समय से फ़ाइल करें ITR, नहीं तो उठाना पड़ सकता है भरी नुक्सान
वित्त वर्ष 2018-19 के लिए इनकम टैक्स रिटर्न (ITR) फ़ाइल करने की अंतिम तिथि 31 जुलाई, 2019 है। सभी कर योग्य संस्थाओं और व्यक्तियों को इस निर्धारित तिथि से पहले अपनी वार्षिक आय की सूचना देनी होगी, अन्यथा उन्हें कुछ परिणामों का सामना करना होगा, जैसे देर से शुल्क दंड, कर देय पर ब्याज और यहाँ तक की प्रोसिक्यूशन भी। आइए जानें अगर आप समय से अपना ITR फ़ाइल नहीं करते हैं, तो आपके साथ क्या-क्या हो सकता है।
लग सकता है 10,000 रुपये तक का जुर्माना
अगर आप 31 जुलाई, 2019 की समय सीमा तक अपना ITR फ़ाइल नहीं करते हैं, लेकिन 31 दिसंबर, 2019 तक ITR फ़ाइल कर देते हैं, तो आपके ऊपर 5,000 रुपये का जुर्माना लगाया जाएगा। हालाँकि, अगर आप 31 दिसंबर तक भी ITR फ़ाइल नहीं करते हैं, तो आपके ऊपर 10,000 रुपये का जुर्माना लगाया जाएगा। वहीं, जिन करदाताओं की सालाना आय 5 लाख रुपये से ज़्यादा नहीं है, उनके ऊपर केवल 1,000 का जुर्माना लगेगा।
देना होगा देय कर पर ब्याज
यदि आप 31 जुलाई की समय सीमा तक अपना ITR फ़ाइल करने में विफल रहते हैं, तो आपको अपने वास्तविक ITR फ़ाइलिंग की तारीख़ तक प्रति माह 1% की दर से अंतिम शुद्ध देय कर पर ब्याज देना होगा। विशेष रूप से इस ब्याज राशि की गणना TDS, TCS और अग्रिम कर और कानून के तहत दिए गए अन्य राहत/कर-क्रेडिट में कटौती के बाद देय कर पर की जाती है। इससे बचने के लिए समय से ITR फ़ाइल करें।
करना पड़ सकता है प्रोसिक्यूशन का सामना
केवल यही नहीं अगर आप धारा 142 और 148 के तहत उचित नोटिस मिलने के बाद भी समय से पहला अपना ITR फ़ाइल नहीं करते हैं, या अपने कर का भुगतान नहीं करते हैं, तो आपको आयकर अधिनियम की धारा 276CC के तहत प्रोसिक्यूशन का भी सामना करना पड़ सकता है। आय प्रभार्य के प्रकार और मात्रा के आधार पर डिटेंशन की अवधि चार से 16 साल तक हो सकती है।
देर से ITR फ़ाइल करने का मतलब ITR रिवीज़न के लिए कम समय
आयकर विभाग के नियमों के अनुसार, ITR फ़ाइलिंग में की गई किसी भी गलती के लिए आपके कर रिटर्न को संशोधित करने के लिए एक साल की अवधि दी जाती है। पहले यह अवधि दो साल थी। इसका तात्पर्य यह है कि अगर आप ITR फ़ाइलिंग की समय सीमा से ज़्यादा देर करते हैं, तो आपके रिटर्न को संशोधित करने और फ़ाइलिंग के दौरान आपके द्वारा की जानें वाली किसी भी गलती को सुधारने के लिए कम समय मिलेगा।
रिफ़ंड पाने में देरी
एक बार जब आपके द्वारा ITR फ़ाइल कर दिया जाता और उसका सत्यापन हो जाता है, तो आयकर विभाग का केंद्रीय प्रसंस्करण केंद्र आपके रिटर्न को संसाधित करना शुरू कर देता है। इस आधार पर कर देयता या रिफ़ंड लागू होता है। इसलिए, अगर कोई व्यक्ति टैक्स रिफ़ंड का इंतज़ार कर रहा है, तो देर से ITR फ़ाइल करने के परिणामस्वरूप उन्हें इस तरह से रिफ़ंड ट्रांसफ़र के लिए और अधिक समय तक इंतज़ार करना पड़ता है।
नहीं बढ़ा पाएँगे अपने नुकसान को आगे
यदि आप निर्धारित तिथि के भीतर अपना ITR फ़ाइल नहीं कर पाते हैं, तो आप इसे अपने लाभ और भविष्य के वर्षों के नुकसान के ख़िलाफ़ समायोजित करने के लिए घाटे को आगे नहीं बढ़ा सकते हैं।