मरीन इंजीनियरिंग में बनाएं करियर, रोमांचक नौकरी के साथ मिलता है आकर्षक वेतन
भारत में इंजीनियरिंग की कई शाखाएं हैं, जिनमें सिविल, मैकेनिकल, इलेक्ट्रॉनिक्स, सॉफ्टवेयर, एयरोस्पेस, माइनिंग और एग्रीकल्चर आदि शामिल हैं। इन्हीं में से एक शाखा मरीन इंजीनियरिंग है। अगर आपको समुद्र की लहरों से लगाव है और पानी पर तैरते जहाजों, बंदरगाहों और तकनीकी उपकरणों के बारे में पढ़ना पसंद है तो मरीन इंजीनियरिंग आपके लिए बेहतर करियर विकल्प साबित हो सकता है। मरीन इंजीनियरिंग का अपना अलग आकर्षण है, इसलिए हजारों छात्र इस फील्ड का चुनाव करते हैं।
क्या है मरीन इंजीनियरिंग?
मरीन इंजीनियरिंग उन छात्रों के लिए है, जो महासागरों या तटीय जल में शोध करना चाहते हैं। मरीन इंजीनियरिंग में बंदरगाहों, समुद्र से तेल निकालने वाले उपकरणों और जहाजों के निर्माण के बारे में सिखाया जाता है। मरीन इंजीनियर जहाजों, नावों, पनडुब्बियों और जलयानों को डिजाइन करते हैं। उनके ऊपर जहाजों के टेक्निकल मैनेजमेंट और आधुनिक तकनीक के विकास की जिम्मेदारी होती है। मरीन इंजीनियर्स द्वारा बनाई गई मशीनें खुफिया सैन्य अभियानों में भी उपयोग की जाती हैं।
मरीन इंजीनियरिंग के लिए आवश्यक स्किल्स
मरीन इंजीनियरिंग में करियर बनाना थोड़ा मुश्किल है। समुद्री वातावरण को आसानी से झेल सकने वाले छात्र ही इस क्षेत्र में आगे जा सकते हैं। मरीन इंजीनियर अधिकतर समय जहाजों पर गुजारते हैं और समुद्र के नीचे जाकर काम करते हैं। ऐसे में छात्रों का हिम्मती होना जरूरी है। छात्रों को गणित, मैकेनिकल और इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग की समझ होनी चाहिए। छात्रों में अच्छी योजना बनाने, दबाव में काम करने, समस्या सुलझाने, टीम प्रबंधन और लीडरशिप की क्षमता भी होनी चाहिए।
मरीन इंजीनियरिंग के लिए शैक्षणिक योग्यता और कोर्स
अंडर-ग्रेजुएट कोर्स में प्रवेश लेने के लिए छात्रों का कम से कम 50 प्रतिशत अंकों के साथ 12वीं पास होना जरूरी है। इसके साथ ही 12वीं में फिजिक्स, केमिस्ट्री और गणित विषय होना अनिवार्य है। अधिकतर शिक्षा संस्थानों में छात्रों की आयु 17 साल से 25 साल के बीच मांगी जाती है। उम्मीदवार की फिटनेस की भी जांच होती है। पोस्ट-ग्रेजुएट कोर्स के लिए मान्यता प्राप्त विश्वविद्यालय से मैकेनिकल/मरीन इंजीनियरिंग में BE या B.TECH की डिग्री होनी चाहिए।
मरीन इंजीनियरिंग के लिए प्रवेश परीक्षा और शिक्षा संस्थान
मरीन इंजीनियरिंग के लिए अंडर-ग्रेजुएट स्तर पर IMUCET, JEE मेन, JEE एडवांस्ड और TMISAT जैसी प्रवेश परीक्षाएं आयोजित की जाती हैं। पोस्ट-ग्रेजुएट स्तर पर GATE परीक्षा का आयोजन होता है। भारत में मरीन इंजीनियरिंग करने के लिए इंडियन मैरीटाइम यूनिवर्सिटी चेन्नई, इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ पोर्ट मैनेजमेंट कोलकाता, कोचिन यूनिवर्सिटी ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी केरल, इंटरनेशनल मरीन कम्युनिकेशन सेंटर कोच्चि, महाराष्ट्र एकेडमी ऑफ नेवल एजुकेशन एंड ट्रेनिंग पुणे और हिंद इंस्टीट्यूट ऑफ नॉटिकल साइंस एंड इंजीनियरिंग अलीगढ़ अच्छे शिक्षा संस्थान हैं।
नौकरी के अवसर और वेतन
मरीन इंजीनियरिंग के क्षेत्र में नौकरी के कई सारे अवसर हैं। कोर्स पूरा करने के बाद आप भारतीय नौसेना, मर्चेंट नेवी और जहाज निर्माण कंपनियों में काम कर सकते हैं। आप रिसर्च संस्थानों में भी अपनी सेवाएं दे सकते हैं। इंजीनियरों को आकर्षक वेतन मिलता है। वेतन कार्य और अनुभव के आधार पर तय होता है। शुरूआत में इंजीनियर का सालान वेतन पांच-छह लाख के बीच होता है, जो अनुभव बढ़ने के बाद एक लाख प्रतिमाह तक पहुंच जाता है।
मरीन इंजीनियरिंग की मुख्य चुनौती क्या है?
इस फील्ड के इंजीनियर्स को महीनों अपने घर-परिवार से दूर रहना होता है। छह महीने से ज्यादा वक्त तक इंजीनियर घर से बाहर जहाजों पर रहते हैं। समुद्र के बीच जहाज पर रहना कठिन है, ऐसे में उन्हें मानसिक तनाव का सामना करना पड़ता है।