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नोएल टाटा बनाए गए टाटा ट्रस्ट के नए चेयरमैन, रतन टाटा के हैं सौतेले भाई
नोएल टाटा टाटा ट्रस्ट के नए चेयरमैन बनाए गए

नोएल टाटा बनाए गए टाटा ट्रस्ट के नए चेयरमैन, रतन टाटा के हैं सौतेले भाई

लेखन गजेंद्र
Oct 11, 2024
03:07 pm

क्या है खबर?

रतन टाटा के निधन के एक दिन बाद शुक्रवार को टाटा ट्रस्ट के नए चेयरमैन का ऐलान कर दिया गया। रतन टाटा के सौतेले भाई नोएल टाटा को ट्रस्ट का चेयरमैन बनाया गया है। जल्द ही इसकी आधिकारिक घोषणा की जाएगी। नोएल टाटा रतन टाटा के पिता नवल टाटा की दूसरी पत्नी सिमोन डुनोयर के बेटे हैं। वे पिछले 40 सालों से टाटा समूह से जुड़े हुए हैं और महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं।

जिम्मेदारी

कौन हैं नोएल टाटा?

नवल टाटा और सूनी के 2 बेटे हैं, जिसमें रतन टाटा और जिमी टाटा हैं। 1940 में सूनी से तलाक लेने के बाद नवल टाटा ने 1955 में स्विट्जरलैंड की व्यवसायी सिमोन डुनोयर से दूसरी शादी की। नोएल नवल और सिमोन के बेटे हैं। मौजूदा समय में नोएल ट्रेंट, वोल्टास, टाटा निवेश और टाटा इंटरनेशनल के चेयरमैन हैं। वे टाटा स्टील के उपाध्यक्ष और सररतन टाटा ट्रस्ट के बोर्ड में भी हैं। जिमी 25 साल पहले रिटायर हो चुके हैं।

कमान

टाटा समूह में सबसे ऊपर है टाटा ट्रस्ट

अभी टाटा संस के चेयरमैन एन चंद्रशेखरन हैं, लेकिन उनसे ऊपर टाटा ट्रस्ट है, जिसकी कंपनी में 66 प्रतिशत हिस्सेदारी है। निधन से पहले रतन टाटा इस ट्रस्ट के प्रमुख थे। टाटा समूह में रतन टाटा अंतिम व्यक्ति रहे जो टाटा संस और ट्रस्ट में एक साथ प्रमुख थे। बाद में कंपनी के आर्टिकल में संशोधन कर एक व्यक्ति के दोनों पद पर रहने पर रोक लगा दी गई। इसके बाद पद पर सिर्फ एक व्यक्ति रहता है।

व्यापार

टाटा में किसकी कितनी हिस्सेदारी?

टाटा समूह में 66 प्रतिशत हिस्सेदारी टाटा ट्रस्ट के पास है, जिससे यह अभी भी समूह का सर्वेसर्वा है। इसके तहत सर दोराबजी टाटा ट्रस्ट और सर रतन टाटा ट्रस्ट आते हैं, जिनके पास टाटा संस की 52 प्रतिशत हिस्सेदारी है। इसके बाद सबसे अधिक 18.4 प्रतिशत हिस्सेदारी मिस्त्री परिवार के पास है। बाकी 13 प्रतिशत हिस्सेदारी टाटा समूह की कंपनी के पास है और 2.6 प्रतिशत हिस्सेदारी अन्य लोगों के पास है।

निधन

बुधवार देर रात हुआ था रतन टाटा का निधन

बुधवार 9 अक्टूबर को रात 12 बजे के आसपास मुंबई के ब्रीच कैंडी अस्पताल में रतन टाटा का निधन हो गया था। वे 86 साल के थे। टाटा पिछले कई दिनों से अस्पताल में भर्ती थे, जहां उनकी हालत खराब होने के बाद उन्हें गहन चिकित्सा कक्ष (ICU) में रखा गया था। उनका अंतिम संस्कार राजकीय सम्मान के साथ वर्ली श्मशान घाट पर कुछ पारसी रीति रिवाज के साथ किया गया। इससे पहले पार्थिव शरीर के अंतिम दर्शन कराए गए।