UPSC: 5 बार असफल होने के बाद भी नहीं हारे आकाश, आखिरी प्रयास में बने अधिकारी
सफलता तक पहुंचने की हर यात्रा कई असफलताओं से होकर गुजरती है। उत्तर प्रदेश के रहने वाले आकाश गर्ग की कहानी भी कुछ ऐसी ही है। उन्हें संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) की सिविल सेवा परीक्षा (CSE) में लगातार 5 बार असफलता मिली, लेकिन उन्होंने हिम्मत नहीं हारी और गलतियों से सीख लेते रहे। यही कारण रहा कि उन्होंने अपने आखिरी प्रयास में परीक्षा पास कर 338वीं रैंक हासिल कर ली। आइए आकाश के सफर के बारे में जानते हैं।
कहां से हासिल की प्रारंभिक शिक्षा?
आकाश मेरठ के रहने वाले हैं और वर्तमान में भारतीय रक्षा संपदा सेवा अधिकारी के रूप में काम कर रहे हैं। आकाश ने मेरठ से ही 12वीं तक की पढ़ाई की थी और उसके बाद भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (IIT) रुड़की में सिविल इंजीनियरिंग कार्यक्रम में दाखिला लिया था। सिविल इंजीनियरिंग की पढ़ाई के दौरान उन्होंने निजी क्षेत्र में नौकरी के सीमित अवसर देखे। उसके बाद उन्होंने स्नातक के अंतिम वर्ष (2016) में UPSC की तैयारी करने का फैसला लिया।
क्यों लगातार 5 प्रयासों में असफल रहे आकाश?
आकाश ने साल 2017 से UPSC परीक्षा देनी शुरू की थी। उन्हें पहले प्रयास में सफलता नहीं मिली, लेकिन बाद के सभी प्रयासों में वे प्रारंभिक परीक्षा में सफल रहे। आकाश मुख्य परीक्षा में सफल नहीं हो पाते थे। उन्होंने वैकल्पिक विषय के रूप में गणित को चुना था और इस विषय में अच्छे अंक प्राप्त करने के लिए काफी संघर्ष किया। साल 2022 में अपने अंतिम प्रयास के दौरान आखिरकार उन्होंने सफलता हासिल कर ही ली।
क्या है आकाश की सफलता का मंत्र?
आकाश ने सावधानीपूर्वक तैयारी की रणनीति बनाई, इसमें मानक पुस्तकों को पढ़ने, प्रतिदिन रिवीजन करने और मॉक टेस्ट को हल करने पर जोर दिया। मुख्य परीक्षा में सफलता के लिए उन्होंने पाठ्यक्रम को व्यापक रूप से कवर किया और दैनिक समाचार पत्र के माध्यम से करेंट अफेयर्स पर ध्यान दिया। उन्होंने बताया, "दोनों चरणों में सफलता के लिए टेस्ट सीरीज बेहद महत्वपूर्ण हैं। इसमें कमजोर क्षेत्रों पर सुधार करने के तरीके बताए जाते हैं।"
आकाश ने छात्रों को क्या दी सलाह?
आकाश ने छात्रों को सलाह दी है कि वे तैयारी के दौरान शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य पर भी ध्यान दें। दोस्तों के साथ थोड़ा समय बिताएं। उन्होंने छात्रों को बैकअप योजना पर विचार करने की भी सलाह दी। उनका कहना है कि शुरुआत में उन्होंने अतिआत्मविश्वास के कारण बैकअप योजना पर काम नहीं किया था, लेकिन बाद में उन्हें इसका महत्व समझ आया। उन्होंने कहा कि छात्र लगातार मेहनत करें और असफलताएं मिलने पर निराश न हों।