
कपड़ा उद्योग में एक समान 12 प्रतिशत GST पर विचार कर रही सरकार- रिपोर्ट
क्या है खबर?
केंद्र सरकार कपड़ा उद्योग के लिए एक समान 12 प्रतिशत वस्तु एवं सेवा कर (GST) लागू करने पर विचार कर रही है। मनीकंट्रोल की रिपोर्ट के अनुसार, GST परिषद सितंबर से पहले इस प्रस्ताव पर चर्चा कर सकती है। केंद्र सरकार इस योजना का समर्थन कर रही है, जो GOM की कर-युक्तिकरण रिपोर्ट का हिस्सा हो सकती है। इसका उद्देश्य उलटे शुल्क ढांचे को सुधारना है, जो लंबे समय से कपड़ा उद्योग की रफ्तार में रुकावट बना हुआ है।
बदलाव
मौजूदा दरों में होगा बड़ा बदलाव
वर्तमान में कपास पर 5 प्रतिशत, सूत पर 12 प्रतिशत और सिंथेटिक रेशों व रसायनों पर 18 प्रतिशत GST लगता है। इसके अलावा, 2,000 रुपये तक के कपड़ों पर 5 प्रतिशत और उससे महंगे कपड़ों पर 12 प्रतिशत कर लगाया जाता है। अब प्रस्ताव है कि कपास से लेकर अंतिम परिधान तक, पूरी मूल्य श्रृंखला पर 12 प्रतिशत GST लागू किया जाए। यह खरीदारों पर कर होगा, जिससे कर ढांचे में समानता आ सकेगी।
राहत
उलटे शुल्क और रिफंड से मिल सकती है राहत
कपास पर कम GST और अन्य स्तरों पर ऊंचे कर ने उलटा शुल्क ढांचा खड़ा कर दिया है, जिससे पूंजी अटक जाती है और रिफंड की जरूरत बार-बार पड़ती है। इससे निवेश में रुकावट आती है और कीमतें भी लगातार बढ़ती हैं। प्रस्तावित बदलाव से कार्यशील पूंजी का बहाव सुधरेगा, रिफंड की आवश्यकता घटेगी और उद्योग को कर ढांचे में अधिक स्पष्टता मिलेगी। इससे दर विकृति दूर हो सकती है और प्रतिस्पर्धा में सुधार आ सकता है।
लाभ
सिंथेटिक वस्त्रों को मिल सकता है लाभ
सिंथेटिक कपड़े, जो आम उपभोक्ताओं के बीच तेजी से लोकप्रिय हो रहे हैं, उन पर फिलहाल 18 प्रतिशत तक का भारी टैक्स है। सरकार मानती है कि कर ढांचे में बदलाव से इन उत्पादों की लागत घटेगी और उद्योग को वैश्विक प्रतिस्पर्धा में मदद मिलेगी। अगर पूरी श्रृंखला को 12 प्रतिशत स्लैब में लाया गया, तो छिपी लागतें खत्म होंगी, पूंजी नहीं फंसेगी और कपड़ा क्षेत्र में नए निवेश आकर्षित हो सकेंगे।