सैनिक स्कूलों से जुड़ने में 13 राज्य और केंद्र शासित प्रदेश नहीं दिखा रहे दिलचस्पी- केंद्र
क्या है खबर?
जहां एक तरफ केंद्र सरकार देश में सैनिक स्कूलों की संख्या बढ़ाने के प्रयास कर रही है, वहीं दूसरी तरफ कई राज्य ऐसे हैं जो सरकार की इस योजना में दिलचस्पी नहीं दिखा रहे।
रक्षा मंत्रालय ने शनिवार को कहा कि केंद्र की सैनिक स्कूल संबद्धता योजना के प्रति 13 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के स्कूलों की प्रतिक्रिया कमजोर रही है और इस मामले में एक सक्रिय अभियान चलाने की जरूरत है।
दिलचस्पी
किन 13 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों ने नहीं दिखाई दिलचस्पी?
जिन 13 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों ने इस योजना में दिलचस्पी नहीं दिखाई है, उनमें गोवा, मणिपुर, मेघालय, सिक्किम, त्रिपुरा, पश्चिम बंगाल, नई दिल्ली, अंडमान और निकोबार, चंडीगढ़, लक्षद्वीप, पुडुचेरी, लद्दाख और जम्मू और कश्मीर शामिल हैं।
बता दें कि केंद्रीय मंत्रिमंडल ने अक्टूबर, 2021 में राज्यों, गैर-सरकारी संगठनों और निजी संस्थानों की साझेदारी से सैनिक स्कूल सोसाइटी के तहत 100 मान्यता प्राप्त सैनिक स्कूलों की स्थापना की मंजूरी दी थी।
अलग
रक्षा मंत्रालय के मौजूदा सैनिक स्कूलों से अलग होंगे संबद्ध स्कूल
रक्षा मंत्रालय के एक बयान के मुताबिक, यह मान्यता प्राप्त स्कूल एक विशेष संस्थान के रूप में काम करेंगे और रक्षा मंत्रालय के मौजूदा सैनिक स्कूलों से यह काफी अलग होंगे।
13 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के नाम लेते हुए बयान में कहा गया कि उनकी कमजोर प्रतिक्रिया ऐसे समय पर दिख रही है जब सरकारों के लिए अपने क्षेत्र में सैनिक स्कूल स्थापित करने का एक सुनहरा अवसर है।
जानकारी
मान्यता के लिए 230 स्कूलों से आए आवेदन
रक्षा मंत्रालय के बयान में यह भी बताया गया कि विभिन्न राज्यों के लगभग 230 स्कूलों ने खुद को सैनिक स्कूल समिति से संबद्ध करने के लिए अपने आवेदन भेजे हैं।
रिपोर्ट
मूल्यांकन समिति जनवरी के अंतिम सप्ताह तक सौंपेगी रिपोर्ट
बता दें कि स्कूलों की तरफ से आवेदन फॉर्म जमा करने के बाद उनका मूल्यांकन जिला स्तर पर एक स्कूल मूल्यांकन समिति की तरफ से किया जाएगा और जनवरी के अंतिम सप्ताह तक इसकी रिपोर्ट सैनिक स्कूल समिति को सौंप दी जाएगी।
सैनिक स्कूल समिति की तरफ से मान्यता प्राप्त स्कूल अगले शैक्षणिक वर्ष यानि कि अप्रैल, 2022 से सैनिक स्कूलों के पाठ्यक्रम और गतिविधियों का पालन करना शुरू कर देंगे।
नीति
'एक स्कूल, एक खेल' नीति होगी लागू
रक्षा मंत्रालय ने कहा कि नए सैनिक स्कूलों पर 'एक स्कूल, एक खेल' नीति भी लागू होगी, ताकि वे संबंधित राज्य के लिए चिन्हित कम से कम किसी एक खेल पर ध्यान केंद्रित कर सकें।
बयान में कहा गया है कि स्कूल प्रबंधन से जुड़े अन्य पहलू, जैसे कि शिक्षकों का प्रशिक्षण, खेल और पाठ्यक्रम से अलग गतिविधियों के क्रियान्वयन पर मान्यता प्राप्त स्कूलों को अलग से निर्देश जारी किए जाएंगे।
न्यूजबाइट्स प्लस,
कैसे हुई सैनिक स्कूल की स्थापना?
सैनिक स्कूलों का संचालन सैनिक स्कूल समिति करती है। यह समिति रक्षा मंत्रालय के प्रशासनिक नियंत्रण के तहत आती है।
1961 में भारत के तत्कालीन रक्षा मंत्री वीके कृष्ण मेनन की तरफ से भारतीय सेना के अधिकारी संवर्ग के बीच क्षेत्रीय और वर्ग असंतुलन को सुधारने के लिए इन स्कूलों कल्पना की गई थी।
सैनिक स्कूलों की स्थापना का उद्देश्य छात्रों को कम उम्र से ही भारतीय सशस्त्र बलों में प्रवेश के लिए तैयार करना था।