास अब हमारे बीच नहीं रहे हैं। उन्होंने 73 वर्ष की आयु में इस दुनिया को अलविदा कह दिया है, लेकिन उनकी गायकी हमेशा उनके चाहने वालों के बीच मौजूद रहेगी। छोटी-सी उम्र से गायकी शुरू करने वाले पंकज की गिनती उन सितारों में होती है, जिन्होंने गजल को आम लोगों के बीच लोकप्रिय बनाया और बॉलीवुड फिल्मों में भी अपनी आवाज का जादू चलाया था। आइए उनके शानदार सफर पर नजर डालते हैं।

शुरुआत

10 साल की उम्र में पहली बार किया स्टेज पर परफॉर्म

3 भाइयों में सबसे छोटे पंकज को बचपन से गायकी का शौक था। उनके भाई मनहर उधास और निर्मल उधास गायक थे तो उनके पिता जमींदार थे। पंकज जब 10 साल के थे तो उन्होंने भाई मनहर के साथ पहली बार स्टेज पर 'ऐ मेरे वतन के लोगों' गाना गाया। इसे लोगों ने इतना पसंद किया कि उन्हें 51 रुपये का इनाम मिला था। यहां से उनका संगीत क्षेत्र में सफर शुरू हुआ और उन्होंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा।

संगीत

तबला बजाने में हो गई थी पंकज की रुचि

पंकज संगीत क्षेत्र में नाम कमाना चाहते थे, लेकिन उन्हें गायकी से ज्यादा तबला बजाने में रुचि होने लगी थी। उन्होंने राजकोट की संगीत अकादमी में तबला बजाना सीखने के लिए दाखिला लिया, लेकिन वहां वह उस्ताद कादिर खान साहह से शास्त्रीय संगीत सीखने लगे। कुछ समय बाद वह मुंबई आए और ग्वालियर घराने के नवरंग नागपुरकर से गायकी में महारत हासिल करने। इसके बाद उन्होंने कॉलेज में पढ़ाई के दौरान ही बॉलीवुड में करियर बनाने की ओर कदम बढ़ाए।

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पहचान

इस फिल्म ने बॉलीवुड में दिलाई पहचान

21 साल की उम्र में पंकज को संगीतकार उषा खन्ना के कहने पर 1972 की फिल्म 'कामना' से बॉलीवुड में आने का मौका मिला। उन्होंने 'तुम कभी सामने आ जाओगे तो पूछूं तुमसे' गाने को आवाज दी थी, जिसे लोगों ने पसंद किया था। हालांकि, उन्हें असल पहचान 1986 में रिलीज हुई संजय दत्त की फिल्म 'नाम' के गाने 'चिट्ठी आई है...' ने दिलाई, जिसे आज भी खूब प्यार मिलता है। इसके बाद उन्होंने कई शानदार फिल्मों में गाने गाए।

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सम्मान

पद्मश्री से हुए सम्मानित पर रहा गया एक मलाल

पंकज को 2006 में पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित किया गया, लेकिन उन्हें एक बात का मलाल रह गया। 1980 में अपनी पहली एलब्म 'आहट' रिलीज करने के बाद से ही पंकज ने खूब दौलत और शोहरत कमाई, लेकिन उन्हें शराबियों का सिंगर कहा जाने लगा था। पंकज ने इस पर अफसोस जताते हुए कहा था कि उन्होंने अपने करियर में सैंकड़ों गानों को आवाज दी और केवल 20-25 गाने शराब पर गाए, लेकिन फिर भी उन्हें ये नाम मिल गया।

जानकारी

पंकज के मशहूर गाने

पंकज ने 'गंगा जमुना सरस्वती','मैं खिलाड़ी तू अनाड़ी', 'थानेदार', 'मोहरा', 'बहार आने तक' और 'साजन' जैसे कई फिल्मों में गाने गाए हैं। उनके मशहूर गानों में 'घूंघट को मत खोल गोरी', 'चुपके चुपके', 'घुंघरु टूट गए', 'आहिस्ता आहिस्ता' आदि शामिल हैं।

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