सुस्त बिजनेस के कारण प्रोडक्शन कम करेगी पारले, जा सकती है 10 हजार लोगों की नौकरियां
देश में बिस्किट बनाने वाली प्रमुख कंपनी पारले प्रोडक्ट्स प्राइवेट लिमिटेड खपत में कमी और बाजार में आई सुस्ती के कारण लगभग 10,000 कर्मचारियों की छंटनी कर सकती है। ग्रामीण इलाकों में घटती मांग के चलते कंपनी ने अपना उत्पादन कम करने का फैसला किया है। पिछले कुछ समय से भारतीय अर्थव्यवस्था में आई मंदी के चलते कार से लेकर बिस्किट बनाने वाली कंपनियां बुरी तरह प्रभावित हुई हैं, जिसके चलते वो कर्मचारियों की छंटनी करने पर मजबूर हैं।
कंपनी में है एक लाख से ज्यादा कर्मचारी
पारले-जी बिस्किट बनाने वाली कंपनी की खपत में तेज गिरावट आई है। इस कारण कंपनी प्रोडक्शन कम करेगी, जिससे हजारों लोगों की नौकरियों पर संकट के बादल छा गए हैं। कंपनी के कैटेगरी हेड मयंक शाह ने एक इंटरव्यू में कहा, "स्थिति इतनी खराब है कि अगर सरकार ने तुरंत दखल नहीं दिया तो हमें लोगों को नौकरी से निकालने के लिए मजबूर होना पड़ेगा।" 1929 में स्थापित हुई इस कंपनी में एक लाख से ज्यादा कर्मचारी काम करते हैं।
GST की वजह से कम हुई बिक्री
शाह ने कहा कि 2017 में लागू हुई गुड्स एंड सर्विस टैक्स (GST) व्यवस्था की वजह से पारले के सबसे मशहूर ब्रांड पारले-जी की बिक्री पर नकारात्मक असर पड़ा है। GST की वजह से 5 रुपये के बिस्किट के पैकेट पर भारी टैक्स लगता है।
ग्रामीण इलाकों में कम हुई खपत
कम कीमत में ज्यादा टैक्स की भरपाई करने के लिए कंपनी को अपने पैकेट में बिस्किटों की संख्या कम करनी पड़ी। इससे ग्रामीण इलाकों में कंपनी की बिक्री पर असर पड़ा है। कंपनी का आधे से ज्यादा राजस्व ग्रामीण इलाकों से आता है। शाह ने कहा कि ये ग्राहक कीमत को लेकर काफी संवेदनशील होते हैं। उन्हें इस बात की परवाह रहती है कि उन्हें उनके द्वारा चुकाई जा रही कीमत में कितने बिस्किट मिल रहे हैं।
दुनिया का सबसे ज्यादा बिकने वाला ब्रांड था पारले-जी
पारले का सालाना राजस्व 1.4 बिलियन डॉलर का है। शाह ने कहा कि पारले ने पिछले साल तत्कालीन वित्त मंत्री अरुण जेटली और GST काउंसिल से मिलकर टैक्स की दरों की समीक्षा करने की मांग की थी। बता दें कि कंपनी के बिस्किट ब्रांड पारले-जी को 2003 में दुनिया में सबसे ज्यादा बिकने वाला बिस्किट घोषित किया गया था। पहले इस पारले ग्लूको के नाम से जाना जाता था, जिसका बाद में कंपनी ने नाम बदला था।
ऑटो सेक्टर में गई नौकरियां का दिख रहा असर
शाह ने कहा कि अर्थव्यवस्था में आई मंदी के चलते ऑटो सेक्टर में हजारों नौकरियां चली गई हैं, जिससे खपत में आ रही गिरावट और बढ़ रही है। पिछले महीने मार्केट रिसर्च फर्म नील्सन ने अपनी रिपोर्ट में कहा था ग्रामीण इलाकों में खर्च में कटौती की वजह से कंज्यूमर गुड्स इंडस्ट्री अपनी रफ्तार खो रही है। पारले के अलावा दूसरी कंपनियां भी अपने बिजनेस में कमी का दौर देख रही है।
बिस्किट की बिक्री पर ऐसे पड़ी GST की मार
GST लागू होने से पहले 100 रुपये प्रति किलोग्राम से कम कीमत वाले बिस्किट पर 12 प्रतिशत टैक्स लगता था। कंपनियों को उम्मीद थी कि GST में इन बिस्किट के लिए 5 प्रतिशत टैक्स रखा जाएगा, लेकिन सरकार ने GST में सस्ते और प्रीमियम, सभी बिस्किटों को 18 प्रतिशत टैक्स स्लैब में डाल दिया था। टैक्स की भरपाई करने के लिए कंपनियों को बिस्किट के दाम बढ़ाने पड़े, जिससे इनकी बिक्री पर सीधा असर पड़ा।