#NewsBytesExplainer: समय के साथ कितना बदल गया भारतीय टीवी शो का कंटेंट?
आज के समय से जहां OTT पर लोगों को घर बैठे अलग-अलग कंटेंट देखने को मिल रहा है तो 80-90 के दशक में टीवी पर आने वाले शो ही लोगों के मनोरंजन का साधन होते थे। पहले एकमात्र दूरदर्शन चैनल पर ही फिल्में और सीरियल आते थे, लेकिन अब सैंकड़ों चैनल्स के आने के साथ कंटेंट का भी विस्तार हुआ है। आइए देखते हैं कि समय के साथ टीवी शो के कंटेंट में कितना बदलाव हुआ है।
1984 में आया था भारत का पहला टीवी शो
भारत में टीवी शो की शुरुआत 80 के दशक में हुई थी। उस दौरान केवल दूरदर्शन ही एक राष्ट्रीय चैनल था। 1984 में पी कुमार वासुदेव द्वारा निर्देशित 'हम लोग' दूरदर्शन पर आने वाला भारत का पहला टीवी शो था। इस शो में एक मध्यमवर्गीय परिवार के संघर्ष की कहानी को दिखाया गया था, जिसे काफी पसंद किया गया था। धीरे-धीरे दूरदर्शन पर आने वाले शो की संख्या बढ़ने लगी और बड़ों से लेकर बच्चों तक का कंटेंट मिलने लगा।
दूरदर्शन ने कराया अलग-अलग कहानियों से रू-ब-रू
दूरदर्शन पर जहां एक ओर महाकाव्यों पर आधारित 'रामायण' और 'महाभारत' का प्रसारण शुरू हुआ तो दूसरी ओर 'बुनियाद' में देश के विभाजन और उसके बाद के समय को दिखाया गया। इसी तरह 'ये जो जिंदगी है', 'विक्रम बेताल', 'मालगुडी डेज', 'वागले की दुनिया' जैसे तमाम शो आए और अपनी शानदार कहानियों के बल पर दर्शकों का दिल जीत लिया। इतना ही नहीं दूरदर्शन पर बच्चों के लिए भी अलग से शो आने का समय तय था।
यह था भारतीय टेलीविजन का 'स्वर्ण युग'
80 के दशक को भारतीय टेलीविजन का 'स्वर्ण युग' कहा जाता है क्योंकि इसने लोगों को एक साथ बांधे रखा था। उस दौर में टीवी ज्यादा लोगों के पास नहीं था और ऐसे में लोग एकसाथ बैठकर फिल्मों-सीरियल का आनंद लेते थे। इनमें न सिर्फ परिवार, व्यक्ति के संघर्ष, विभाजन और उसके प्रभाव की कहानी दिखाई जाती थी, बल्कि इसमें युवा पीढ़ी को सेना में शामिल होने के लिए प्रेरणा देना, देशभक्ति जैसे मुद्दों को भी दिखाया जाता था।
प्राइवेट चैनलों के आगमन से बढ़ी सीरियल की संख्या
90 के दशक में एक ओर अधिकांश घरों में टेलीविजन आ गया तो प्राइवेट और क्षेत्रीय चैनलों के आगमन के साथ ही कई अंतरराष्ट्रीय चैनल भी भारत में आए। ऐसे में न सिर्फ टीवी शो की संख्या बढ़ी, बल्कि इनकी पहुंच भी ज्यादा लोगों तक होने लगी। 1995 में 'तारा' नाम का शो आया था, जो लगभग 5 वर्षों तक चलने वाला पहला शो बना। इस दौर के ज्यादातर सीरियल भारतीय परिवार की संस्कृति, मूल्यों और मानदंडों से संबंधित थे।
फिर आया 'के' नाम के सीरियल का दौर
