
क्या होता है क्रेडिट स्कोर और क्यों है यह जरूरी?
क्या है खबर?
क्रेडिट स्कोर (सिबिल स्कोर) आपकी आर्थिक साख का आंकलन करने का तरीका है।
यह 300 से 900 के बीच होता है और इससे बैंक यह तय करते हैं कि किसी व्यक्ति को लोन देना कितना सुरक्षित है। अगर स्कोर अच्छा हो तो जरूरत पड़ने पर आपको लोन की मंजूरी जल्दी मिलती है और ब्याज दर भी कम रहती है।
इसीलिए, यह वित्तीय स्थिरता के लिए बहुत जरूरी माना जाता है और इसे ठीक रखने की सलाह दी जाती है।
स्कोर
किन बातों से बनता है आपका स्कोर?
क्रेडिट स्कोर कई बातों पर निर्भर करता है। सबसे अधिक प्रभाव भुगतान इतिहास का होता है, जो स्कोर में 35 प्रतिशत योगदान देता है।
बकाया राशि 30 प्रतिशत, क्रेडिट इतिहास की अवधि 15 प्रतिशत, जबकि नया क्रेडिट और खाता प्रकार 10-10 प्रतिशत असर डालते हैं।
इन बातों को समझकर कोई भी व्यक्ति अपने स्कोर को बेहतर बना सकता है। स्कोर अच्छा होने से भविष्य में लोन लेना आसान हो जाता है और अच्छी ब्याज दरें मिलती हैं।
असर
समय पर भुगतान और सीमित उपयोग का असर
समय पर बिल चुकाना स्कोर में बड़ा सुधार ला सकता है।
देर से भुगतान करने से स्कोर पर नकारात्मक असर पड़ता है, जिससे लोन मंजूरी में मुश्किलें आ सकती हैं। इसी तरह, क्रेडिट कार्ड का सीमित उपयोग भी जरूरी है।
कोशिश करें कि कुल सीमा का 30 प्रतिशत से कम ही इस्तेमाल हो। यह आदत स्कोर को सुरक्षित रखती है और दिखाती है कि आप पैसों का जिम्मेदारी से प्रबंधन कर सकते हैं।
अकाउंट
पुराने अकाउंट और अलग-अलग अकाउंट का महत्व
लंबा क्रेडिट इतिहास उधारदाताओं को आपके भरोसे का अंदाजा लगाने में मदद करता है। पुराने बैंक या क्रेडिट कार्ड अकाउंट अगर चालू और सक्रिय रहें तो स्कोर बेहतर बना रहता है।
इसके साथ ही, अगर आपके पास अलग-अलग तरह के अकाउंट हों जैसे किस्त पर लिया लोन और क्रेडिट कार्ड, तो यह विविधता आपके स्कोर को मजबूती देती है।
हालांकि, बार-बार नए अकाउंट खोलना शुरू में नुकसानदायक हो सकता है, इसलिए संतुलन जरूरी है।