राजस्थान: कोटा में 1 साल में 28 मौतें, क्यों नहीं थम रहा आत्महत्या का सिलसिला?
क्या है खबर?
राजस्थान के कोटा में छात्रों की आत्महत्या का सिलसिला नहीं थम रहा है। सोमवार देर रात 20 वर्षीय अभ्यर्थी ने अपनी जान दे दी।
छात्र पश्चिम बंगाल का रहने वाला था और कोटा में राष्ट्रीय पात्रता सह प्रवेश परीक्षा (NEET) की तैयारी कर रहा था।
कोटा में NEET और JEE की तैयारी कर रहे उम्मीदवारों की आत्महत्या का ये 28वां मामला है।
लगातार सामने आ रही इन घटनाओं के बाद कई सवाल खड़े हो रहे हैं।
सबसे ज्यादा
साल 2023 में हुई सबसे अधिक मौतें
साल 2023 की शुरुआत से ही कोटा में खुदकुशी की कई घटनाएं सामने आई।
1 वर्ष में 28 मौतें कोटा में आत्महत्याओं की सबसे अधिक संख्या है और ये आंकड़ा काफी चिंताजनक है।
इससे पहले साल 2022 में प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे 15 अभ्यर्थियों ने मौत को गले लगाया था।
साल 2019 में 18, 2018 में 20, 2017 में 7, 2016 में 17 और 2015 में 18 छात्रों ने आत्महत्या की थी।
कोटा
क्यों कोटा में आत्महत्या कर रहे हैं छात्र?
कोटा में कड़ी प्रतिस्पर्धा का माहौल है और वहां छात्रों का पूरा दिन कोचिंग में निकल जाता है। पढ़ाई और माता-पिता की अपेक्षाओं का अत्याधिक दबाव छात्रों में तनाव बढ़ाता है।
कोटा में पढ़ाई के दौरान छात्र घर से दूर रहते हैं, उनके पास बात करने वाला भी कोई नहीं होता है। कई छात्र छोटी उम्र में ही कोटा आ जाते हैं।
ऐसी स्थिति में वे पढ़ाई और प्रतिस्पर्धा का दबाव नहीं झेल पाते और आत्मघातक कदम उठा लेते हैं।
जानकारी
किस आयु वर्ग में आत्महत्या के ज्यादा मामले सामने आए?
हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, कोटा में आत्महत्या करने वाले छात्रों में से अधिकांश 18 साल से कम उम्र के थे। इनमें से 12 छात्रों ने शहर पहुंचने के 6 महीने के भीतर ही मौत को गले लगा लिया था।
सरकार
सरकार ने अब तक क्या-क्या किया?
आत्महत्या को रोकने के लिए राजस्थान सरकार ने उच्च शिक्षा सचिव भवानी सिंह की अध्यक्षता में 15 सदस्यीय समिति का गठन किया और उनके सुझावों को लागू किया।
इसमें छात्रों के स्क्रीनिंग टेस्ट, उनके रैंक के बजाय नामों के आधार पर कक्षा वर्ग बनाना और निगरानी केंद्र बनाना शामिल हैं।
जिला के छात्रावासों और पेइंग गेस्ट (PG) में अनिवार्य तौर पर स्प्रिंग लोडेड पंखे लगाने का आदेश दिए गए ताकि आत्महत्या के मामलों में कमी लाई जा सके।
टेस्ट
2 महीने के लिए टेस्ट पर लगाई थी रोक
इससे पहले कोटा के कोचिंग सेंटरों में 2 महीने तक किसी भी प्रकार की परीक्षा या टेस्ट आयोजित करने पर रोक लगा दी गई थी।
ये आदेश अगस्त में जारी हुए थे और अक्टूबर तक टेस्ट पर रोक लगी थी। सरकार ने सभी कोचिंग सेंटरों में छात्रों के लिए विशेष मोटिवेशनल क्लास रखने के लिए भी निर्देश दिए थे।
इन सब प्रयासों के बावजूद भी कोटा में आत्महत्या के मामलों में कमी नहीं आई।
विशेषज्ञ
क्या कहते हैं विशेषज्ञ?
आत्महत्या के बढ़ते मामलों को लेकर विशेषज्ञों का कहना है कि छात्रों के ऊपर से अपेक्षाओं का दबाव कम करना चाहिए। उनके अंदर आत्मविश्वास पैदा करना चाहिए और सीखने की प्रक्रिया आसान बनानी चाहिए।
विशेषज्ञों का कहना है कि हमें मानसिक स्वास्थ्य के बारे में खुले संवाद को प्रोत्साहित करना चाहिए।
छात्रों को ये समझाने की आवश्यकता है कि असफलता का सामना करना सीखने की प्रक्रिया का एक हिस्सा है और उन्हें इससे निराश होने की जरूरत नहीं है।