
सरकार चीनी कंपनियों को इलेक्ट्रॉनिक घटकों में 26 प्रतिशत हिस्सेदारी देने पर कर रही विचार
क्या है खबर?
भारत सरकार चीनी कंपनियों को कुछ विशेष इलेक्ट्रॉनिक्स घटकों के लिए संयुक्त उद्यमों में 26 प्रतिशत तक की हिस्सेदारी देने पर विचार कर रही है।
हालांकि, अधिकांश अन्य श्रेणियों के लिए 10 प्रतिशत की सीमा होगी। सरकार का कहना है कि प्रस्तावों का मूल्यांकन केस-दर-केस किया जाएगा।
यह कदम भारतीय इलेक्ट्रॉनिक्स उद्योग के लिए एक नया अवसर हो सकता है, जिससे निवेश बढ़ सकता है और प्रौद्योगिकी हस्तांतरण में मदद मिल सकती है।
रुचि
चीनी कंपनियों की रुचि
चीनी कंपनियां भारत में निवेश करने के लिए काफी उत्सुक हैं, खासकर वे कंपनियां जो पहले से वैश्विक ब्रांडों के लिए काम करती हैं।
लियानचुआंग इलेक्ट्रॉनिक्स ने भारत में डिस्प्ले, कैमरा मॉड्यूल और इंटीग्रेटेड सर्किट निर्माण में निवेश करने की इच्छा जताई है।
इसके अलावा, एम्बर इलेक्ट्रॉनिक्स और ऑप्टिमस इलेक्ट्रॉनिक्स भी भारत में निवेश की योजना बना रही हैं। यह बदलाव भारतीय इलेक्ट्रॉनिक्स उद्योग के लिए महत्वपूर्ण हो सकता है।
असर
क्या होगा फैसले का असर?
यह फैसला भारत में विदेशी निवेश को आकर्षित कर सकता है, जिससे घरेलू इलेक्ट्रॉनिक्स उत्पादन बढ़ेगा।
अगर चीनी कंपनियां अपनी तकनीकी क्षमता और गुणवत्ता में सुधार करती हैं, तो इससे भारतीय कंपनियों को भी लाभ हो सकता है।
हालांकि, सरकार के केस-दर-केस मूल्यांकन से यह स्पष्ट नहीं होगा कि कौन से प्रस्ताव मंजूर होंगे। इससे उद्योग में निवेश के प्रति अनिश्चितता हो सकती है।
उद्योग के विशेषज्ञों का मानना है कि निवेश के लिए गुणवत्ता पर ध्यान केंद्रित करना होगा।
बयान
केंद्रीय मंत्री का बयान
केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा कि सरकार केवल उन कंपनियों को अनुमति देगी, जो उच्च गुणवत्ता वाले उत्पाद बना सकती हैं और डिजाइन में मजबूत हैं।
उनका यह बयान भारतीय कंपनियों को प्रोत्साहित कर सकता है कि वे डिजाइन क्षमताओं पर ध्यान दें और गुणवत्ता को बढ़ाएं। इससे भारत की इलेक्ट्रॉनिक्स कंपनियों को वैश्विक प्रतिस्पर्धा में मजबूती मिल सकती है।
भारतीय कंपनियां इस फैसले से उत्साहित हैं, लेकिन उन्हें इस बारे में अभी भी कुछ संदेह है।