निक जोनस ने अपने डायबिटीज पर कहा- प्रियंका चोपड़ा किसी भी परिस्थिति के लिए तैयार
अमेरिकी गीतकार, गायक निक जोनस बचपन से टाइप-1 डायबीटीज से पीड़ित हैं। उनकी गायिकी के लिए उन्हें दुनियाभर में पहचाना जाता है। इस बीमारी से लड़ते हुए उन्होंने दुनियाभर में अपनी पहचान बनाई है। वह घटते-बढ़ते ग्लूकोज के स्तर को बखूबी संभालते हुए दुनियाभर में अपने कॉन्सर्ट करते हैं। अब एक इंटरव्यू में उन्होंने बताया कि उनकी पत्नी प्रियंका चोपड़ा कैसे इसमें उनकी मदद करती हैं और जीवनसाथी का इस बीमारी को समझना कितना जरूरी है।
बचपन में डायबिटीज का पता चला
विदेशी मीडिया AoL से बातचीत में निक ने डायबीटीज के प्रति जागरूकता के लिए बात की। उन्होंने बताया कि वह अपने भाइयों के साथ एक टूर पर थे। यह उनके करियर के शुरुआती दिनों की बात है। इसी टूर के दौरान उन्हें इसके लक्षण (बार-बार पेशाब लगना, भूख लगना और तेजी से वजन घटना) दिखने लगे थे। इसके बाद वह डॉक्टर के पास गए तो उनका ग्लूकोज का स्तर काफी बढ़ा हुआ था।
शुरुआत से ही प्रियंका के लिए सामान्य की स्तिथि
प्रियंका से अपने रिश्ते के बारे में उन्होंने कहा, "रिश्ते की शुरुआत में इसके लिए तैयार होना काफी जरूरी था। ऐसा साथी जिसे डायबिटीज नहीं है, उसके लिए इसे शारीरिक और भावनात्मक रूप से समझना बहुत मुश्किल होता है। पहले मैं अपने भाइयों को अपने ग्लूकोज के स्तर के बारे में बताता है, वैसे ही अब मैं उन्हें बताने लगा। इससे हम अनचाही आपात स्थिति से बच जाते थे। "
अब हर स्थिति के लिए तैयार हैं प्रियंका
उन्होंने आगे कहा, "प्रियंका बेहतरीन जीवनसाथी हैं। वह न सिर्फ इसका बेहतरीन नियंत्रण करने में सक्षम हैं, बल्कि किसी भी परिस्थिति के बारे में उन्हें पता है कि उन्हें क्या करना है। अब हम एक अभिभावक भी हैं। ऐसे में इस बीमारी को संभालना नए स्तर पर है, क्योंकि अब हम सिर्फ अपने लिए नहीं जी रहे हैं। अपनी बेटी के साथ नई यादें बनाने के लिए स्वस्थ रहना अब और भी जरूरी है।"
पिता बनने के बाद आईं नई मुश्किलें
निक ने बताया कि जब उनकी बेटी घर आई थी, तब काफी मुश्किल होती थी। उन्होंने बताया, "उसकी जरूरतों को पूरा करना एक नया अनुभव था। मैंने कभी नहीं सोचता था कि किसी दिन उसे समझाऊंगा कि उसके पापा को थोड़ा ज्यादा वक्त क्यों लगता है। इस वक्त मैं इस बीमारी के साथ आधी जिंदगी बिता चुका हूं। ऐसे में बीमारी पर नई बातें करना और उन्हें सामान्य बनाना बेहतरीन अनुभव होता है।"
न्यूजबाइट्स प्लस
टाइप-1 डायबिटीज आमतौर पर बच्चों और किशोरों को होता है। इस बीमारी में शरीर में इंसुलीन बनना बंद हो जाता है और मरीज को इंजेक्शन से इंसुलीन लेना होता है। इंसुलीन और खून में ग्लूकोज का संतुलन जरूरी और जटिल काम होता है।