सेमीकंडक्टर की कमी ऑटो सेक्टर को कैसे प्रभावित कर रही है?
सेमीकंडक्टर की कमी की वजह से दुनिया भर की वाहन निर्माता कंपनियों के उत्पादन में कमी आ रही है। यही वजह है कि पिछले कुछ महीनों से भारतीय बाजार में वाहनों के दाम लगातार बढ़ रहे हैं। पिछले महीने की सेल्स रिपोर्ट के बाद टाटा मोटर्स ने कहा कि सेमीकंडक्टर की कमी की वजह से वाहनों के निर्माण पर असर पड़ रहा है। आइए जानते हैं कि यह पूरा मामला क्या है।
क्या होता है सेमीकंडक्टर?
सेमीकंडक्टर असल में कंडक्टर और इंसुलेटर के बीच की स्तिथि है। इनकी विद्युत चालकता चालकों से कम, लेकिन अचालकों से ज्यादा होती है। इसका उपयोग बिजली को नियंत्रित करने में किया जाता है। ये सिलिकॉन से बने चिप होते हैं, जिनका उपयोग इलेक्ट्रॉनिक की वस्तुओं में होता है। सेमीकंडक्टर के बिना हम इलेक्ट्रॉनिक की वस्तुओं की कल्पना भी नहीं कर सकते। इन्हीं सेमीकंडक्टर का इस्तेमाल वाहनों में भी होता है।
क्यों कम पड़ रहे सेमीकंडक्टर?
पूरा विश्व कोविड-19 महामारी से लड़ रहा है। इस महामारी की वजह से दुनिया भर में लॉकडाउन की स्तिथि भी रही, लगभग सभी छोटे-बड़े कारोबार बंद थे। सेमीकंडक्टर निर्माण करने वाली कंपनियां भी इस महामारी से प्रभावित हुई और उनके उत्पादन में असर पड़ा, जिस वजह से आज दुनिया में सेमीकंडक्टर की कमी आई है। सिर्फ कोविड-19 ही नहीं, अमेरिका और चीन के बीच चल रहे ट्रेड वार की वजह से भी सेमीकंडक्टर की कमी हुई है।
क्यों हुई ऑटो कंपनियों को दिक्कत?
दुनिया भर के हर इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों में सेमीकंडक्टर का इस्तेमाल होता है। इसका एक हिस्सा ऑटो सेक्टर को भी जाता है। दुनिया भर में लॉकडाउन की वजह से ऑटो कंपनियों के सेल में गिरावट आई, जिस वजह से इन कंपनियों ने चिप के आर्डर को कैंसिल कर दिया। दूसरी तरफ मोबाइल और लैपटॉप का उत्पादन बढ़ गया और एक बड़ा हिस्सा इनकी सेमीकंडक्टर की जरूरत को पूरा करने में लग गया, जिस वजह से आज ऑटो कंपनियां प्रभावित हैं।
वहान के लिए इतने महत्वपूर्ण क्यों है ये सेमीकंडक्टर?
वर्तमान समय में ज्यादातर कारों में कई इलेक्ट्रॉनिक पार्ट्स लगे होते हैं। जैसे कार में लगे म्यूजिक सिस्टम से लेकर कैमरा, बैटरी मनेजमेंट, मोटर कॉन्ट्रोल तक हर जगह इन सेमीकंडक्टर्स का इस्तेमाल होता है, इसलिए ये बहुत महत्वपूर्ण हैं। भारतीय बाजार सेमीकंडक्टर की कमी से अमेरिका, यूरोप या जापान जैसे देशों जितना प्रभावित नहीं हुआ है, क्योंकि भारतीय कार निर्माता मुख्य रूप से एंट्री लेवल के वाहन ही बनाते हैं, जिनमें अधिक इलेक्ट्रॉनिक पार्ट्स नहीं होते।
किन कंपनियों पर पड़ा है ज्यादा असर?
चिप की कमी के कारण लगभग हर कंपनी प्रभावित हो रही है। पिछले साल फोर्ड कंपनी ने चिप की कमी की वजह से एक हफ्ते तक अपने कारखानों में उत्पादन को बंद रखा था। वहीं सुजुकी मोटर्स ने पिछले महीने कहा था कि गुजरात कारखाने में एक शिफ्ट में काम होगा। चिप की कमी के कारण अगस्त में तीन दिन उत्पादन भी बंद था। महिंद्रा और टाटा जैसी बड़ी कंपनियों को भी उत्पादन में मुश्किलों का सामना करना पड़ा है।
कब तक प्रभावित रहेगा ऑटो सेक्टर?
ऑटो सेक्टर पर चिप की कमी का प्रभाव कितने दिनों तक रहेगा, यह बताना मुश्किल है। कुछ रिपोर्ट्स के अनुसार इसका असर साल 2023 तक रहेगा और उसके बाद कहीं जाकर चिप की कमी से ऑटो सेक्टर को छुटकारा प्राप्त होगा।
पड़ सकता है त्योहारों पर असर
इन दिनों बाजार में वाहनों की जबरदस्त डिमांड देखने को मिल रही है। सेमीकंडक्टर की कमी की वजह से ऑटो कंपनियों को अपना उत्पादन धीमा करना पड़ा या कुछ दिनों के लिए अपने कारखानों को बंद करना पड़ा तो त्योहारों पर अपने ग्राहकों के डिमांड को पूरा करने में वाहन निर्माताओं को दिक्कतें आ सकती हैं। ऐसे में अगर ग्राहकों को उनके बुक किये गए वाहन समय पर ना मिले तो उनके त्योहारों पर असर पड़ सकता है।
क्या ऐसे ही बढ़ेंगे वाहनों के दाम?
चिप की कमी की वजह से वाहनों के उत्पादन में कमी आयी है। अगर वहनों का उत्पादन कम हुआ तो बेशक वाहन निर्माता कंपनियां अपने वाहनों के दामों को बढ़ाती रहेंगी, जिसका असर आम आदमी की जेब पर पड़ेगा।