
ट्यूबलेस या ट्यूब वाले टायर में से कौनसा है बेहतर? जानिए फायदे और नुकसान
क्या है खबर?
गड्ढे हो या चमचमाती सड़क या फिर कीचड़ से भरे रास्ते हर जगह टायर गाड़ी की राह आसान करते हैं। समय के साथ ट्यूब वाले टायर्स ने ट्यूबलेस की जगह ले ली है।
नई कार खरीदते समय लोग इनके बारे में सोचते हैं, जबकि कुछ बदलवाते समय विचार करते हैं। वर्तमान में ट्यूबलेस टायरों का ज्यादा चलन है। ऐसे में लाेगों में संशय रहता है कि कौनसे लगवाना सही होगा।
आइये जानते हैं दोनों टायर्स में क्या अंतर है।
ट्यूब टायर
ट्यूब वाले टायर्स के क्या हैं फायदे?
ट्यूब वाले टायर में एक पतला रबर का ट्यूब होता है, जिसमें हवा भरने के बाद ये टायर को एक सही आकार देता है। ये ड्राइविंग के दौरान एक कुशन की तरह काम करता है।
ये टायर उबड़-खाबड़, असमान इलाकों पर बेहतर माने जाते हैं। उन्नत उपकरणों के अभाव वाली जगह पर इनकी मरम्मत करना आसान है और रिम डेमैज होन पर भी काम करते हैं।
इसके अलावा मरम्मत करने में आसान होने के साथ कीमत में भी किफायती है।
नुकसान
ट्यूब वाले टायर्स के क्या हैं नुकसान?
नुकसान की बात करें तो ट्यूब वाले टायर्स की सबसे बड़ी दिक्कत पंक्चर के समय ट्यूब से हवा का तेजी से निकलना है।
इस कारण कई बार टायर फट जाता है और चालक को भी गाड़ी पर नियंत्रण रखना मुश्किल होता है, जिससे हादसा हो सकता है।
इनमें पंक्चर होने पर गाड़ी उसी जगह पर थम जाती है और इनकी पंक्चर ठीक करने में भी टायर खोलकर लगाने के कारण ज्यादा समय लगता है।
ट्यूबलेस
ट्यूबलेस टायर के ये हैं फायदे
ट्यूबलेस टायर में अलग से कोई ट्यूब नहीं लगा होता। जब इस टायर में हवा भरी जाती है तो यह खुद ही रिम के चारों ओर एयरटाइट सील लगा देता है, जिससे हवा टायर से बाहर नहीं निकलती।
इनमें पंक्चर होने के बाद हवा धीरे-धीरे निकलती है। पंक्चर होने के बाद भी इन टायर्स के साथ गाड़ी को कुछ किलोमीटर तक चला सकते हैं।
ये हल्के होने के कारण बेहतर हैंडलिंग और माइलेज देते हैं और इनका रखरखाव सस्ता है।
नुकसान
ट्यूबलेस टायर के ये हैं नुकसान
नुकसान की जहां तक बात है तो ट्यूबलेस टायर महंगे होते हैं और इनमें बड़ा डेमैज होने पर मरम्मत करना आसान नहीं है।
इनमें हवा रोकने के लिए रिम के साथ अच्छे से सील होना जरूरी है। ऐसे में गाड़ी की रिम खराब हो जाए तो इन टायर्स में हवा को रोकना संभव नहीं हो पता। इसलिए, पहले रिम मरम्मत या बदलवा जरूरी हो जाता है।
इन टायर्स को क्षतिग्रस्त सड़कों के लिए ज्यादा उपयोगी नहीं माना जाता।