UPSC: परीक्षा पास करने वाले इन पांच लोंगो की कहानी से मिलेगी आपको प्रेरणा
संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) द्वारा आयोजित सिविल सेवा परीक्षा (CSE) सबसे चुनौतीपूर्ण प्रतियोगी परीक्षाओं में से एक है। UPSC CSE को पास करना आसान नहीं है। कई साल इसकी तैयारी करने में ही लग जाते हैं। हालांकि, कुछ UPSC CSE रैंक-धारक हैं, जिन्होंने शारीरिक चुनौतियों के बावजूद परीक्षा को पास किया है। अगर आपको प्ररेणा की जरुरत है, तो इनकी कहानी जरुर पढ़ें। हमने अपने आज के इस लेख में पांच प्रेरणा देने वाले लोंगो को कहानी बताई हैं।
कृष्णा बने देश के पहले नेत्रहीन जिला कलेक्टर
उत्तर प्रदेश के अंबेडकर नगर जिले के कृष्ण गोपाल तिवारी ने साल 2008 में UPSC CSE को पास करने के लिए न सिर्फ अपनी दृष्टिहीन की कठिनाई को पार किया बल्कि इसके लिए वे अत्यधिक आर्थिक कठिनाइयों से भी गुजरे हैं। एक किसान के बेटे कृष्ण ने अपने तीसरे प्रयास में आल इंडिया रैंक (AIR) 142 के साथ शारीरिक विकलांगता श्रेणी में टॉप किया था। साल 2014 में कृष्णा देश में पहले नेत्रहीन जिला कलेक्टर बने थे।
व्हीलचेयर पर होने के बाद भी पास की परीक्षा
बिहार के पटना के आशीष कुमार वर्मा अपने जन्म के बाद से मस्तिष्क पक्षाघात (Cerebral Palsy) से पीड़ित थे। इन्होंने UPSC CSE 2011 को पास करने के लिए सभी बाधाओं को पार किया था। व्हीलचेयर-बाउंड होने के बावजूद आशीष ने CSE के लिए अपनी तैयारी के रास्ते में अपनी शारीरिक चुनौतियों को आने नहीं दिया। वह पूरी तरह से स्व-अध्ययन पर निर्भर थे, क्योंकि वे कोचिंग संस्थानों में नहीं जा सकते थं। उन्होंने प्रतिष्ठित परीक्षा में 726वीं रैंक हासिल की।
इरा सिंघल बनी पहली विकलांग IAS टॉपर
इरा सिंघल IAS की कहानी वास्तव में प्रेरणादायक है। UPSC CSE 2010 को पास करने के बावजूद उनकी रीढ़ संबंधी समस्या, स्कोलियोसिस के कारण उनकी उम्मीदवारी रद्द कर दी गई थी। हालाँकि, वह सेन्ट्रल एडमिनिस्ट्रेटिव ट्रिब्यूनल में उसके हक़ के लिए लड़ी। CSE 2014 में AIR 1 हासिल करके वे पहली विकलांग IAS टॉपर बन गईं थीं। वह सिविल सेवा में अधिक विकलांग और ट्रांसजेंडर उम्मीदवारों को लाने के लिए भी काम कर रही हैं।
दृष्टिहीन होने के बावजूद पास की UPSC परीक्षा
सतेंद्र की यात्रा एक और प्रेरणादायक है। दृष्टिबाधित होने के बावजूद उन्होंने AIR 714 हासिल करते हुए CSE 2018 को पास किया है। जब वह सिर्फ डेढ़ साल के थे, तब एक गलत इंजेक्शन के कारण का उनकी ऑप्टिक नसों को नुकसान पहुंचा और उन्होंने अपनी आंखों की रोशनी पूरी तरह से खो दी। किसान के बेटे सतेंद्र ने हार नहीं मानी। उन्होंने अपने तीसरे प्रयास में परीक्षा पास करते हुए स्क्रीन-रीडिंग सॉफ्टवेयर की मदद से मेहनत और अध्ययन किया।
कम सुनने को बाद भी दो बार पास की परीक्षा
लगभग 80% कम सुनने वाली MBBS डिग्री धारक वैशाली शर्मा ने UPSC CSE को एक बार नहीं बल्कि दो बार पास किया है। उसने 2016 में परीक्षा को पास किया और शारीरिक विकलांगता श्रेणी में दूसरे रैंक हासिल की। हालाँकि उसे अस्थायी रूप से अनफिट पाया गया, क्योंकि उनका वजन अधिक था। लेकिन उसने हार नहीं मानी और वजन कम किया। साल 2017 में CSE को फिर से पास कर लिया और शारीरिक विकलांगता श्रेणी में शीर्ष पर रहीं।