
सरकार से सेमीकंडक्टर और इलेक्ट्रॉनिक कंपनियों को राहत, अब छोटे भूखंडों पर लगा सकेंगी कारखाने
क्या है खबर?
केंद्र सरकार ने सेमीकंडक्टर और इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों के निर्माताओं के लिए नियमों में बदलाव किया है।
अब विशेष आर्थिक क्षेत्रों (SEZ) में छोटे भूखंडों पर भी कारखाने लगाने की अनुमति मिल गई है।
यह फैसला भारत में मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ावा देने और वैश्विक व्यापार में बढ़ती अनिश्चितताओं के बीच आपूर्ति श्रृंखला को मजबूत करने के उद्देश्य से लिया गया है।
इससे कंपनियों को सस्ती और कम जमीन पर इकाइयां स्थापित करने में मदद मिलेगी।
नियम
नियमों में क्या हुआ बदलाव?
नई नीति के तहत सेमीकंडक्टर निर्माण के लिए पहले जहां 50 हेक्टेयर जमीन की जरूरत थी, अब सिर्फ 10 हेक्टेयर से काम चलेगा।
बहु-उत्पाद SEZ के लिए जरूरी भूमि 20 हेक्टेयर से घटाकर 4 हेक्टेयर कर दी गई है।
इसके साथ ही, अब कंपनियां अपने उत्पाद सीधे भारत में बेच सकती हैं या जरूरत अनुसार उन्हें दूसरी SEZ या गोदामों में भी भेज सकती हैं। भूमि के कागजातों को लेकर भी नियम आसान किए गए हैं।
फायदा
कंपनियों को मिलेगा बड़ा फायदा
इन नियमों से खासतौर पर स्टार्टअप्स को बड़ा लाभ मिलेगा।
पहले छोटी कंपनियां भूमि की अधिक मांग और सख्त शर्तों के चलते SEZ में प्रवेश नहीं कर पाती थीं। अब वे कम जमीन में भी यूनिट लगा सकती हैं।
इसके अलावा, उन्हें अपने इन्वेंट्री और तैयार माल के प्रबंधन में भी छूट दी गई है। वे भारत में बिक्री कर सकती हैं या एक्सपोर्ट के नए रास्ते अपना सकती हैं। इससे निवेश और रोजगार दोनों में बढ़ोतरी की उम्मीद है।
लक्ष्य
भारत का लक्ष्य क्या है?
सरकार का लक्ष्य सेमीकंडक्टर क्षेत्र में आत्मनिर्भरता हासिल करना है।
2023 में भारत का सेमीकंडक्टर बाजार लगभग 3,870 अरब रुपये का था, जो 2030 तक 100 अरब डॉलर (लगभग 8,600 अरब रुपये) पार कर सकता है। स्मार्टफोन, लैपटॉप और इलेक्ट्रिक वाहनों की मांग इसे बढ़ा रही है।
सरकार ने 2021 में इंडिया सेमीकंडक्टर मिशन शुरू किया था, जिसमें 76,000 करोड़ रुपये का निवेश तय किया गया है। अब तक 70 से अधिक स्टार्टअप इस क्षेत्र में काम कर रहे हैं।