
फरवरी में विलय और अधिग्रहण सौंदों ने तोड़ा 3 साल का रिकॉर्ड, कितना हुआ इजाफा?
क्या है खबर?
देश में पिछले महीने विलय-अधिग्रहण (M&A) और निजी इक्विटी सौदों में 3 सालों का रिकॉर्ड तोड़ दिया है।
ग्रांट थॉर्नटन की डीलट्रैकर रिपोर्ट के अनुसार, इस दौरान कुल 7.2 अरब डॉलर (करीब 626 अरब रुपये) के 226 सौदे हुए, जो पिछले 3 सालों में किसी भी महीने का सबसे अधिक आंकड़ा है।
यह वृद्धि फरवरी, 2024 की तुलना में मात्रा के लिहाज से 67 प्रतिशत और मूल्य के लिहाज से 5.4 गुना अधिक है।
अधिग्रहण
भारतीय कंपनियों ने स्थानीय कंपनियों का किया अधिग्रहण
फरवरी में हुए सौदों में 4.8 अरब डॉलर (करीब 417 अरब रुपये) के 85 विलय और अधिग्रहण सौदे शामिल थे।
खास बात यह रही कि इनमें से 78 फीसदी हिस्सेदारी घरेलू सौदों की थी। इसका मतलब है कि भारतीय कंपनियों ने देश की कंपनियों का अधिग्रहण करने में अधिक रुचि दिखाई।
वैश्विक बाजारों में अस्थिरता, भारतीय सार्वजनिक बाजारों में विदेशी निवेश में गिरावट और व्यापार शुल्कों में वृद्धि जैसी चुनौतियों के बावजूद देश में सौदा गतिविधियों में तेजी देखी गई।
कारण
सौदे बढ़ने का क्या रहा कारण?
रिपोर्ट के अनुसार, इस रिकॉर्ड उछाल का मुख्य कारण मजबूत घरेलू मांग और रणनीतिक अधिग्रहणों में आई तेजी को बताया जा रहा है।
फरवरी में जेन टेक्नोलॉजीज और निटको लिमिटेड प्रमुख अधिग्रहणकर्ता रही हैं। दोनों ने 4 कंपनियों का अधिग्रहण किया, जिससे बाजार में इनकी स्थिति और मजबूत हुई है।
दूसरी तरफ ONGC-NTPC ग्रीन द्वारा अयाना रिन्यूएबल पावर का अधिग्रहण भी हुआ, जो 2.3 अरब डॉलर (करीब 199 अरब रुपये) में हुआ।
इक्विटी
निजी इक्विटी में कितने के हुए सौदे?
निजी इक्विटी (PE) सौदों के लिए 2.4 अरब डॉलर (करीब 208 अरब डॉलर) के कुल 141 लेनदेन किए। यह मई, 2022 के बाद से सबसे अधिक PE मात्रा है, जिसमें नवंबर, 2024 से वृद्धि जारी रही।
शुरुआती चरण के निवेश (सीड से सीरीज A तक) हावी रहे, जो कुल PE का लगभग 50 प्रतिशत था।
प्रमुख PE लेनदेन में क्यूब हाईवेज द्वारा 2 सड़क परियोजनाओं में और मल्टीपल्स अल्टरनेट एसेट मैनेजमेंट द्वारा क्यूबर्स्ट टेक्नोलॉजीज में निवेश शामिल है।