कम उम्र से बच्चों को सिखाएं कोडिंग, बेहतर भविष्य के लिए है फायदेमंद
आज के समय में माता-पिता अपने बच्चों को बेहतर भविष्य देने के लिए उन्हें कम उम्र में ही अलग-अलग कौशल सिखा रहे हैं। मौजूदा समय में डिजिटलीकरण तेजी से बढ़ रहा है। ऐसे में बच्चों को कोडिंग सिखाने की सलाह दी जाती है। ये बेहतर भविष्य की संभावनाओं के साथ बच्चों के बौद्धिक विकास में भी सहायक है। आइए जानते है कि कम उम्र में बच्चों को कोडिंग सिखाने से क्या फायदे मिलते हैं।
बेहतर करियर के विकल्प
कम उम्र में कोडिंग सीखने से विभिन्न उद्योगों में करियर बनाने के अवसर बढ़ जाते हैं। कोडिंग से सॉफ्टवेयर क्षेत्र में सुनहरा भविष्य बनाया जा सकता है। छात्र टेक्नोलॉजी और इंजीनियरिंग के क्षेत्र में आगे बढ़ सकते हैं। बच्चे कोडिंग के जरिए इंटरनेट सुरक्षा, साइबर सुरक्षा और ऑनलाइन नैतिकता के बारे में सीख सकते हैं। इससे बच्चों की प्रौद्योगिकी को लेकर समझ विकसित होगी और वे 12वीं के बाद सही करियर विकल्प का चुनाव कर सकेंगे।
कौशल विकास में मिलेगी मदद
कोडिंग सीखने से बच्चों के जीवन पर कई सकारात्मक प्रभाव पड़ते हैं। बच्चों की मानसिक क्षमता का विकास होता है। कई बच्चे हाईस्कूल के पाठ्यक्रम में पहला कोडिंग पाठ सीखते हैं तो कुछ बच्चे बहुत कम उम्र से ही कोडिंग सीखना शुरू कर देते हैं। कोडिंग सीखने से बच्चों को समूह में काम करने की सीख मिलती है साथ ही वे संचार कौशल सीखते हैं। इससे बच्चों का आत्मविश्वास भी बढ़ता है।
अनुशासित होंगे बच्चे
कोडिंग से मानसिक क्षमता के साथ जीवन के कई अनुशासन सीखने को भी मिलते है। इससे बच्चे चुनौतियों के वाबजूद अटल रहना सीखते हैं। इससे पढ़ाई में भी निरंतरता आती है और बच्चे लगातार पढ़ाई के लिए प्रेरित रहते हैं।
समस्या समाधान करने में मिलती है मदद
जीवन में उतार-चढ़ाव आते हैं और ऐसी स्थितियों में समस्या समाधान कौशल होना जरूरी है। कोडिंग के जरिए बच्चे इस कौशल को सीख सकते हैं। कोडिंग में उन्हें सीख मिलती है कि हर समस्या का समाधान खुद खोजा जा सकता है। कोडिंग के दौरान कोडर को लगातार चुनौती मिलती है और समस्या का समाधान करने के लिए कहा जाता है। ऐसे में बच्चे समस्या की पहचान करने के साथ उसके समाधान पर काम करते हैं।
बढ़ती है रचनात्मकता
कोडिंग बच्चों को साधारण के बजाय कुछ अलग सोचने पर मजबूर करती है। इससे बच्चे कुछ नया करने का प्रयास करते हैं। इससे उनके हर कार्य और विचारों में रचनात्मकता दिखती है। प्रोग्रामिंग के दौरान बच्चों को लगातार नए-नए प्रयोग करने के लिए प्रेरित किया जाता है। इससे बच्चों का डर दूर होता है। बुनियादी कार्यों को समझने के बाद वे खुद से आगे बढ़ने के लिए नए रास्ते ढूंढ़ने की कोशिश करते हैं।