2000 के दशक में एकता कपूर के 'के' नाम से शुरू होने वाले धारावाहिकों का दौर आया और 'क्योंकि सास भी कभी बहू थी', 'कसौटी जिंदगी की' जैसे शो आए। इनमें तुलसी और पार्वती जैसी बहुओं के किरदारों के जरिए भारतीय मूल्यों को दर्शाया गया, जो लोगों को पसंद आने लगे। ऐसे में बालाजी टेलीफिल्म्स का ये 'के' फॉर्मूला हिट साबित हुआ और परिवार को अत्यधिक महत्व देने वाले शो वर्षों तक लोगों का मनोरंजन करने में सफल रहे।
रियलिटी शो ने दी दस्तक
जैसे-जैसे देश में चैनल बढ़े और डिजिटल युग ने दस्तक दी, टीवी सीरियल की बाढ़ सी आ गई और रियलिटी शो का दौर भी शुरू हो गया। सबसे पहले 1995 में सिंगिंग रियलिटी शो 'सा रे गा मा पा' आया तो 1996 में डांस रियलिटी शो 'बूगी वूगी' शुरू हुआ। हालांकि, भारत में रियलिटी शो की दुनिया साल 2000 के बाद तेजी से बदली, जब बॉलीवुड के दिग्गज अभिनेता अमिताभ बच्चन 'कौन बनेगा करोड़पति' के साथ छोटे पर्दे पर आए।
विदेशी शो से कॉपी करके बने अधिकतर रियलिटी शो
रियलिटी शो के जरिए जनता को अपने सपने पूरे करने का मौके मिला तो लोगों का रुझान तेजी से इनकी ओर बढ़ा। ऐसे में भारत में कई रियलिटी शो बनाए जाने लगे, जिनमें से ज्यादातर विदेशी शो से कॉपी थे। हॉलीवुड के मशहूर शो 'बिग ब्रदर' की तरह भारत में 'बिग बॉस' तो 'अमेरिकन आइडल' की तरह 'इंडियन आइडियल' की शुरुआत हुई। इसी तरह 'द वाइस ऑफ इंडिया', 'इंडियाज गॉट टैलेंट' का कॉन्सेप्ट भी विदेशी शो से लिया गया है।
नागिन ही नहीं छिपकली भी बनी छोटे पर्दे का हिस्सा
इस सबके बाद शुरू हुआ वो दौर जहां एक ही किरदार की बार-बार शादी और मौत दिखाई जाने लगी, लेकिन इस समय टीवी की बहुओं का सफर, सांप, बिच्छू, मक्खी के बाद छिपकली बनने तक पहुंच गया। पहले जहां टीवी शो में परिवारिक और देशभक्ति से जुड़ी कहानी दिखाई जाती थी तो अब टीवी सीरियल में पुनर्जन्म, प्लास्टिक सर्जरी, नाग-नागिन का बदला ज्यादा दिखाया जा रहा है, जिनका हकीकत से कोई सरोकार ही नहीं होता।
अपने कंटेंट के चलते चर्चा में आए ये सीरियल
'ससुराल सिमर का' में एक बाबा के श्राप के बाद दीपिका कक्कड़ मक्खी बन गई थी तो 'दिव्य दृष्टि' में मानसी छिपकली के रूप में बदला लेने आई थीं। इतना ही नहीं एकता के मौनी रॉय के साथ शुरू हुए 'नागिन' के तो हर साल नए सीजन आ रहे हैं, जिसमें नाग-नागिन के अलावा भी कई इच्छाधारी जानवर दिखाए जा चुके हैं। ऐसे में अब टीवी पर इस तरह का मसाला ज्यादा देखने को मिल रहा है।
पौराणिक सीरियल की बढ़ी मांग
अब ड्रामे वाले सीरियल को छोड़ लोग पौराणिक सीरियल देखना ज्यादा पसंद कर रहे हैं। ऐसे में दर्शकों की मांग पर 'देवों के देव महादेव' और 'राधा कृष्ण' जैसे सीरियल का प्रसारण दोबोरा टीवी पर हुआ तो 'मेरे साईं, 'श्री गणेशा', 'बाल शिव' जैसे तमाम शो भी आ रहे हैं। स्टार प्लस पर आई 'महाभारत' को भी लोगों ने काफी पसंद किया था और कोरोना वायरस के दौरान इसका भी दोबारा प्रसारण किया गया था।