फिल्म पायरेसी पर लगेगी लगाम, भारत सरकार ने नियुक्त किए नोडल अधिकारी
क्या है खबर?
फिल्म पायरेसी बहुत बड़ी समस्या है, जो एक बीमारी की तरह फैल गई है। हालात ये हो गए हैं कि फिल्म रिलीज होने से पहले ही उसकी कॉपी लीक हो जाती है।
वर्तमान में रिलीज हो रही लगभग हर फिल्म पायरेसी की भेंट चढ़ रही है। अब इस पर नकेल कसने के लिए भारत सरकार ने नोडल अधिकारी नियुक्त कर दिए हैं, जिसके चलते फिल्म की होने वाली चोरी को रोका जा सकेगा।
आइए पूरी खबर जानते हैं।
रोक
पायरेसी पर अंकुश लगाने के लिए उठाया ये बड़ा कदम
भारत सरकार ने फिल्म पायरेसी पर काबू पाने के लिए नोडल अधिकारियों की नियुक्ति की है, जिन्हें डिजिटल प्लेटफॉर्म से पायरेटेड यानी चोरी की गई सामग्री को हटाने के लिए निर्देश जारी करने का अधिकार दिया गया है।
फिल्मों की पायरेसी से फिल्म जगत को जो हर साल भारी नुकसान हो रहा है, इसके जरिए उसे भी रोका जा सकेगा।
दरअसल, रिपोर्ट्स के मुताबिक, फिल्म उद्योग को पायरेसी से हर साल 20 हजार करोड़ रुपये का नुकसान हो रहा है।
बयान
48 घंटों के अंदर की जाएगी शिकायत पर कार्रवाई- अनुराग ठाकुर
सूचना एवं प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर बोले, "फिल्म पायरेसी रोकने के लिए सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने देशभर में 12 नोडल अधिकारी नियुक्त किए हैं। ये अधिकारी पायरेसी के खिलाफ शिकायतें प्राप्त करेंगे और डिजिटल प्लेटफॉर्म पर पायरेटेड सामग्री को हटाने के निर्देश देंगे।"
उन्होंने कहा, "हमने उद्योग जगत की एक बड़ी मांग पूरी की है। शिकायत मिलने के 48 घंटों के अंदर कार्रवाई की जाएगी। पायरेसी न केवल फिल्म उद्योग, बल्कि पूरी दुनिया के लिए एक बड़ा खतरा है।"
मदद
सरकार के इस कदम से फिल्म उद्योग को मिलेगी राहत
लगभग हर कोई मुफ्त में फिल्में देखने में रुचि रखता है, जिसके चलते पायरेसी को बढ़ावा मिल रहा है। नोडल अधिकारियों की मदद से तुरंत कार्रवाई की जा सकेगी और फिल्म उद्योग को इससे राहत मिलेगी। इनमें से 2 नोडल अधिकारी मुख्यालय में रहेंगे और बाकी मुंबई सहित कई क्षेत्रीय कार्यालय में नियुक्त किए गए हैं।
अनुराग ने कहा कि फिल्म उद्योग को इस फैसले से लाभ होगा और दुनियाभर में भारत की 'सॉफ्ट पावर' की ताकत को बढ़ावा मिलेगा।
शिकायत
कौन कर सकता है आवेदन?
मूल कॉपीराइट धारक या उसके द्वारा अधिकृत कोई भी व्यक्ति पायरेटेड सामग्री को हटाने हेतु नोडल अधिकारी को आवेदन कर सकता है।
यदि शिकायत किसी ऐसे व्यक्ति द्वारा की जाती है, जिसके पास कॉपीराइट नहीं है तो नोडल अधिकारी शिकायत की वास्तविकता तय करने के लिए मामले दर मामले के आधार पर सुनवाई कर सकता है।
नोडल अधिकारी से निर्देश प्राप्त करने के बाद डिजिटल प्लेटफॉर्म 48 घंटे के भीतर पायरेटेड सामग्री दिखाने वाला लिंक हटाने के लिए बाध्य होगा।