Board Exam 2019: अपने बच्चों के प्री-बोर्ड से पहले माता-पिता न करें ये गलतियां

CBSE बोर्ड परीक्षाएं मुश्किल से कुछ महीने ही दूर हैं और छात्र प्री-बोर्ड परीक्षाओं की तैयारी में व्यस्त है। हालांकि, परीक्षा की तैयारी करने का समय न केवल छात्रों के लिए बल्कि उनके माता-पिता के लिए भी एक तनावपूर्ण समय हो सकता है। इस समय के दौरान, माता-पिता की भूमिका और भी महत्वपूर्ण हो जाती है। यहां हमने कुछ ऐसी चीजें बताई हैं जो माता-पिता को अपने बच्चों की प्री-बोर्ड परीक्षा से पहले नहीं करनी चाहिए।
प्री-बोर्ड परीक्षा से पहले माता-पिता को कुछ महत्वपूर्ण चीजों को करने से बचना चाहिए, अपने बच्चों के प्रदर्शन, नंबर, अध्ययन करने के घंटे या तैयारी प्रक्रिया/रणनीति की उनके दोस्तों या अन्य छात्रों के साथ तुलना नहीं करनी चाहिए। कभी-कभी, माता-पिता को अपने बच्चों पर विश्वास करना चाहिए और उन्हें अपनी गति से अध्ययन या रिवीजन करने देना चाहिए। माता-पिता को यह समझना चाहिए कि उनका समर्थन उनके बच्चे के प्रदर्शन के लिए अद्भुत काम कर सकता है।
माता-पिता को अपने बच्चों को अधिक समय तक अध्ययन करने के लिए मजबूर नहीं करना चाहिए, क्योंकि यह उनके स्वास्थ्य को प्रभावित कर सकता है। उन्हें अपने बच्चों को ब्रेक लेने, स्वस्थ खाने, आराम करने और पर्याप्त नींद लेने को कहना चाहिए।
माता-पिता को अपने बच्चों पर यह दबाव नहीं डालना चाहिए कि वे कड़ी मेहनत से पढ़ाई करें। हालांकि यह बताना महत्वपूर्ण है कि ये परीक्षाएं उनके लिए क्यों महत्वपूर्ण हैं, लेकिन माता-पिता को बच्चों पर दबाव नहीं बनाना चाहिए। उन्हें बच्चों को यह बताने से बचना चाहिए कि उनका प्रदर्शन, लक्ष्य या अपेक्षाओं पर खरा नहीं उतरा है। इसके बजाय माता-पिता को बच्चों को परीक्षा के दबाव का सामना करने में मदद करनी चाहिए।
कई माता-पिता अपने बच्चों की परीक्षा से पहले टीवी या इंटरनेट सेवाओं को बंद कर देते हैं। हालांकि, माता-पिता को ऐसा करने से बचना चाहिए। क्योंकि छात्रों को अपने अध्ययन सत्र के बीच में आराम करना भी ज़रूरी है, नहीं तो उन पर दबाव पड़ता है। इसके अलावा, बोर्ड परीक्षा की तैयारी के लिए कई उपयोगी वेबसाइटें हैं, पिछले प्रश्न पत्र और सैंपल पेपर को इंटरनेट कनेक्शन के बिना बच्चे प्राप्त नहीं कर पाएंगे।
परीक्षा की तैयारी के तनावपूर्ण समय के दौरान, बच्चे अपने माता-पिता का समर्थन चाहते हैं। माता-पिता को बच्चों का मानसिक शोषण नहीं करना चाहिए और न ही उन्हें मानसिक रूप से तोड़ना चाहिए। अपने बच्चों को सकारात्मक दृष्टिकोण के साथ प्रोत्साहित करना चाहिए।