
IT कंपनियों का मार्च तिमाही में कमजोर प्रदर्शन, 2020 के बाद पहली बार हुआ ऐसा
क्या है खबर?
भारतीय घरेलू IT कंपनियों ने मार्च, 2025 की तिमाही में कमजोर प्रदर्शन दर्ज किया है।
कोटक इंस्टीट्यूशनल इक्विटीज की रिपोर्ट के अनुसार, सभी बड़ी कंपनियों के राजस्व में गिरावट आई, जो जून, 2020 के बाद पहली बार हुआ है।
मैन्युफैक्चरिंग और खुदरा क्षेत्र में तेज गिरावट रही जबकि वित्तीय सेवाओं से कुछ राहत मिली। मध्यम स्तर की कंपनियां जैसे पर्सिस्टेंट और एमफैसिस ने बेहतर प्रदर्शन किया और राजस्व में बढ़त भी दिखाई।
वजह
कमजोर नतीजों के पीछे की प्रमुख वजहें क्या हैं?
इस तिमाही की खराब स्थिति के पीछे कई बड़ी वजहें रहीं।
अमेरिका द्वारा टैरिफ लगाने से खुदरा और मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर प्रभावित हुए, जिससे प्रोजेक्ट रुक गए और खर्च में कटौती हुई। ग्राहक भी सतर्कता बरतते दिखे, खासकर मैक्रो अनिश्चितता के कारण।
दूरसंचार और हेल्थकेयर जैसे क्षेत्रों में भी खर्च का माहौल मिला-जुला रहा। दूसरी ओर BFSI और ऊर्जा क्षेत्र में डिमांड बनी रही, जिससे वहां कोई बड़ी गिरावट नहीं आई।
मार्जिन
मार्जिन में मामूली सुधार, लेकिन मांग में गिरावट
टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (TCS) को छोड़कर बाकी बड़ी कंपनियों ने EBIT मार्जिन में सुधार दिखाया, जो रुपये के अवमूल्यन और खर्च कम करने की नीति से संभव हुआ।
सभी कंपनियों ने कर्मचारियों की संख्या बढ़ाई, जिससे यह संकेत मिला कि वे आगे की ग्रोथ के लिए तैयार थीं।
हालांकि, तिमाही के अंतिम हिस्से में मांग में गिरावट देखी गई। कुछ कंपनियों ने क्लाइंट से मिलने वाले भुगतान में भी सुधार दर्ज किया, जिससे थोड़ी राहत मिली।
रुख
आगे की तिमाहियों को लेकर मिला-जुला रुख
कोटक का कहना है कि कंपनियां अब एक कठिन दौर में जा रही हैं, जहां मार्जिन बढ़ाना मुश्किल होगा।
खर्च घटाने के लिए कंपनियां बोनस और वेतन में कटौती कर सकती हैं। Q1FY26 में प्रदर्शन बेहतर होने की उम्मीद है, लेकिन विप्रो जैसी कंपनियों ने वैश्विक अनिश्चितताओं के कारण राजस्व पर असर की आशंका जताई है।
बड़े सौदों की संख्या कम हो रही है, जिससे HCL और LTIM जैसी फर्मों को भी सौदों में देरी झेलनी पड़ सकती है।