भारत में इन क्षेत्रों में करियर बनाना है मुश्किल, करनी पड़ती है कड़ी मेहनत
12वीं के बाद सही करियर विकल्प का चुनाव करना चुनौतीपूर्ण होता है। अधिकांश छात्र अपने साथी छात्रों को देखकर करियर विकल्प चुन लेते हैं और बाद में कठिनाई महसूस करते हैं। कई करियर विकल्प इतने कठिन होते हैं कि छात्र उनमें उलझ `जाते हैं। आइए कुछ ऐसे ही चुनौतीपूर्ण करियर पाठ्यक्रमों के बारे में जानते हैं, जिनमें आगे बढ़ना कठिन माना जाता है। हालांकि, इन क्षेत्रों में कड़ी मेहनत के दम पर सफलता पाई जा सकती है।
सिविल सेवा परीक्षा
संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) की सिविल सेवा परीक्षा के लिए अध्ययन करना किसी भी उम्मीदवार के लिए बेहद कठिन है। परीक्षा की तैयारी में कई सालों का समय लगता है। सिविल सेवा का पाठ्यक्रम विशाल होता है और इसे भारत की सबसे कठिन परीक्षाओं में से एक माना जाता है। इस परीक्षा के 3 चरण होते हैं, प्रारंभिक परीक्षा, मुख्य परीक्षा और इंटरव्यू। प्रत्येक चरण को पास करने के लिए हर विषय के व्यापक ज्ञान की आवश्यकता होती है।
विशेषज्ञ सर्जन
मेडिकल के क्षेत्र में करियर बनाना कठिन काम है, खासतौर पर विशेषज्ञ सर्जन के रूप में। सर्जन बनने के लिए आपको सबसे पहले 5 साल का बैचलर ऑफ मेडिसिन एंड बैचलर ऑफ सर्जरी (MBBS) का कोर्स करना होता है। इसके बाद किसी एक क्षेत्र में विशेषज्ञता हासिल करने के लिए 3 साल का मास्टर डिग्री (MD) कोर्स करना होता है, यानि लगातार 8 सालों की पढ़ाई के बाद आप सर्जन बनेंगे और अनुभव बढ़ने के साथ विशेषज्ञ सर्जन बन पाएंगे।
चार्टेड अकाउंटेंट
कॉमर्स स्ट्रीम के कई छात्र 12वीं पास करने के बाद चार्टर्ड अकाउंटेंसी करने का लक्ष्य रखते हैं, लेकिन उनमें से केवल कुछ ही कई प्रयासों के बाद चार्टेड अकाउंटेंट (CA) बन पाते हैं। CA बनने के लिए छात्रों को CA फाउंडेशन कोर्स, CA इंटरमीडिएट और CA फाइनल परीक्षा पास करनी होती है। पहली परीक्षा पास करना आसान है, लेकिन दूसरी और तीसरी परीक्षा उत्तीर्ण करना बेहद कठिन है।
एयरोस्पेस इंजीनियर
एविएशन क्षेत्र में पायलट, एयरक्राफ्ट मेंटनेंस इंजीनियर, एयर कार्गो मैनेजर, एयरोनॉटिकल इंजीनियर के रूप में करियर बना सकते हैं। इस क्षेत्र काफी ज्यादा प्रतिस्पर्धा है और लगातार नई तकनीक विकसित हो रही है। ऐसे में एक एयरोस्पेस इंजीनियर के रूप में करियर बनाना चुनौतीपूर्ण है। इसके कोर्स में एयरोडायनेमिक्स, नेविगेशन, एयरक्राफ्ट मैनेजमेंट सहित कई विषयों की एक विस्तृत श्रृंखला शामिल है। इसे पढ़ने के लिए छात्रों को गणित और विज्ञान में मजबूत आधार की जरूरत होती है।
मनोवैज्ञानिक
मनोविज्ञान यानि साइकोलॉजी में मानव व्यवहार का गहराई से अध्ययन किया जाता है। समय के साथ मनोवैज्ञानिकों की मांग बढ़ रही है, लेकिन इस फील्ड में करियर बनाना चुनौतीपूर्ण माना जाता है। इस विषय का पाठ्यक्रम बहुत बड़ा होता है और ज्यादा समय मांगता है। एक अच्छा मनोवैज्ञानिक बनने के लिए आपको डिग्री कोर्स के बाद आपको मनोविज्ञान में मास्टर ऑफ फिलोसिफी (MPhil) या डॉक्टर ऑफ फिलोसिफी (PhD) करना होगा। इसके बाद आपको मनोवैज्ञानिक के रूप में पंजीकरण कराना होगा।