'महाभारत' के शकुनी मामा गूफी पेंटल का निधन, हृदय और गुर्दे की बीमारी से थे पीड़ित
क्या है खबर?
टेलीविजन की दुनिया से सोमवार को एक बार फिर से बुरी खबर सामने आई है। वरिष्ठ अभिनेता गूफी पेंटल का मुंबई के एक अस्पताल में निधन हो गया है।
गूफी बीते कुछ दिनों से हृदय और गुर्दे संबंधी बीमारियों की वजह से अस्पताल में भर्ती थे।
गूफी यूं तो कई शो में नजर आए, लेकिन उन्हें मुख्यत: 'महाभारत' में शकुनी मामा का किरदार निभाने के लिए जाना जाता है। उनके जाने की खबर से टीवी जगत में शोक है।
खबर
सोमवार को ली अंतिम सांस, बेटे ने दी सूचना
अभिनेता ने सोमवार की सुबह आखिरी सांस ली। उनके बेटे हैरी पेंटल ने मीडिया को यह जानकारी दी।
उन्होंने एक नोट साझा करते हुए लिखा, 'गहरे दुख के साथ हमें बताना है कि हमारे पिता गूफी पेंटल (शकुनी मामा) का निधन हो गया है। आज सुबह उन्होंने अपने परिवार की मौजूदगी में अंतिम सांस ली।'
आज शाम 4 बजे उनका अंतिम संस्कार किया जाएगा।
78 वर्षीय गूफी बीते कुछ दिनों से ICU में भर्ती थे।
बीमारी
हृदय और गुर्दे में थी गड़बड़ी
इसके पहले उनके भतीजे हितेन पेंटल ने मीडिया को बताया था कि उनकी हालत नाजुक है और वह ICU में भर्ती हैं।
उनकी सह कलाकार अभिनेत्री टीना घई ने भी एक पोर्टल को बताया था कि गूफी एक टीवी शो के लिए तैयारी कर रहे थे। वह अपनी लाइनें याद कर रहे थे, तभी उन्हें कुछ असहज महसूस हुआ।
उन्हें अस्पताल ले जाया गया तो पता चला कि उनके हृदय और गुर्दे में गड़बड़ी थी।
शकुनी मामा
यादगार है शकुनी मामा का खास अंदाज
गूफी 1988 में आए बीआर चोपड़ा के धारावाहिक 'महाभारत' में शकुनी मामा का किरदार निभाने के लिए लोकप्रिय थे।
उनका उंगलियां घुमाते हुए 'भांजे' बोलने का खास अंदाज आज भी दर्शकों को याद है।
गूफी को यह किरदार मिलने की कहानी भी दिलचस्प है। दरअसल, वह एक कास्टिंग डायरेक्टर के तौर पर काम करते थे। एक दिन शो के लेखक राही मासूम रजा की नजर उन पर पड़ी और फिर इस भूमिका के लिए उन्हें ही कास्ट कर लिया गया।
अन्य
भारत-चीन युद्ध में सेना में थे शामिल
'महाभारत' के अलावा छोटे पर्दे पर वह 'कानून सौदा', 'अकबर बीरबल', 'ओम नम: शिवाय', 'मिसेज कौशिक की पांच बहुएं', 'कर्ण संगिनी' जैसे शो में नजर आए थे।
वह 'रफू चक्कर', 'देस परदेस', 'दिल्लगी' जैसी फिल्मों में काम कर चुके थे।
कम ही लोग जानते हैं कि गूफी ने 1962 भारत-चीन युद्ध के दौरान सेना में भी सेवा दी थी। उन दिनों वह कॉलेज में थे और सेना में सीधी भर्ती होने के कारण उन्हें यह मौका मिला था।