Page Loader
जम्मू-कश्मीर: जनजातीय समुदायों के लिए बनाए जाएंगे 200 स्मार्ट स्कूल
जम्मू-कश्मीर में अगले साल से जनजातीय समुदाय के बच्चों की स्मार्ट क्लास में होगी पढ़ाई।

जम्मू-कश्मीर: जनजातीय समुदायों के लिए बनाए जाएंगे 200 स्मार्ट स्कूल

लेखन तौसीफ
Nov 27, 2021
01:50 pm

क्या है खबर?

जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने गुरुवार को जनजातीय समुदायों के लिए 200 स्कूलों को स्मार्ट स्कूलों में बदलने की केंद्र शासित प्रदेश सरकार की ऐतिहासिक पहल को आम लोगों के लिए समर्पित किया। इन स्कूलों का आधुनिकीकरण दो चरणों में किया जाएगा और इसमें 40 करोड़ रुपये खर्च होंगे। पहले चरण में 100 स्कूलों में अगले साल मार्च तक काम पूरा होगा। शेष 100 स्कूलों में काम भी अगले वर्ष दिसंबर तक पूरा कर लिया जाएगा।

छात्रवृत्ति

इन समुदायों के 21,000 बच्चों को मिलेगी छात्रवृत्ति

जम्मू-कश्मीर सरकार ने गद्दी, सिप्पी, दर्द और शीना समुदायों के 21,000 बच्चों को छात्रवृत्ति देने का निर्णय लिया है। यह बच्चे पिछले तीन दशकों से इस सुविधा से वंचित थे। उपराज्यपाल सिन्हा के मुताबिक, 1991 में इन समुदाय को जनजातीय घोषित किया गया था, लेकिन उनके बच्चे छात्रवृत्ति से वंचित कर दिए गए थे। यह मामला कुछ दिन पहले ही उनके संज्ञान में लाया गया था जिसके बाद इन समुदायों के बच्चों को छात्रवृत्ति प्रदान करने का फैसला किया गया।

खर्च

जनजातीय बच्चों की शिक्षा के लिए 105 करोड़ रुपये खर्च करेगी सरकार

जम्मू कन्वेंशन सेंटर में आयोजित समारोह में उपराज्यपाल सिन्हा ने कहा कि स्कूल, हॉस्टल आदि को मिलाकर जनजातीय बच्चों की शिक्षा के लिए सरकार 105 करोड़ रुपये खर्च कर रही है और अब सरकारी विभागों, प्रतिनिधियों और समुदाय के लोगों को शिक्षा के इस अभियान को कामयाब बनाना होगा। उपराज्यपाल सिन्हा ने अधिकतम तीन वर्ष का लक्ष्य निर्धारित करते हुए कहा कि इस अवधि में जनजातीय समुदायों के बच्चों को मुख्यधारा के अन्य बच्चों के बराबर लाना होगा।

स्मार्ट स्कूल

ड्रॉप-आउट दर को रोकने में अहम भूमिका निभाएंगे स्मार्ट स्कूल- उपराज्यपाल

उपराज्यपाल सिन्हा ने कहा कि आदिवासी शिक्षा योजना, छात्रवृत्ति, स्मार्ट स्कूल जम्मू-कश्मीर में आदिवासी समुदायों के साथ न्याय करेंगे जो दशकों से उपेक्षित थे। उन्होंने कहा, "आदिवासी बच्चों का भविष्य सुरक्षित करना हमारी प्राथमिकता है। बच्चों में वैज्ञानिक सोच विकसित करने और उन्हें भविष्य के लिए तैयार करने के साथ-साथ ड्रॉप-आउट दर को रोकने के लिए आधुनिक सुविधाओं से लैस आदिवासी और दूरदराज के क्षेत्रों में स्मार्ट स्कूल अहम भूमिका निभाएंगे।"

भाषा

कक्षा पांचवीं तक स्थानीय भाषा में होगी पढ़ाई

उपराज्यपाल सिन्हा कहा कि केंद्र सरकार ने नई शिक्षा नीति में पांचवीं तक की पढ़ाई को स्थानीय भाषा में करवाने का प्रावधान किया है। इसी को देखते हुए जनजातीय समुदायों के बच्चों को भी उसी भाषा में पढ़ाने की व्यवस्था की जाएगी, जिसे वे घर पर बोलते और समझते हैं। उन्होंने कहा कि कई इलाके ऐसे हैं जहां स्कूल नहीं बनाए जा सकते। ऐसे स्थानों पर भी शिक्षा की अलख पहुंचाना सरकार की जिम्मेदारी है। इसे निभाया जाएगा।

उपेक्षा

दस प्रतिशत आबादी की होती रही है उपेक्षा

उपराज्यपाल सिन्हा ने कहा कि जम्मू-कश्मीर में कुल जनसंख्या में जनजातीय आबादी लगभग 10 प्रतिशत है। यदि आबादी के इस प्रतिशत की तुलना शिक्षा में की जाए तो चिंताजनक तस्वीर सामने आती है। यह दर्शाता है कि जनजातीय समुदायों की बहुत उपेक्षा हुई है। उन्होंने कहा कि धर्म ग्रंथों से लेकर ज्ञान की गंगा का प्रारंभ जंगलों में हुआ, लेकिन आज जंगलों में रहने वाले लोग पीछे रह गए हैं। ऐसी आबादी को शिक्षित करना पूजा और इबादत है।