बैंकों ने साढ़े तीन साल में ग्राहकों से जुर्माने के रूप में वसूले 10,000 करोड़ रुपये
सरकारी बैंको ने पिछले साढ़े तीन साल में जनता के लगभग Rs. 10,000 करोड़ अपनी जेबों में डाल लिए हैं। सरकार ने संसद में पूछे गए एक सवाल के जवाब में बताया कि सरकारी बैंको ने लोगों द्वारा अपने खाते में न्यूनतम रकम (मिनिमम बैलेंस) न रखने और ATM से निकासी के चार्ज के रूप में यह रकम वसूली है। यह केवल सरकारी बैंकों का आंकड़ा है, इसमें निजी बैंकों को शामिल नहीं किया गया है।
बदले गए SBI के नियम
संसद में वित्त मंत्रालय ने जानकारी दी कि सरकारी बैंकों को छोड़कर बाकी बैंक नियमानुसार ग्राहकों से चार्ज ले रहे हैं। साल 2012 तक भारतीय स्टेट बैंक (SBI) भी हर महीने खाते में न्यूनतम रकम नहीं रखने पर चार्ज लेता था, लेकिन बाद में यह बंद कर दिया गया था। उसके बाद 1 अप्रैल, 2017 से बैंक ने फिर यह चार्ज वसूल करना शुरू कर दिया। हालांकि, इस बार खाते में न्यूनतम रकम रखने की सीमा कम कर दी है।
यह है कुल रकम का हिसाब-किताब
सरकारी बैंकों ने पिछले साढ़े तीन सालों में न्यूनतम रकम नहीं रखने पर लगने वाले चार्ज से Rs. 6,246 करोड़ और ATM से तय सीमा के बाद की निकासी पर लगने वाले चार्ज से Rs. 4,145 करोड़ वसूले। यह कुल रकम Rs. 10,391 करोड़ है।
बैंकों के बोर्ड तय करते हैं चार्ज
वित्त मंत्रालय ने बताया कि भारतीय रिजर्व बैंक सभी बैंकों को अपनी सेवाओं के बदले चार्ज वसूलने की इजाजत देता है। बैंकों के बोर्ड ये चार्ज निर्धारित करते हैं। इसलिए हर बैंक के खाते में न्यूनतम रकम नहीं रखने पर लगने वाला चार्ज अलग-अलग होता है। इसके अलावा बैंक हर महीने ग्राहकों को अपने ATM से पांच बार और दूसरे ATM से तीन बार मुफ्त निकासी की सुविधा देते हैं। इस सीमा से ज्यादा निकासी पर चार्ज लिया जाता है।
बंद नहीं होंगे सरकारी बैंकों के ATM
कुछ दिन पहले खबरें आई थीं कि सरकारी बैंक अगले कुछ महीनों में अपने 50 फीसदी ATM बंद कर देंगे। वित्त मंत्रालय ने इस पर सफाई देते हुए कहा कि ऐसी कोई योजना नहीं है। साथ ही वित्त मंत्रालय ने बैंकों को निर्देश दिया कि छह मेट्रो शहर- दिल्ली, मुंबई, चेन्नई, कोलकाता, बेंगलुरु और हैदराबाद में एक महीने में बैंक के ATM से 5 और अन्य बैंकों के ATM से 3 ट्रांजैक्शन मुफ्त रखे जाए।