
आर्थिक सर्वेक्षण में खुलासा, हर दूसरे ग्रेजुएट के पास रोजगार के लायक कौशल नहीं
क्या है खबर?
संसद में 22 जुलाई को पेश किए गए आर्थिक सर्वेक्षण में रोजगार की स्थिति और कौशल विकास को लेकर चौंकाने वाले खुलासे हुए हैं।
सर्वेक्षण के अनुसार, भारत की तेजी से बढ़ती आबादी का 65 प्रतिशत हिस्सा 35 वर्ष से कम आयु का है, लेकिन इनमें से आधी आबादी के पास आधुनिक अर्थव्यवस्था के लिए जरूरी कौशल नहीं है।
कॉलेज से निकलने के बाद लगभग आधे युवाओं के पास रोजगार पाने लायक कौशल नहीं होता है।
नौकरी
शिक्षित छात्रों को नहीं मिल पाती नौकरी
आंकड़ों के मुताबिक, पिछले दशक में ऐसे युवाओं की आबादी 34 प्रतिशत से बढ़कर 51.3 प्रतिशत हो गई है। कॉलेज से निकलने के बाद 51.25 प्रतिशत युवा ही रोजगार के योग्य हैं और हर 2 में से एक छात्र को नौकरी नहीं मिल पाती है।
हालांकि, सर्वेक्षण बताता है कि पिछले 6 सालों में भारतीय श्रम बाजार संकेतकों में सुधार हुआ है, जिससे 2022-23 में बेरोजगारी दर घटकर 3.2 प्रतिशत हो गई है।
महिलाएं
श्रम में बढ़ी महिलाओं की भागीदारी
पिछले 5 वर्षों में कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (EPFO) के अंतर्गत शुद्ध वेतन वृद्धि दोगुनी से भी अधिक हो गई है, जो औपचारिक रोजगार में स्वस्थ वृद्धि का संकेत है।
EPFO में 2019 में 61.1 लाख पंजीकृत लोग थे, जो 2024 में बढ़कर 131.5 लाख हो गए हैं।
इसके अलावा श्रम में महिलाओं की भागीदारी भी बढ़ी है। ग्रामीण इलाकों में 2017-18 और 2022-23 के बीच श्रम में भागीदारी में 16.9 प्रतिशत अंकों की बढ़ोतरी हुई है।
बेरोजगारी
युवाओं में बेरोजगारी ज्यादा
भारत में सबसे ज्यादा बेरोजगारी पढ़े-लिखे युवाओं में है। इंटरनेशनल लेबर ऑर्गनाइजेशन (ILO) की रिपोर्ट बताती है कि 2023 तक भारत में जितने बेरोजगार थे, उनमें से 83 प्रतिशत युवा थे।
रिपोर्ट के मुताबिक, साल 2000 में बेरोजगारों में पढ़े-लिखों की हिस्सेदारी 35.2 प्रतिशत थी, जो 2022 तक बढ़कर 65.7 प्रतिशत हो गई है।
पीरियोडिक लेबर फोर्स सर्वे (PLFS) के मुताबिक, जनवरी से मार्च 2024 के बीच देश में बेरोजगारी दर 6.7 प्रतिशत थी।
आर्थिक सर्वेक्षण
क्या होता है आर्थिक सर्वेक्षण?
आर्थिक सर्वेक्षण एक तरह का दस्तावेज है, जो हर साल बजट से एक दिन पहले पेश होता है।
इसमें पिछले वित्त वर्ष में देश की अर्थव्यवस्था ने कैसा प्रदर्शन किया, इसकी समीक्षा की जाती है। आर्थिक सर्वेक्षण एक तरह से अर्थव्यवस्था की सेहत को बताता है।
इसके अलावा सरकार के विकास कार्यक्रमों, नीतिगत पहलों के बारे में भी बताया जाता है। वित्त वर्ष 1950-51 में पहली बार देश में आर्थिक सर्वेक्षण पेश किया गया था।