'RRR' से पहले इन फिल्मों को ऑस्कर के लिए न भेजने पर हुई FFI की आलोचना
कई दिन से फिल्म 'RRR' को ऑस्कर के लिए भेजे जाने की मांग हो रही थी। फिल्म को भारत समेत अन्य देशों के दर्शकों ने भी खूब पसंद किया है। यह काफी समय बाद यह ऐसी भारतीय फिल्म थी जिसकी विदेश में खूब चर्चा हो रही थी। ऐसे में दर्शकों को उम्मीद थी कि फिल्म ऑस्कर के लिए भारत की ओर से आधिकारिक एंट्री हो सकती है। इससे पहले भी कई बार FFI के चुनाव पर सवाल उठ चुके हैं।
न्यूजबाइट्स प्लस
ऑस्कर में भेजने के लिए फिल्म फेडरेशन ऑफ इंडिया (FFI) देशभर से फिल्म असोसिएशन से एंट्री मांगती है। इसके बाद एक चयन समिति इन फिल्मों की स्कीनिंग करती है और किसी एक फिल्म का चुनाव करती है।
तुम्बाड
2018 में लोकप्रिय फिल्म 'गली बॉय' को ऑस्कर के लिए भेजने के लिए फिल्म फेडरेशन ऑफ इंडिया की काफी आलोचना हुई थी। लोगों ने उस साल आई फिल्म 'तुम्बाड' को ऑस्कर के लिए सही दावेदार माना था। सोहम शाह की इस फिल्म को भारत की बेहतरीन हॉरर फिल्मों में से एक माना जाता है। फिल्म को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर क्रिटिक्स की सराहना मिली थी लेकिन FFI ने इसकी बजाय 'गली बॉय' को ऑस्कर में भेजने के लिए चुना था।
लंचबॉक्स
इरफान खान स्टारर फिल्म 'लंचबॉक्स' को कान्स फिल्म फेस्टिवल में उस साल की सर्वश्रेष्ठ भारतीय फिल्म माना गया था। अंतरराष्ट्रीय डिस्ट्रीब्यूटर्स भी इस फिल्म को ऑस्कर योग्य मान रहे थे। हालांकि, FFI ने गुजराती फिल्म 'द गुड रोड' को ऑस्कर के लिए भेजा था। इस फैसले की आलोचना करते हुए सोनी पिक्चर्स क्लासिक के सह-संस्थापक टॉम बर्नार्ड ने कहा था कि FFI शायद भारत में बेहतरीन फिल्मों को चुन रहा है, न कि विश्व सिनेमा की अच्छी फिल्मों को।
धर्म
2007 की फिल्म 'धर्म' एक रूढ़िवादी पुजारी की कहानी थी जो सांप्रदायिक दंगों के समय एक मुस्लिम बच्चे की देखभाल करने के लिए खुद को असमंजस में पाता है। फिल्म कान्स फिल्म फेस्टिवल में वर्ल्ड सिनेमा सेक्शन की क्लोजिंग फिल्म थी। इसे कई पुरस्कार भी मिले थे। हालांकि, FFI ने इस फिल्म की बजाय 'एकलव्य' को ऑस्कर के लिए भेजा था। इसे लेकर इतना विवाद हुआ कि FFI को बॉम्बे हाई कोर्ट में सफाई देनी पड़ी थी।
स्वदेश
2004 की फिल्म 'स्वदेश' में वो सारे तत्व थे जो ऑस्कर में टक्कर ले सकती थी। नासा का विज्ञान, विपरीत पलायन, गरीबी और ग्रामीण भारत जैसी चीजों को दिखाती यह फिल्म एक ऐसे वैज्ञानिक की कहानी थी जो नासा में काम करता है। वह अपने गांव आकर बिजली बनाता है। फिल्म के निर्देशक आशुतोष गोवारिकर फिल्म 'लगान' से ऑस्कर में पहले ही अपनी छाप छोड़ चुके थे। हालांकि, उस साल फिल्म 'पहेली' को ऑस्कर के लिए भेजा गया।
दिल से
1998 में शाहरुख खान की फिल्म 'दिल से' रिलीज हुई थी। फिल्म ने कई यूरोपियन फिल्म फेस्टिवल्स में अपनी छाप छोड़ी थी। फिल्म ने बर्लिन फिल्म फेस्टिवल में पुरस्कार जीते थे। भारत में फिल्म को राष्ट्रीय पुरस्कार दिया गया। विशेषज्ञों के हिसाब से फिल्म ऑस्कर में भारत की आधिकारिक एंट्री के लिए परफेक्ट थी। हालांकि, FFI ने 3 घंटे लंबी फैमिली एंटरटेनर 'जीन्स' को ऑस्कर में आधिकारिक रूप से भेजा था। इसके लिए FFI की काफी आलोचना हुई थी।
मुगल-ए-आजम
भारत ने 1957 में ऑस्कर में अपनी दावेदारी देना शुरू की थी। उस समय ऑस्कर में ऐसी फिल्मों को तवज्जो दी जाती थी जिसमें अपने देश की संस्कृति और फिल्ममेकिंग की विशेषता हो, ऐसी फिल्में जो हॉलीवुड बनाने में नाकाम है। ऐसे में 1960 की फिल्म 'मुगल-ए-आजम' भारत की ओर से भेजने के लिए उचित फिल्म थी। हालांकि, FFI ने इस फिल्म को नहीं चुना। उस साल भारत को ओर से ऑस्कर के लिए कोई फिल्म नहीं भेजी गई।
न्यूजबाइट्स प्लस
FFI ने ऑस्कर 2023 के लिए भारत की आधिकारिक एंट्री के लिए फिल्म को चुन लिया है। इस बार गुजराती फिल्म 'छेल्लो शो' ऑस्कर में भारत का प्रतिनिधित्व करेगी।