रतन टाटा के जीवन से जुड़ी ये बातें आपको जरूर जाननी चाहिए
क्या है खबर?
टाटा समूह के पूर्व चेयरमैन रतन टाटा का निधन बुधवार (9 अक्टूबर) को हो गया। उन्होंने 1991 से 2012 तक टाटा समूह का नेतृत्व किया और बाद में उन्हें टाटा संस, टाटा इंडस्ट्रीज, टाटा मोटर्स, टाटा स्टील और टाटा केमिकल्स का मानद चेयरमैन एमेरिटस बनाया गया।
उन्हें पद्म विभूषण सहित कई सम्मान प्राप्त हुए हैं। उनके जीवन में कुत्तों के प्रति प्रेम और कभी शादी नहीं करने जैसे कई रोचक पहलू थे, जो उन्हें एक खास इंसान बनाते थे।
पशु प्रेम
बचपन और कुत्तों के प्रति उनका प्रेम
28 दिसंबर, 1937 को मुंबई में जन्मे रतन टाटा का पालन-पोषण उनकी दादी ने किया था। जब वे 10 वर्ष के थे, तब उनके माता-पिता नवल और सूनी टाटा का तलाक हो गया।
टाटा का कुत्तों के प्रति गहरा प्रेम उनके जीवन का अहम हिस्सा था। उनके टिटो और टैंगो नाम के 2 पालतू कुत्ते थे।
उन्होंने अपना करियर 1961 में टाटा समूह के साथ शुरू किया था और उनकी पहली नौकरी टाटा स्टील के संचालन का प्रबंधन करना था।
शौक
उड़ान और स्कूबा डाइविंग का जुनून
टाटा का जीवन उड़ान, तेज गाड़ियों और स्कूबा डाइविंग के प्रति गहरे जुनून से भरा था। जब तक उनके कान दबाव सहन कर सकते थे, वे इन शौकों का आनंद लेते रहे।
टाटा एक लाइसेंस प्राप्त पायलट भी थे और 2007 में F-16 फाल्कन लड़ाकू उड़ाने वाले पहले भारतीय बने थे।
टाटा को राष्ट्र निर्माण में उनके योगदान के लिए भारत के दो सर्वोच्च नागरिक पुरस्कारों- पद्म विभूषण (2008) और पद्म भूषण (2000) से सम्मानित किया गया था।
जानकारी
भारत-चीन युद्ध के चलते नहीं हुई शादी
टाटा ने एक बार स्वीकार किया था कि लॉस एंजिल्स में काम करते समय उन्हें प्यार हो गया था, लेकिन 1962 के भारत-चीन युद्ध के चलते लड़की के माता-पिता ने उसे भारत भेजने से इनकार कर दिया था।
नहीं की शादी
कभी नहीं की शादी
टाटा ने कभी शादी नहीं की और बताया जाता है कि न ही उन्होंने कभी भी शराब या धूम्रपान किया। उनका जीवन हमेशा काम और समाज सेवा के लिए समर्पित रहा।
उन्होंने टाटा समूह को आगे बढ़ाने पर ध्यान दिया और व्यक्तिगत जीवन को ज्यादा महत्व नहीं दिया। अपने समय का अधिकतर हिस्सा उन्होंने नए विचारों और समाज के सुधार में लगाया। उनकी यह सोच उनके व्यक्तित्व और मूल्यों को दिखाती है।