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#NewsBytesExplainer: सरकारी कंपनियों को कैसे मिलता है मिनीरत्न, नवरत्न और महारत्न का दर्जा?
केंद्र सरकार ने 3 PSU को नवरत्न का दर्जा दिया है

#NewsBytesExplainer: सरकारी कंपनियों को कैसे मिलता है मिनीरत्न, नवरत्न और महारत्न का दर्जा?

लेखन आबिद खान
Aug 31, 2024
07:00 pm

क्या है खबर?

केंद्र सरकार ने सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम राष्ट्रीय जलविद्युत ऊर्जा निगम (NHPC), भारतीय सौर ऊर्जा निगम (SECI) और सतलुज जल विद्युत निगम लिमिटेड (SJVN) को 'नवरत्न' का दर्जा दिया है। अभी तक ये कंपनियां मिनी रत्न श्रेणी के तहत काम कर रही थीं। इसके साथ अब देश में नवरत्न कंपनियों की संख्या 24 हो गई है। आइए जानते हैं कि कंपनियों को ये दर्जा कैसे दिया जाता है और इसके क्या फायदे होते हैं।

दर्जे

कंपनियों को कितनी तरह के दर्जे दिए जाते हैं?

कंपनियों को मिलने वाले दर्जे जानने से पहले सार्वजनिक उद्यमों के बारे में जानना जरूरी है। दरअसल, जिन कंपनियों में केंद्र सरकार की हिस्सेदारी 51 प्रतिशत या उससे अधिक होती है, उन्हें सार्वजनिक क्षेत्र का उद्यम कहा जाता है। इनका प्रबंधन भारी उद्योग एवं सार्वजनिक उद्यम मंत्रालय करता है। इन उद्यमों को 3 श्रेणियों में बांटा जाता है- महारत्न, नवरत्न और मिनीरत्न। फिलहाल 57 मिनीरत्न, 25 नवरत्न और 13 महारत्न कंपनियां हैं।

महारत्न कंपनियां

क्या होती हैं महारत्न कंपनियां?

महारत्न का दर्जा उस कंपनी को दिया जाता है, जिन्होंने लगातार 3 वर्षों में 5,000 करोड़ रुपए से अधिक का मुनाफा कमाया है या 3 वर्षों में औसत वार्षिक कारोबार 25,000 करोड़ रुपये का रहा हो या 3 वर्षों में औसत वार्षिक शुद्ध मूल्य 15,000 करोड़ रुपये हो। इसके अलावा दुनियाभर में इनकी मजबूत उपस्थिति और अंतर्राष्ट्रीय गतिविधियां होनी चाहिए। बड़ी बात यह है कि सरकार केवल नवरत्न कंपनियों को ही महारत्न का दर्जा देती है।

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महारत्न कंपनियों को फायदे

महारत्न कंपनियों को क्या फायदे मिलते हैं?

महारत्न कंपनियों को अधिक स्वायत्तता प्रदान की जाती है और एक निश्चित सीमा तक सरकार की मंजूरी के बिना निवेश निर्णय लेने का अधिकार होता है। ऐसी कंपनियों का निदेशक मंडल वित्तीय संयुक्त उद्यमों और पूर्ण स्वामित्व वाली सहायक कंपनियों में इक्विटी निवेश कर सकता है। साथ ही भारत और विदेशों में विलय और अधिग्रहण भी कर सकता है, जिसकी सीमा कंपनी की कुल संपत्ति का 15 प्रतिशत और एकल परियोजना में अधिकतम 5,000 करोड़ रुपये तक हो सकती है।

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नवरत्न कंपनियां

क्या होती हैं नवरत्न कंपनियां?

नवरत्न बनने के लिए संबंधित कंपनी के पास मिनी रत्न का दर्जा होना जरूरी है। इन कंपनियों ने पिछले 5 में 3 साल तक कॉन्ट्रैक्ट सिस्टम के तहत उत्कृष्ट या बहुत अच्छी रेटिंग हासिल की हो। इसके अलावा कुछ पैमानों पर कंपनी का समग्र स्कोर 60 या उससे अधिक होना चाहिए। ये पैमानें हैं- शुद्ध पूंजी और शुद्ध लाभ, उत्पादन लागत के मुकाबले मैनपॉवर पर आने वाली लागत, प्रति शेयर कमाई और अंतर-क्षेत्रीय प्रदर्शन।

नवरत्न कंपनियों को फायदे

नवरत्न कंपनियों को क्या फायदे मिलते हैं?

नवरत्न कंपनियों को सरकार से मंजूरी लिए बिना 1,000 करोड़ रुपये तक निवेश करने की वित्तीय स्वायत्तता प्राप्त होती है। ऐसी कंपनियां अपनी कुल संपत्ति का 15 प्रतिशत तक हिस्सा निवेश करने के लिए स्वतंत्र होती है। नवरत्न का दर्जा मिलने से कंपनी को अपने उत्पादों को आगे बढ़ाने, वैश्विक बाजार में अधिक प्रभावी ढंग से प्रतिस्पर्धा करने और विकास के लिए नए मोर्चे पर दमखम से आगे बढ़ने में मदद मिलती है।

मिनीरत्न कंपनियां

क्या होती हैं मिनीरत्न कंपनियां?

मिनीरत्न के तहत कंपनियों को 2 श्रेणियों (मिनीरत्न-1 और मिनीरत्न-2) में बांटा गया है । मिनीरत्न- 1 के दर्जे के लिए कंपनी ने पिछले 3 वर्षों से लगातार लाभ प्राप्त किया हो और 3 साल में एक बार कम से कम 30 करोड़ रुपए का शुद्ध लाभ अर्जित किया हो। मिनीरत्न- 2 के दर्जे किए कंपनी द्वारा पिछले 3 साल से लगातार लाभ अर्जित किया हो और उनकी नेटवर्थ पॉजिटिव हों। इसके अलावा कुछ और भी शर्तें होती हैं।

मिनीरत्न कंपनियों को फायदे

मिनीरत्न कंपनियों को क्या फायदे मिलते हैं?

मिनीरत्न योजना की शुरुआत साल 1997 में सार्वजनिक क्षेत्र को अधिक कुशल एवं प्रतिस्पर्द्धी बनाने और लाभ कमाने के उद्देश्य से की गई थी। दरअसल, महारत्न कंपनी बनने की शुरुआत मिनीरत्न बनने से ही होती है। ऐसी कंपनियों को भी सरकार की ओर से कई फायदों का लाभ मिलता है। मिनीरत्न कंपनियों में एयरपोर्ट ऑथोरिटी ऑफ इंडिया, भारत कोकिंग कोल लिमिटेड, भारत डायनेमिक्स लिमिटेड, भारत संचार निगम लिमिटेड और कोचीन शिपयार्ड लिमिटेड जैसी कई कंपनियां शामिल हैं।

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